
रामनवमी पर जानिए बच्चों की कैसे परवरिश करें कि वह भगवान राम के गुणों को सीखे
श्रीराम ने अपने पिता को वचन में निष्कलंक देखा था, इसलिए वे उसी परंपरा को जारी रखना चाहते थे और वनवास गए। इसलिए माता-पिता को स्वयं के जीवन मूल्यों का आत्म मूल्यांकन अवश्य करना चाहिए, ताकि बच्चे उनसे सीखें।
माता-पिता बनना जीवन का सबसे अमूल्य एवं खूबसूरत पल होता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है वैसे-वैसे माता-पिता का अनुभव भी बढ़ता जाता है। हर दिन अनेकों अनुभवों से कभी सही तो कभी गलत निर्णय और आत्ममंथन से स्वयं को सही दिशा देने का प्रयास जीवनभर निरंतर चलता रहता है। सफल अभिभावक वही है जो बच्चों का पालन-पोषण करके सशक्त व्यक्तित्व का विकास करने का प्रयास करें।
बच्चों में आत्म समान, आत्ममूल्य, स्वतंत्रता एवं आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास, दृढ़ता, सहानुभूति, करुणा, लचीलापन एवं समय-समय पर समस्या समाधान को सीखने का अनुभव प्रदान करें। श्रीराम की परवरिश से सीख लेकर आज के माता-पिता अपने बच्चों में मर्यादा और संस्कारों का बीज बो सकते हैं।
छोटी सी उम्र में माता कौशल्या ने अपने लाडले पुत्र को राजा दशरथ के आग्रह पर ऋषि विश्वामित्र को सौंप दिया। ऋषि विश्वामित्र ने राक्षसों को हराने के लिए राजा दशरथ से श्रीराम और लक्ष्मण जी को अपने साथ ले जाने की अनुमति मांगी, तब एक पिता का मन झिझका, क्योंकि राम और लक्ष्मण बहुत छोटे थे। लेकिन ऋषि विश्वामित्र पर भरोसा रखकर पुत्रों को उन्हें सौंप दिया।
इस प्रसंग से हर माता-पिता यही सबक ले सकते हैं कि एक अच्छा अभिभावक वही है, जो बच्चों के हित में निर्णय लेने से घबराए नहीं। अत्यधिक सुरक्षात्मक व्यवहार त्यागकर बच्चों को अनुभवों से सीखने का मौका दें।
श्रीराम ने वनवास एवं माता सीता हरण जैसी घटनाओं में अपने आत्मसंयम को बनाए रखा। धैर्यपूर्वक शत्रु के साथ युद्ध यह सिखाता है कि हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना चाहिए।
श्रीराम ने अपने माता-पिता के वचन के लिए वनवास स्वीकार किया। माता-पिता आदर्श प्रस्तुत कर बच्चों में भी संस्कारों को आगे बढ़ाने की सीख दें।
श्रीराम ने अपने जीवन में अनेकों मित्र बनाए और उन्हें निभाया। बच्चों को सिखाएं कि चरित्र निर्माण में दोस्त की भूमिका अहम होती है।
श्रीराम के जीवन से यह अनेक बार ज्ञात हुआ कि किस प्रकार उन्होंने परिवार और संबंधों को सर्वोत्तम रखा। चाहे मां कैकेयी के सम्मान की बात हो या भाइयों के लिए निर्णय। बचपन से ही पारिवारिक रिश्तों का महत्त्व बच्चों को समझाएं।
कुशल प्रबंधन से भगवान ने रावण को पराजित किया। नेतृत्व के इस गुण को भी सिखाएं।
Updated on:
17 Apr 2024 04:04 pm
Published on:
17 Apr 2024 03:26 pm
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