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Mahalaxmi Vrat 2025: कब है व्रत, 14 या 15 सितंबर? जानें सटीक तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा का सही समय से जुड़ी पूरी जानकारी

Mahalaxmi Vrat 2025: महालक्ष्मी व्रत का पालन करने से धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। यह व्रत गजसालक व्रत नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस व्रत में गज पर बैठी मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।

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भारत

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MEGHA ROY

Sep 13, 2025

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Mahalaxmi Vrat puja time 2025|फोटो सोर्स – Freepik

Mahalaxmi Vrat 2025 Date: हिंदू धर्म में हर पर्व, हर व्रत और त्योहार का अपना अलग और विशेष महत्व है। इनमें से एक व्रत है महालक्ष्मी व्रत, जो हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है, जो विशेष रूप से मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। शास्त्रों में यह व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इस व्रत का पालन करने से धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। यह व्रत गजसालक व्रत नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस व्रत में गज पर बैठी मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। कुछ लोगों के मन में इस व्रत से जुड़ी असमंजस है कि महालक्ष्मी व्रत की सही तिथि 14 है या 15 सितंबर? पंचांग के अनुसार किस दिन रखना श्रेष्ठ रहेगा और किस समय पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी यह जानना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं।

जाने महालक्ष्मी व्रत की सही तिथि

महालक्ष्मी व्रत पितृपक्ष के दौरान भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को शुरू होगा। यानी कि 14 सितंबर 2025 रविवार को रखा जाएगा। यह व्रत प्रातः 5 बजकर 4 मिनट पर शुरू होगा, वहीं अगले दिन सुबह 03:06 बजे तक रहेगा। क्योंकि हिंदू धर्म में शुक्रवार से व्रत की शुरुआत को शुभ माना जाता है। 14 सितंबर को ही अष्टमी तिथि रहेगी, इसलिए महालक्ष्मी व्रत इसी दिन किया जाएगा।

महालक्ष्मी पूजन विधि

  • सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और हल्दी से कमल का चित्र बनाएं।
  • इस कमल पर गजलक्ष्मी स्वरूप (गजों के साथ बैठी माता लक्ष्मी) की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पूजा में श्रीयंत्र को अवश्य शामिल करें, क्योंकि यह मां लक्ष्मी का अत्यंत प्रिय यंत्र माना जाता है।
  • मां को सोने-चांदी के सिक्के, ताजे फल, फूल और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
  • एक कलश में स्वच्छ जल भरें, उसमें पान का पत्ता डालें और ऊपर नारियल रखकर उसे पूजा स्थल पर रखें।
  • अब माता को अक्षत, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।
  • व्रत के अंत में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करें।

मां लक्ष्मी का प्रिय भोग

गजलक्ष्मी व्रत के दिन मां को उनकी प्रिय वस्तुओं का भोग लगाना विशेष फलदायी माना गया है। इस अवसर पर मालपुए का भोग चढ़ाना अत्यंत शुभ है। मान्यता है कि मालपुए से मां लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और साधक को धन-धान्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

व्रत का उद्यापन कैसे करें?

  • सोलह दिन की भक्ति और साधना के बाद महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन अंतिम दिन करना अनिवार्य माना जाता है।
  • मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें और उनका प्रिय भोग तैयार करें।
  • इस भोग को पहले मां लक्ष्मी को अर्पित करें और फिर सुहागिन महिलाओं को भोजन कराएं।
  • उन्हें श्रृंगार की वस्तुएं भेंट करना बहुत शुभ माना जाता है।
  • पूजा के दौरान हाथ में बांधा गया 16 गांठों वाला धागा अंत में मां लक्ष्मी के चरणों में अर्पित करने के बाद पुनः हाथ में धारण किया जा सकता है।