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सोमवती अमावस्या 2022: पितृदोष और शनि दोष समेत जीवन के हर संकट से मुक्ति दिला सकते हैं ये उपाय

locationनई दिल्लीPublished: May 29, 2022 12:54:33 pm

Submitted by:

Tanya Paliwal

Somvati Amavasya 2022 Ke Upay: इस साल 30 मई को सोमवती अमावस्या के साथ शनि जयंती और वट सावित्री व्रत का संयोग बहुत खास बताया जा रहा है। ऐसे में इन उपायों को करने से जीवन की हर बाधा से मुक्ति मिल सकती है।

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सोमवती अमावस्या 2022: पितृदोष और शनि दोष समेत जीवन के हर संकट से मुक्ति दिला सकते हैं ये उपाय

Somavati Amavasya May 2022, Shani Jayanti And Vat Savitri Vrat: सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या सोमवती अमावस्या कही जाती है। इस वर्ष 2022 में सोमवती अमावस्या कल यानी 30 मई को पड़ रही है। इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत पड़ने से यह दिन ज्योतिष की दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। इस दिन भोलेनाथ, माता पार्वती और पीपल के वृक्ष की पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है। वहीं ज्योतिष के अनुसार जीवन में सुख-समृद्धि बनाए रखने और हर संकट से मुक्ति पाने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन इन उपायों को लाभकारी माना गया है…

1. आर्थिक मजबूती के लिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाएं और साथ ही माता पार्वती की पूजा करें। माना जाता है कि इस उपाय द्वारा आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

2. शनि महादशा से मुक्ति पाने के लिए
सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष, शनि महादशा, शनि की साढ़ेसाती और अन्य जीवन के कष्टों से छुटकारा पाने के लिए पीपल के पेड़ में जल अर्पित करने के साथ ही पूजा बहुत फलदाई मानी गई है।

3. ग्रह शांति के लिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान-पुण्य को भी बहुत महत्व दिया गया है। इससे कुंडली में ग्रह दोष समाप्त होने के साथ ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

4. पितृ शांति के लिए
अपने पितरों को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद से करने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन गीता के 7 अध्याय का पाठ करना शुभ माना जाता है।

5. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए
माना जाता है कि जिस व्यक्ति पर शनिदेव की कृपा होती है उसे जीवन में किसी चीज का भय नहीं होता और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। ऐसे में सोमवती अमावस्या के दिन प्रातः काल स्नान के बाद पीपल के पेड़ की जड़ में मीठा दूध चढ़ाएं। इसके बाद तेल का एक दीपक जलाएं जिसकी लौ पश्चिम दिशा की तरफ हो। साथ ही ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए पेड़ की परिक्रमा करें।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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