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नीलम रत्न केवल इन्हीं जातकों को पहनना चाहिए, जानें इसके असर व धारण करने का तरीका

- फायदेमंद हो तो रंक को भी बना देता है राजा, नहीं तो 24 घंटों में कर देता है बर्बाद- साथ ही आपको यह सूट करेगा या नहीं उसकी ऐसे करें पहचान - शनि के दोषों से बचने के लिए नीलम की जगह किसे करें धरण- हर एक रत्न की होती है अपनी एक खासियत

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Deepesh Tiwari

Mar 19, 2022

Neelam ratna

Neelam ratna

ज्योतिष के अनुसार किसी भी जातक को ग्रहों की स्थिति प्रभावित करती है। ऐसेे में ग्रहों को मजबूत करने या दुष्ट ग्रहों का प्रभाव कम करने के लिए हम कई तरह के उपाय करने के साथ ही उन ग्रहों के रत्नों का उपयोग करते हैं।

दअरसल ज्योतिष में हर ग्रह का कोई निश्चित रत्न बताया गया है, जो उस ग्रह को प्रभावित कर उसके प्रभाव को बढ़ाने या घटाने का कार्य करता है। इनमें जहां सूर्य के लिए माणिक्य तो चंद्र के लिए मोती, वहीं मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, केतु के लिए लहसुनिया तो शनि के लिए नीलम माना गया है। ऐसे में आज हम आपको नीलम के संबंध में जानकारी दे रहे हैं।

ज्योतिष के जानकार पंडित एके शुक्ला के अनुसार रत्नों में नीलम सबसे जल्द असर देने वाले के साथ ही अत्यंत ताकतवर माना गया है। शनि को समर्पित यह नीलम रत्न जिसे फलित होता है तो यह उस जातक को रंक को राजा तक बना देता है।

वहीं जिन्हें यह पूर्ण अशुभ फलित होता है उसके संबंध में तो यह तक कहा जाता है कि ऐसे जातक के द्वारा इसे धारण करने पर यह 24 घंटों में मौत तक प्रदान कर देता है।

इसके अलावा कई बार पूर्ण रूप से फलित नहीं होने पर यह राजा को तक रंक बनने में देर नहीं लगाता। इसलिए किसी जानकार ज्योतिष की सलाह के बिना इसे कतई धारण नहीं करना चाहिए।

जानिए किन लोगों के लिए नीलम रत्न धारण करना है फायदेमंद।

सामान्यत: इन्हीं को पहनना चाहिए नीलम रत्न
- माना जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में शनि कमजोर स्थिति में होता हैं, ऐसे लोग नीलम रत्न को धारण कर सकते हैं।

- इसे अलावा यदि जन्मपत्रिका के चौथे, पांचवें, दसवें या फिर 11वें भाव में शनि हो तो ऐसे जातक भी नीलम को धारण कर सकते हैं।

- वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि जिस जातक की कुंडली में शनि की साढ़े साती, ढैय्या, महादशा चल रही हो तो सामान्यत: ऐसे जातकों के द्वारा नीलम रत्न धारण करना शुभ साबित हो सकता है।

- इसके अलावा यदि कुंडली में शनि, गुरु का नवपंचम योग है और शनि का किसी दूसरे ग्रह के साथ प्रतियोग नहीं है, तो ऐसे जातकों के लिए रत्न रत्न पहनना शुभ रहता है।

- वहीं यदि शनि शुभ भावों का प्रतिनिधित्व कर रहा हैं और वह वक्री या दुर्बल है तो सामान्यत: ज्योतिष की सलाह से नीलम रत्न रत्न धारण किया जा सकता है।

- शनि के षष्ठेश या फिर अष्टमेश के संग बैठने पर भी जातक नीलम पहन सकते हैं।

लेकिन नीलम को धारण करने से पहले इतना अवश्य याद रखें कि बिना किसी जानकार की सलाह के इसे कतई धारण न करें कारण ये है कि माना जाता है कि इसका प्रभाव अत्यधिक तेज होता है जिसके कारण हर कोई इसे सहन नहीं कर पाता। वहीं अत्यधिक जल्द यह शुभ व अशुभ दोनों तरह के प्रभाव देता है यहां तक कि यह भी माना जाता है कि कई बार यह किसी के लिए पूर्णत: अशुभ होने पर उसे 24 घंटों के अंदर मौत या मृत्यु तुल्य दर्द प्रदान करता है।

नीलम शुभ या अशुभ की ऐसे करें पहचान : धारण करने से पहले अवश्य कर लें ये टेस्ट-

: जानकारों के अनुसार नीलम को धारण करने से पहले इसे एक सप्ताह तक एक नीले कपड़े में लपेटकर तकिए के नीचे रख कर नींद लेनी चाहिए, जानकारों का कहना है कि यदि ऐसा करने पर यह आपको अच्छे स्वप्न देता है तो ठीक, लेकिन यदि ये बुरे स्वप्न दिखाता है या आपको किसी तरह की बैचेनी का सामना करना पड़ता है तो इसे किसी भी स्थिति में धारण नहीं करना चाहिए।

: इसे अतिरिक्त यदि यह आपकी नींद के दौरान आपके तकिए से इधर उधर सरक कर कहीं ओर चला जाता है, तो भी इसे धारण योग्य नहीं मानना चाहिए।

नीलम नहीं तो इसका करें उपयोग
यदि जातक की स्थिति ऐसे नहीं है कि वह नीलम धारण कर सके या उसके लिए शनि काफी घातक स्थिति में हो तो ऐसी स्थिति में जातक घोड़े के नाल से बने या नाव की कील से बने लोहे के छल्ले का उपयोग कर सकता है।

इस छल्ले को शनिवार के दिन किसी शनि का दान मांगने वाले के तेल से भरे कटोरे में जिसमें शनि देव की मूर्ति भी हो डाल दें, फिर शनि का दान मांग रहे युवक को कुछ पैसे (छल्ले की कीमत से कम से कम दुगनी कीमत) देकर उससे ही इस छल्ले को वापस लेकर अपनी मध्यमा अंगुली में धारण कर लें। इसके अलावा आप नीली का भी उपयोग कर सकते हैं।

नीलम रत्न को धारण करने का तरीका
नीलम रत्न को मुख्य रूप से सोने की अंगूठी में ही धारण करना चाहिए, लेकिन यदि यह संभव न हो तो इसे जातक पंच धातु में भी धारण किया जा सकता है। इसे शनिवार के दिन धारण करना चाहिए। साथ ही इसे धारण करने वाले दिन नीलम को पूजा वाले स्थान में काले कपड़े के ऊपर रख दें।

इसके बाद एक कटोरी में दूध और पानी लें और इसमें रत्न को डाल दें। इसके बाद शनि के मंत्र 'ऊँ प्रां प्रीं स: शनैश्चरा नम:' का 108 बार जाप करना चाहिए। इसके पश्चात कटोरी में से अंगूठी को निकालकर उसे गंगाजल से धोकर सीधे हाथ की मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए। इसके पश्चात भगवान शिव की आरती अवश्य करनी चाहिए।

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