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Diwali 2025: धनतेरस से भाई दूज तक, जानें दीपावली के 5 दिनों का महत्व और उनकी धार्मिक मान्यता

Diwali Festival Meaning: दीपावली यानी ‘रोशनी का पर्व’, यह सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं बल्कि पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है। हर दिन का अपना अलग धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। इन पांचों दिनों में ना केवल रोशनी और समृद्धि का संदेश दिया जाता है, बल्कि अच्छाई की बुराई पर जीत और रिश्तों की मिठास का भी उत्सव मनाया जाता है।

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दीपावली (Image Source: Chatgpt)

दीपावली (Image Source: Chatgpt)

Diwali Five Days Significance: दिवाली संस्कृत शब्द दीपावली से आता है, जिसका अर्थ है "दीपों की पंक्ति"। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दिवाली हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे परिवार के साथ पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है। यह भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जो धार्मिक आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक महत्व भी रखता है।

क्यों मनाई जाती है दिवाली

मान्यताओं के अनुसार, दिवाली भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है। इस दिन अयोध्या नगरी को दीप जलाकर रोशन किया गया था। भगवान राम लंकापति रावण को सीता हरण के बाद हुए युद्ध में विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे।

रोशनी वाले दिवाली के पांच दिन

दिवाली का त्योहार सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि पांच दिनों का होता है। इसकी शुरूआत धनतेरस से होती है। धनतेरस धन और समृद्धि का उत्सव। दूसरा दिन (छोटी दिवाली): राक्षस नरकासुर पर विजय का प्रतीक। तीसरा दिन (मुख्य दिवाली): लक्ष्मी पूजा और दीये जलाने का दिन। चौथा दिन (गोवर्धन पूजा): प्रकृति और जानवरों के साथ बंधन का उत्सव। पांचवां दिन (भाई दूज): भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक।

दिनतारीख पर्व का नाम
पहला दिन18 अक्टूबर 2025धनतेरस
दूसरा दिन19 अक्टूबर 2025नरक चतुर्दशी / छोटी दिवाली
तीसरा दिन20 अक्टूबर 2025लक्ष्मी पूजा / दीपावली
चौथा दिन21 अक्टूबर 2025गोवर्धन पूजा
पांचवां दिन22 अक्टूबर 2025भाई दूज

पहला दिन (धनतेरस)

दिवाली की शुरुआत धनतेरस के पावन पर्व से होती है। ये दिन धन और स्वास्थ्य के लिए समर्पित होता है। धनतेरस का दिन सोना, चांदी और घरेलू सामान खरीदने के लिए शुभ होता है। इसलिए लोग दिवाली के पहले ही दिन सौभाग्य के लिए सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन और अन्य नए घरेलू सामान खरीदते हैं। इस दिन धन और सम्रद्धि की मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के भाव से पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है।

दूसरा दिन (छोटी दिवाली)

दिवाली के दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी ने इस दिन नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक माना जाता है। एक रोचक कहावत के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन स्नान नहीं करते वे नरक जाते हैं।

तीसरा दिन (लक्ष्मी पूजा)

इस दिन दिवाली का मुख्य त्योहार मनाया जाता है, जो समृद्धि और आशीर्वाद के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा पर केंद्रित है। इस दिन घरों, दूकानों और बाजार को रोशन करने के लिए दिये, मोमबत्तियों और चमचमाती लाइटे लगाई जाती हैं। यह रोशनी जीवन से अंधकार को दूर भगाकर प्रकाश लाने के लिए प्रेरित करती है। दिवाली के दिन भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और लोग उनसे धन-समृद्धि के आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

चौथा दिन (गोवर्धन पूजा)

दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा को समर्पित है। इस दिन मिट्टी और गोबर की आकृतियां बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है, जो कृतज्ञता और प्रकृति पूजा का प्रतीक है। भगवान श्री कृष्ण ने एक बार लोगों को भारी बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। तब से गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण की विजय का भी प्रतिक माना जाता है।

पांचवां दिन (भाई दूज)

दिवाली त्यौहार का अंतिम दिन, भाई दूज भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक होता है। यह भाई-बहन के बीच विशेष बंधन के प्रतीक का त्यौहार है। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर हाथ में रक्षासूत्र बांधती है। बहनें अपने भाइयों की सलामती और लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते है। यह त्यौहार भगवान यम और उनकी बहन यमी (यमुना) के बीच प्रेम से प्रेरित हो कर मनाया जाता है।