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Kartik Maas 2025: कब से कब तक करें कार्तिक स्नान और क्या हैं इसके लाभ?

Kartik Mass 2025: मान्यता है कि कार्तिक के दौरान भगवान विष्णु स्वयं जल में वास करते हैं, इसलिए इस मास में पवित्र स्नान का विशेष महत्व होता है। जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।

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भारत

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MEGHA ROY

Oct 08, 2025

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Kartik Maas significance in Hinduism|फोटो सोर्स – Freepik

Kartik Maas Snan 2025: हिंदू धर्म में कार्तिक मास को सबसे पवित्र महीनों में माना गया है। इस महीने में किया गया हर धार्मिक कार्य, विशेषकर ब्राह्म मुहूर्त में स्नान, पुण्य और मोक्ष का द्वार खोलने वाला माना गया है। मान्यता है कि कार्तिक के दौरान भगवान विष्णु स्वयं जल में वास करते हैं, इसलिए इस मास में पवित्र स्नान का विशेष महत्व होता है।

कार्तिक स्नान 2025: आरंभ और समापन तिथि

कार्तिक माह की शुरुआत: 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार
पहला कार्तिक स्नान: 8 अक्टूबर 2025, बुधवार
कार्तिक पूर्णिमा (अंतिम स्नान): 5 नवंबर 2025, बुधवार

स्नान का शुभ मुहूर्त

कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान का विशेष महत्व होता है, और इसे अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। इस दिन का दैनिक ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:30 बजे से 5:30 बजे तक होता है, जो स्नान, ध्यान और पूजा के लिए श्रेष्ठ समय माना जाता है। विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा पर सुबह 4:52 बजे से 5:44 बजे तक का समय अत्यंत शुभ माना गया है, जब पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

कार्तिक स्नान की सही विधि

  • प्रत्येक दिन ब्रह्म मुहूर्त में जागें।
  • यदि संभव हो, तो नजदीकी पवित्र नदी, सरोवर या जलाशय में स्नान करें।
  • यदि बाहर जाना संभव न हो, तो नहाने के पानी में कुछ बूंदें गंगाजल मिलाएं।
  • स्नान के दौरान भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए संकल्प लें-“मैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति हेतु यह पवित्र स्नान कर रहा/रही हूं।”
  • स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण तथा तुलसी माता की पूजा करें।
  • प्रतिदिन तुलसी के पौधे के समीप घी का दीपक प्रज्वलित करें।

कार्तिक स्नान के लाभ


अनजाने में किए गए पापों का शमन होता है।
व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
जीवन में धन, सुख और समृद्धि बनी रहती है।
शरीर स्वस्थ और मन शांत रहता है।
नियमित पूजा-पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है।