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Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि है बहुत खास, इस शुभ मुहूर्त में पूजा से मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद

Chaitra Navratri 2022: इस वर्ष 2 अप्रैल 2022 को चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हुआ था। ऐसे में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 9 अप्रैल को और नवमी तिथि 10 अप्रैल को मनाई जाएगी। नवरात्रि की अष्टमी नवमी तिथि को जो भक्त शुभ मुहूर्त में पूजा और हवन करता है उस पर मां दुर्गा की कृपा सदा बनी रहती है।

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Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि है बहुत खास, इस शुभ मुहूर्त में पूजा से मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद

यूं तो नवरात्रि के पूरे नौ दिन सभी भक्त मां दुर्गा की भक्ति और आराधना में लीन रहते हैं। लेकिन नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को बहुत खास माना गया है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के महागौरी और नवमी तिथि को सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन दोनों तिथियों पर सही विधि विधान और सच्चे मन से पूजा करने से मां दुर्गा का खास आशीर्वाद प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि का शुभ मुहूर्त और पूजा की संपूर्ण विधि...

शुभ मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है। वहीं नवमी तिथि के दिन आप सुबह से ही कन्या पूजन प्रारंभ कर सकते हैं।

इस तरह पूजा करने से मां होंगी प्रसन्न

नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि दोनों दिन आपको सूर्योदय से पहले उठना है और फिर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े धारण करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में पूजा संपन्न करें। मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए संधि काल में 108 दीपक जलाना शुभ माना जाता है। साथ ही याद रखें कि अष्टमी और नवमी तिथि को हवन के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने और कन्याओं को भोजन कराकर उपहार देने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को घर में तुलसी के पौधे के पास 9 दीपक जलाकर उसकी परिक्रमा करें। इससे आपके घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

कन्या पूजन में इन बातों का रखें ध्यान-

2 से 11 वर्ष की कन्याओं को पुष्प वर्षा के साथ अपने घर में प्रवेश कराएं। इसके बाद उन्हें आरामदायक और साफ स्थान जगह पर बिठाकर सभी कन्याओं के पैर धोएं। इसके बाद उनके पैरों पर हल्दी, कुमकुम और चावल चढ़ाएं। तत्पश्चात सभी कन्याओं की तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराएं। भोजन के बाद कन्याओं को अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार अथवा दक्षिणा दें। ध्यान रखें की कन्याओं को विदा करने से पहले सभी कन्याओं से पैर छूकर आशीर्वाद अवश्य लें। इससे मां भगवती आपको मनवांछित फल देती हैं।

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