ज्योतिषाचार्य और सनातन धर्म के विद्धान बताते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना जाता है। यही कारण है कि नए व्यवसाय की शुरुआत, भवन के शिलान्यास, मांगलिक कार्यों आदि के लिए भी यह बहुत अच्छा मुहूर्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान भी जरूर करना चाहिए। इस दिन रात को चंद्रमा को जल अर्पित करना चाहिए.
सनातन धर्म के ग्रंथों में कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से उल्लेखित किया गया है। कहा जाता है कि त्रिपुरासुर नामक दानव ने देवताओं को परेशान कर रखा था। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया गया था. इसलिए कार्तिक माह की पूर्णिमा त्रिपुरारी पूर्णिमा या त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाती है।
कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी कहा जाता है. इससे भी एक पौराणिक कथा जुड़ी है जोकि त्रिपुरासुर से ही संबंधित है। कथा के अनुसार भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा पर त्रिपुरासुर का वध किया था। त्रिपुरासुर की मृत्यु और उसके आतंक से मुक्ति मिल जाने पर देवताओं ने स्वर्ग में दीये जलाकर खुशी मनाई। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन को देव दिवाली कहा जाने लगा।