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यदि आप हज के मुकद्दस पर जा रहे हैं तो यह जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है

Published: Aug 02, 2018 06:26:36 am

Submitted by:

rajesh walia

हरम शरीफ यानी काबा शरीफ की एक नेकी एक लाख नेकियों के बराबर है। हरम में की गई किसी भी इबादत का सवाब यानी पुण्य एक लाख गुना रखा गया है।

दिल्ली
अल्लाह ने हज के दौैरान अपने बंदों के लिए नेकियों और सवाब के खजाने खोल दिए हैं। अल्लाह ने हज की पाकीजा जगह पर दुआ कुबूल होने का वादा किया है। इस साल की हज यात्रा का सफर शुरू हो चुका है। यात्रा को देखते हुए पिछले तीन माह से सेन्ट्रल हज कमेटी की ओर से यात्रा की तैयारियां तेजी से की जा रहीं थीं। हज से संबंधित कुछ जरूरी बातें जो हाजी के लिए जरूरी हैं।
नशीली सामग्री नहीं लेकर जाएं
हज यात्री अपने साथ किसी भी तरह की नशीली सामग्री नहीं लेकर जाएं। इससे आप खुद के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। इस्लाम में नशा करना बहुत बड़ा गुनाह है। क्योंकि इससे किसी भी कार्य में मन नहीं लगता और हज यात्रा का स्थान तो खुदा का घर है। पूर्व में कोई यात्री नशीली वस्तुएं साथ लेकर जाते थे जिन्हें एयरपोर्ट पर जब्त कर जला दिया जाता था। इस बार सीधे तौर पर कार्रवाई की जाएगी। इस संबध में सऊदी सरकार ने केंद्रीय हज कमेटी को यात्रियों से आदेश की पालना करवाने को कहा है।
चौदह साल के कारावास की सजा
सऊदी सरकार ने आदेश जारी किया है कि हज यात्री अपने साथ बीड़ी, सिगरेट, शक्तिवर्धक गोलियां, गुटखा या ऐसी नशीली दवाइंया जो लिक्वीड के साथ नशे के लिए इस्तमाल होती है अपने साथ नहीं लाए। सऊदी एयरपोर्ट पर जांच के दौरान इन पांच वस्तुओं में से एक भी वस्तु यात्री के पास मिलने पर उसे हज नहीं करने दिया जाएगा साथ ही उसे चौदह साल के कारावास की सजा दी जाएगी। यह प्रावधान इस बार सऊदी सरकार ने विश्वभर के हज यात्रियों के लिए लागू किया है। इसके अलावा इस बार सरकार ने हज के दौरान मीना में ठहरने वाले यात्रियों के लिए बेड की व्यवस्था की है, पहले यात्री मैदान में दरी बिछाकर सोते थे।
हरम में इबादत का सवाब एक लाख गुना
जानकारी के मुताबिक हज के बाद की जिन्दगी में हाजी यदि अच्छे अखलाक रखे और गुनाहों से बचता रहे, बिना नामो- नुमूद दुनिया बसर करता रहे तो एेसे शख्स के लिए सिर्फ जन्नत है। हरम शरीफ यानी काबा शरीफ की एक नेकी एक लाख नेकियों के बराबर है। हरम में की गई किसी भी इबादत का सवाब यानी पुण्य एक लाख गुना रखा गया है। हज उमराह करने वाले अल्लाह के मेहमान हैं। अल्लाह उनकी कोई भी जायज दुआ और इल्तिजा रद्द नहीं फरमाता।

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