योगेन चित्तस्य पदेन वाचां, मलं शरीरस्य च वैद्यकेन।
योऽपाकरोत् तं प्रवरं मुनीनां, पतंजलि प्रांजलिरानतोऽस्मि।।
योग के दौरान इस मंत्र के जाप से योग को जन-जन तक पहुंचाने वाले महर्षि पतंजलि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः॥
परिपूर्णता का बोध कराने वाले इस मंत्र के जाप से एकाग्र शक्ति को बेहतर बनाने में काफी सहायता मिलती है।
ॐ भूर्भुव स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्।।
गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों में शक्तिशाली माना गया है। सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान इस मंत्र के जाप को प्रभावशाली माना गया है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)
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