इस मांग पर राजा विक्रमादित्य असमंजस में पड़ गए। क्योंकि वे जानते थे, जिस ग्रह को वो छोटा बताएंगे, उम ग्रह का प्रकोप उन्हें सहना पड़ेगा। उन्होंने नवग्रहों के धातु के धातु के अनुसार सोना, चांदी, कांसा, पीतल, शीशा, रांगा, जस्ता, अभ्रक और लोहे के नौ सिंहासन बनवाए। जिममें सोने का सिंहासन सबसे आगे और लोहे का सिंहासन सबसे पीछे रखवाया।
अभी इन राशियों पर चल रही ढैय्या-साढ़े साती
वर्तमान में कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर जहां शनि की ढैय्या चल रही है, वहीं पर कुंभ और मीन राशि पर शनि को साढ़ेसाती का असर है। मान्यता है कि आकाशीय न्यायालय में ढैय्या हो या साढ़ेसाती, ये सब शनि द्वारा रचित कर्मफल विधान हैं, जिसके अनुसार पूर्व में किए गए कर्मों का फल भाग्य के रूप में व्यक्ति के सामने आता है तथा वर्तमान में किए गए शुभ कर्म भविष्य बनाते हैं।
शनिवार पूजा का महत्व
कर्मफल जनित ज्ञात-अज्ञात दोषों से मुक्ति और मनोकामनापूर्ति के लिए शनिवार को पूजा करनी चाहिए। आजीविका में उतार-चढ़ाव, जीवन के संघर्षों में सफलता, रोग-शोक निराकरण के लिए शनिवार की पूजा दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का अवसर प्रदान करती है।