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Papankusha Ekadashi 2025: पापांकुशा एकादशी व्रत का फल पाने के लिए कब और कैसे करें पूजा? ज्योतिषी से जानिए

Papankusha Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है, जिनमें से एक पापांकुशा एकादशी है, जिसे बेहद पुण्यकारी व्रत माना जाता है। इस आर्टिकल में ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने पापांकुशा एकादशी के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत के नियमों के बारे में विस्तार से बताया है।

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भारत

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MEGHA ROY

Oct 02, 2025

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Papankusha Ekadashi 2025 Importance|फोटो सोर्स- Gemini@Ai

Papankusha Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है, जिनमें से एक पापांकुशा एकादशी है, जिसे बेहद पुण्यकारी व्रत माना जाता है। इस व्रत को भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है। इस दिन श्रद्धालुओं को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जो पापों से मुक्ति दिलाती है और जीवन में सुख एवं संतोष लाती है। यदि आप भी पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं और इसका पूरा लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो पूजा का सही समय और विधि जानना अत्यंत आवश्यक है।

इस आर्टिकल में ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने पापांकुशा एकादशी के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत के नियमों के बारे में विस्तार से बताया है, ताकि आपका व्रत पूर्ण रूप से फलदायी हो सके।

पापांकुशा एकादशी का महत्व

पापांकुशा एकादशी व्रत की तुलना किसी अन्य व्रत से नहीं की जा सकती। इस एकादशी के दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा और आराधना की जाती है, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। पापांकुशा एकादशी हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ सूर्ययज्ञ के समान फलदायी मानी जाती है। पद्म पुराण में वर्णित है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा पूर्वक सुवर्ण, तिल, भूमि, गाय, अन्न, जल, जूते और छाता दान करता है, उसे यमराज के दर्शन नहीं होते। साथ ही, जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में जागरण करता है, वह स्वर्ग का भागी बनता है। इस दिन किया गया दान अत्यंत शुभ फलदायी होता है।

पापांकुशा एकादशी कब है? (Papankusha Ekadashi Date)

  • एकादशी तिथि की शुरुआत- 02 अक्टूबर को शाम 07:10 मिनट पर
  • एकादशी तिथि का समापन- 03 अक्टूबर को शाम 06:32 मिनट परसनातन धर्म में व्रत सूर्योदय के समय की तिथि के अनुसार रखा जाता है, इसलिए 3 अक्टूबर को उपवास करना श्रेष्ठ रहेगा।

पापांकुशा एकादशी पूजा विधि ((Papankusha Ekadashi Puja Vidhi)

  • ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  • पूजा स्थान को साफ कर एक वेदी पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • उन्हें पीले फूल, पीली मिठाई, हल्दी और गोपी चंदन से सजाएं।
  • पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • पूजा में तुलसी पत्र अवश्य अर्पित करें (एक दिन पूर्व तोड़ा हुआ या गिरे हुए पत्ते उपयोग करें)।

पापांकुशा एकादशी पर इन मंत्रों का जाप करें

  • ॐ नमोः नारायणाय नमः।
  • ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः
  • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
  • ॐ विष्णवे नम: