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मार्क जुकरबर्ग भी मानते हैं नीम करोली बाबा की ये बातें, आपको भी जानना चाहिए

Mark Zuckerberg believes 20वीं सदी के संत कैंची धाम वाले नीम करोली बाबा के देश दुनिया में लाखों अनुयायी हैं। फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग हों, एप्पल के स्टीव जॉब्स हों या क्रिकेटर विराट कोहली, ऐसे अनेक नाम हैं जो बाबा नीम करोली की आध्यात्मक ऊर्जा से समाज को खुशियां देने में जुटे हैं। आइये जानते हैं बाबा नीम करोली की चार बातें, जिनके सेलिब्रिटी भी कायल हैं...

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Mark Zuckerberg believes on Neem Karoli Baba

नीम करोली बाबा की ये बातें मार्क जुकरबर्ग भी पसंद करते थे।

प्रत्येक व्यक्ति से प्यार करो और सच बोलो


नीम करोली बाबा इंसानियत के सच्चे पुजारी थे, उन्होंने अपने जीवनकाल में भक्तों को जो संदेश दिया है, उसका प्रसार हो तो यह दुनिया वाकई खूबसूरत बन जाय। नीम करोली बाबा ने दो बातों पर सबसे ज्यादा जोर दिया, पहला इंसानियत और दूसरा सच्चाई। वे प्राणी मात्र से प्रेम करने और सच बोलने का संदेश देते थे। वे किसी से द्वेष न करने और जितना संभव हो दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करते थे। कहते थे ऐसे काम करो जिससे समाज में लोगों के चेहरों पर मुस्कान आए। उद्यमी मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स और क्रिकेट विराट कोहली बाबा के इन संदेशों के मानने वाले हैं।

रूढ़िवाद और भेदभाव से सबको करते थे अलग

नीम करोली बाबा रूढ़िवाद और भेदभाव को पसंद नहीं करते थे और अपने भक्तों को इन बुराइयों से दूर ले जाते थे। वे इंसानों में ऊंच-नीच न करने की सीख देते थे। वे इसके लिए किसी पर दबाव नहीं डालते थे, लेकिन उनकी संगत में लोगों का दृष्टिकोण बदल जाता था। वे बाबा के आसपास आने वाले सभी जाति धर्म के भक्तों को प्यार से भोजन कराने के लिए सभी भक्तों को प्रेरित करते थे।

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इच्छा के बंधन से मुक्त हो जाएं

बाबा सभी भक्तों को इच्छा के बंधन से मुक्त होने की सीख देते थे। बाबा का मानना था जब तक व्यक्ति में इच्छा निहित है वह जीवन के चक्र में फंसा रहेगा, जबकि मुक्ति ही जीवन का लक्ष्य है। इसलिए व्यक्ति को सांसारिक इच्छाओं से परे होने का प्रयास करना चाहिए। यह विचार गीता के निष्काम कर्म योग से कुछ मिलता जुलता है। इच्छाएं नहीं रहेंगी तो व्यक्ति गलत कार्य के लिए आकर्षित भी नहीं होगा। इसलिए वह गलत काम नहीं करेगा और इससे संसार भी दिन ब दिन खूबसूरत होने लगेगा।

वचन निभाएं

नीम करोली बाबा वादे के पक्के थे, जो उनकी सच्चाई के रास्ते का भी अगला पड़ाव है। वे अपना वचन निभाने में तत्पर रहते थे और चाहते थे उनके भक्त भी सच्चाई के रास्ते पर चलें। इससे लोग खुश हो जाते थे। बाबा निर्मल मन वाले व्यक्तियों की मनोकामना पूरी करने में आगे रहते थे।

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