
Tulsi worship in Hinduism
Tulsi Puja Niyam: तुलसी पूजा हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है और इसे विशेष रूप से घरों में किया जाता है। तुलसी के पौधे को "विष्णु की प्रिय" माना जाता है, और यह पूजा धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मगर, इस पूजा के लिए कुछ खास नियम और परंपराएं भी हैं जिन्हें ध्यान में रखना जरूरी है।हालांकि तुलसी पूजा का महत्व हर घर में समझा जाता है, लेकिन कुछ खास लोग हैं जिनके लिए तुलसी पूजा करना निषेध है। इसके पीछे कुछ धार्मिक और आचार्यिक कारण होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है। क्या आप जानना चाहते हैं कि ये लोग कौन हैं और क्यों तुलसी पूजा के लिए उन्हें मना किया गया है? आइए, जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
जिन घरों में नियमित रूप से शराब, मांस, लहसुन-प्याज जैसी तामसिक चीजों का सेवन होता है, वहां तुलसी पूजन का कोई लाभ नहीं माना जाता। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी अत्यंत सात्विक मानी जाती है और अशुद्ध आचरण वाले घरों में मां लक्ष्मी प्रसन्न नहीं रहतीं। इससे धीरे-धीरे घर में दरिद्रता और कलह बढ़ने लगता है।
शास्त्रों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बिना स्नान किए तुलसी पूजन वर्जित है। जो लोग रोजाना सुबह स्नान नहीं कर पाते या जीवनशैली के कारण देर से स्नान करते हैं, उन्हें तुलसी के सामने दीपक या जल अर्पित नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पूजा का पुण्यफल नहीं मिलता बल्कि दोष लग सकता है।
कई लोग तुलसी को मात्र सजावट या औषधीय पौधे के रूप में घर में रख लेते हैं लेकिन उसकी पूजा नहीं करते। यदि तुलसी को घर में स्थापित किया है तो उसका नियमित पूजन आवश्यक है। यदि श्रद्धा और विधि से पूजा नहीं होती तो इसे दोषपूर्ण माना जाता है और यह घर की शांति और समृद्धि पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।
ऐसा भी कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने आचरण में सत्य और पवित्रता नहीं रखता, झूठ बोलता है, छल-कपट करता है या अनैतिक कार्यों में संलग्न है, उसे तुलसी की पूजा नहीं करनी चाहिए। तुलसी पूजा में शुद्ध मन और अच्छे आचरण की सबसे बड़ी आवश्यकता मानी गई है।
हिंदू परंपरा के अनुसार घर में तुलसी लगाने के लिए गुरुवार और शुक्रवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इन दिनों में तुलसी का रोपण करने से व्यक्ति को अच्छे परिणाम मिलते हैं और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।
धार्मिक मान्यता है कि द्वादशी तिथि, सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय और सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इन अवसरों पर तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए उपवास रखती हैं। इसलिए इन तिथियों और समय पर तुलसी दल का स्पर्श या तोड़ना अशुभ माना जाता है।
Published on:
30 Aug 2025 04:38 pm
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