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विचार मंथन : हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर संभव है- डॉ राधाकृष्णन सर्वेपल्ली

locationभोपालPublished: Sep 04, 2019 05:45:35 pm

Submitted by:

Shyam

Daily Thought Vichar Manthan : अच्छी किताब पढना हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची ख़ुशी देता है

Daily Thought Vichar Manthan : Sarvepalli Dr. Radhakrishnan

विचार मंथन : हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर संभव है- डॉ राधाकृष्णन सर्वेपल्ली

हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अद्वतीय योग देने वाले भारत रत्न डॉ राधाकृष्णन सर्वेपल्ली जी की जयंती मनाई जाती है। आज भी उनक विचारों को अपनाकर हजारों लोग मार्ग दर्शन प्राप्त करते हैं। जानें इस शिक्षक दिवस पर उन्हें के प्रेरणाप्रद श्रेष्ठ विचार।

एक उच्च जीवन का सपना

जीवन का सबसे बड़ा उपहार एक उच्च जीवन का सपना है। जीवन को बुराई की तरह देखता और दुनिया को एक भ्रम मानना महज कृतध्नता है। यदि मानव दानव बन जाता है तो ये उसकी हार है, यदि मानव महामानव बन जाता है तो ये उसका चमत्कार है। यदि मनुष्य मानव बन जाता है तो ये उसके जीत है। धर्म भय पर विजय है; असफलता और मौत का मारक है।

 

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निर्मल मन वाला व्यक्ति

शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके। राष्ट्र, लोगों की तरह सिर्फ जो हांसिल किया उससे नहीं बल्कि जो छोड़ा उससे भी निर्मित होते हैं। केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है। स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है। कवी के धर्म में किसी निश्चित सिद्धांत के लिए कोई जगह नहीं है। ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।

हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन

धर्म के बिना इंसान लगाम के बिना घोड़े की तरह है। शांति राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकती बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है। हर्ष और आनंद से परिपूर्ण जीवन केवल ज्ञान और विज्ञान के आधार पर संभव है। पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं। एक साहित्यिक प्रतिभा, कहा जाता है कि हर एक की तरह दिखती है, लेकिन उस जैसा कोई नहीं दिखता। मनुष्य को सिर्फ तकनीकी दक्षता नही बल्कि आत्मा की महानता प्राप्त करने की भी ज़रुरत है। जो खुद को दुनिया की गतिविधियों से दूर कर सकता हैं और दूसरो का दुःख नही समझता, वह इंसान नही हो सकता है। आध्यात्मक जीवन भारत की प्रतिभा है।

अच्छी किताब पढना हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची ख़ुशी देता है। उम्र या युवावस्था का काल-क्रम से लेना-देना नहीं है. हम उतने ही नौजवान या बूढें हैं जितना हम महसूस करते हैं। हम अपने बारे में क्या सोचते हैं यही मायने रखता है। मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय अगर 5 सितम्बर का दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह मेरे लिए सम्मान की बात होगी।

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