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Hindu Funeral Traditions: मृतक के मुख में क्या डाला जाता है, तुलसी और गंगाजल? जानें धार्मिक वजह

Hindu Funeral Traditions: मृत्यु जीवन का अंत नहीं, बल्कि आत्मा की एक नई यात्रा की शुरुआत होती है। इस यात्रा को सफल और पवित्र बनाने के लिए कुछ विशेष धार्मिक परंपराएं निभाई जाती हैं।

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भारत

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MEGHA ROY

Aug 31, 2025

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Rituals performed after death in Hindu religion|फोटो सोर्स – Gemini

Hindu Funeral Traditions: हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक मानव जीवन को विभिन्न संस्कारों से होकर गुजरना पड़ता है, जिन्हें सोलह संस्कार कहा जाता है। इन संस्कारों में से अंतिम संस्कार एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक प्रक्रिया मानी जाती है।हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु जीवन का अंत नहीं, बल्कि आत्मा की एक नई यात्रा की शुरुआत होती है। इस यात्रा को सफल और पवित्र बनाने के लिए कुछ विशेष धार्मिक परंपराएं निभाई जाती हैं। इन्हीं में से एक है, मृतक के मुख में तुलसी का पत्ता और गंगाजल डालना।यह परंपरा केवल आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक, पौराणिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी गहरा महत्व है।आइए जानते हैं, इस परंपरा के पीछे की मान्यताएं और इसके आध्यात्मिक महत्व को विस्तार से।

मृतक के मुख में गंगाजल और तुलसी डालने का कारण

गंगा नदी को हिंदू धर्म में देवी का स्वरूप माना गया है। यही वजह है कि गंगाजल को पवित्रतम जल कहा जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि मृत्यु के समय यदि गंगाजल मुख में डाला जाए, तो आत्मा शरीर से आसानी से निकल जाती है और उसे यमदूतों का कष्ट नहीं सहना पड़ता।तुलसी का पत्ता भगवान विष्णु को प्रिय है। मान्यता है कि मृत्यु के समय तुलसी का सेवन करने से मनुष्य यमराज के दंड से बच जाता है और आत्मा को मोक्ष की राह मिलती है। इसलिए मृत्यु के अंतिम क्षणों में तुलसी और गंगाजल दोनों का संयोजन मृतक के मुख में दिया जाता है।

तुलसी पत्ता का महत्व (Religious reasons for tulsi in funeral)

तुलसी को देवी तुलसी कहा गया है और यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। किसी भी पूजा या धार्मिक कार्य में तुलसी का पत्ता आवश्यक माना जाता है।मृत्यु के समय तुलसी का पत्ता मुख में रखने से आत्मा पवित्र होती है और यमराज उसे कष्ट नहीं देते। तुलसी को मोक्षदायिनी भी कहा गया है।आयुर्वेद में भी तुलसी के औषधीय गुणों का वर्णन है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से यह मृत्यु के समय आत्मा के उद्धार का माध्यम मानी गई है।

गंगाजल का महत्व (Gangajal after death ritual)

गंगाजल को हिंदू संस्कृति में सबसे पवित्र माना गया है। हर पूजा-पाठ, अनुष्ठान और धार्मिक कार्य इसकी बिना अधूरा माना जाता है। पुराणों के अनुसार गंगा, भगवान विष्णु के चरणों से प्रकट हुई और भगवान शिव की जटाओं में वास किया। इसलिए इसे धरती पर दिव्य नदी का दर्जा प्राप्त है।
मृत्यु के समय गंगाजल मुंह में डालने का एक व्यावहारिक कारण भी है, यह सुनिश्चित करना कि मृतक प्यासा न जाए। साथ ही, धार्मिक मान्यता है कि गंगाजल आत्मा को स्वर्गलोक तक पहुंचने में सहायक बनता है और आगे का सफर सहज करता है।