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Jityaa Vrat 2025: क्यों किया जाता है जितिया पर निर्जला उपवास, जानें धार्मिक महत्व और मान्यता

Jityaa Vrat 2025 Significance: जितिया व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला व्रत है। ये व्रत मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और नेपाल में रखा जाता है।

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भारत

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Anamika Mishra

Sep 08, 2025

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जितिया उपवास, धार्मिक महत्व और मान्यता। (Image Source: Chatgpt)

Jityaa Nirjala Fast: हिंदू धर्म में जितिया एक ऐसा पर्व है जो माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए रखा जाता है। इस व्रत को व्रत जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। इस साल जितिया का व्रत 14 सितंबर, 2025 को मनाया जाएगा। इस व्रत की सबसे खास बात है कि इसे निर्जला उपवास, यानी बिना अन्न और जल के पूरा करना होता ङै।

क्यों रखा जाता है जितिया का व्रत (Significance Of Jitiya)

माताएं यह कठिन उपवास अपनी संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए करती हैं। मान्यता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करने से संतान पर आने वाला हर कष्ट और बाधा दूर हो जाती है।

पौराणिक मान्यता (Mythological Belief)

जितिया व्रत की कहानी राजा जीमूतवाहन से जुड़ी है। जीमूतवाहन, गंधर्व राजकुमार थे जिन्होंने एक नागिन के पुत्र को बचाने के लिए खुद अपने प्राण गरुड़ को अर्पित कर दिए थे। मान्यता के अनुसार, इस दिन विशेष रूप से इनकी प्रतिमा बनाकर पूजा करने से संतान की रक्षा होती है और संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है।

संतान के स्वास्थ्य के लिए करें ये उपाय (Vrat For Child Health)

इस दिन जीमूतवाहन की पूजा के साथ ही पीपल के पेड़ की पूजा करने की भी मान्यता है। महिलाएं पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर व्रत कथा सुनती हैं और पेड़ की परिक्रमा करती हैं। व्रत के पारण के बाद गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्रों का दान करें। माना जाता है ऐसा करने से सुख-समुद्धि की प्राप्ती होती है।

धार्मिक महत्व और लाभ (Religious Importance And Benefits)

  • संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए यह व्रत शुभ माना गया है।
  • यह व्रत मां के त्याग, तप और ममता का प्रतीक है।
  • इससे पारिवारिक सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।