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Karwa Chauth 2025 Date: 9 या 10 अक्टूबर? करवा चौथ की तारीख को लेकर चल रहा है असमंजस, पंचांग क्या कहता है?

Karwa Chauth 2025: हर साल सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखने वाला करवा चौथ व्रत इस बार तारीख को लेकर थोड़ी उलझन पैदा कर रहा है। कहीं 9 अक्टूबर का जिक्र हो रहा है, तो कहीं 10 अक्टूबर का। आइए पंचांग के आधार पर इसका स्पष्ट उत्तर जानते हैं।

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भारत

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MEGHA ROY

Oct 02, 2025

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Karva Chauth Vrat 2025|फोटो सोर्स – Patrika .com

Karwa Chauth 2025 Kab Hai: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए व्रत रखती हैं और विधिवत पूजा करती हैं। मान्यता है कि यह व्रत नारी के अखंड सौभाग्य का प्रतीक है और वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और शांति बनाए रखने में सहायक होता है।

अगर पति-पत्नी के रिश्ते में किसी प्रकार की बाधा या तनाव हो, तो करवा चौथ का व्रत करने से सकारात्मक फल मिलते हैं। ऐसे में इस वर्ष करवा चौथ कब है, व्रत और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है ? आइए जानें इस बार व्रत की सही तारीख और चंद्रोदय का समय।

करवा चौथ 2025 की सही तिथि (Karwa Chauth 2025 date)

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। वर्ष 2025 में यह तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे तक रहेगी।

चूंकि चतुर्थी तिथि का अधिकांश भाग 10 अक्टूबर को रहेगा और चंद्र दर्शन भी इसी दिन रात को 8:13 बजे होगा, इसलिए करवा चौथ व्रत 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा।

करवा चौथ 2025: पूजा का शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth Muhurat)

करवा चौथ पर पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिलाएं संपूर्ण दिन निर्जल व्रत रखती हैं और शाम को शुभ समय में पूजा करती हैं।

  • पूजन का समय: शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक
  • कुल अवधि: 1 घंटा 14 मिनट
  • चंद्रमा का उदय: रात 8:13 बजे

इस समयावधि में चौथ माता की पूजा करके चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है।

करवा चौथ व्रत और पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)

  • सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाई जाती है, जो सास द्वारा दी जाती है।
  • दिनभर निर्जल व्रत रखते हुए महिलाएं घर के कामों से निवृत्त होकर शाम को पूजा की तैयारी करती हैं।
  • चौथ माता की प्रतिमा अथवा चित्र के सामने बैठकर दीप जलाया जाता है और व्रत कथा सुनी जाती है।
  • करवा (मिट्टी का पात्र) में जल भरकर उसे देवी को अर्पित किया जाता है।
  • चंद्रमा निकलने पर छलनी से दीपक के साथ चांद का दर्शन किया जाता है।
  • फिर उसी छलनी से पति का चेहरा देखा जाता है और उसे जल पिलाकर व्रत तोड़ा जाता है।