
6 मंदिर जहां भगवान को चढ़ता है मांसाहारी भोग। (Image Source: Gemini AI)
Non-Veg Offerings In Temples: मंदिर की बात आते ही लोगों को वहां के प्रसाद की याद जाती है। प्रसाद का सोचकर लोगों के मन में सात्विक थाली, खिचड़ी या लड्डू की कल्पना आती है। लेकिन कल्पना से परे, भारतीय संस्कृति में आस्था का मतलब थाली में क्या रखा है, यह नहीं, बल्कि उसके पीछे छिपे प्रेम और समर्पण से है। आज हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां पूजा के प्रसाद में मांसाहारी भोजन बनता है।
विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के अंदर एक छोटा लेकिन शक्तिशाली विमला मंदिर है। यहां देवी विमला को मछली और बकरे के मांस का प्रसाद चढ़ाया जाता है, खासकर दुर्गा पूजा के समय।
मदुरै के पास स्थित मुनियांदी स्वामी मंदिर में प्रसाद मिठाई नहीं, बल्कि चिकन और मटन बिरयानी की प्लेटें होती हैं।
केरल के कन्नूर जिले में, भगवान मुथप्पन के भक्त उन्हें ताजी मछली और ताड़ी चढ़ाते हैं। यहां मछली का प्रसाद खाना किसी अनुष्ठान से कम, बल्कि ईश्वर के साथ भोजन करने जैसा लगता है।
गोरखपुर में चैत्र नवरात्रि के दौरान मंदिर में बकरों की बलि दी जाती है और उनका मांस मंदिर परिसर में ही बड़े-बड़े मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है।
तारापीठ मंदिर में भी बकरे की बलि और शोल माछ जैसे स्वादिष्ट मछली के व्यंजन बड़े ध्यान से पकाकर चावल और सुगंधित करी के साथ परोसे जाते हैं।
देवी काली को समर्पित सदियों पुराना पवित्र मंदिर, थंथनिया कालीबाड़ी में अनुष्ठानिक पशु बलि की प्राचीन, पारंपरिक और चिरस्थायी प्रथा आज भी चली आ रही है। इस मांस को बाद में पकाया जाता है और पवित्र प्रसाद के रूप में श्रद्धापूर्वक चढ़ाया जाता है।
Published on:
12 Sept 2025 10:49 am
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