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अधिकमास/पुरुषोत्तम मास : आ रहा है भक्ति, पूजा व उपवास से श्रेष्ठ मास, जानें इस समय क्या करें व क्या नहीं

18 सितंबर से हो रहा शुरू...

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Adhikmass : do and don't do in this month these work

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पितृ पक्ष की समाप्ति के साथ ही इस बार यानि 2020 में अधिकमास 18 सितंबर से शुरू हो रहा है। इस साल अधिक मास में 15 दिन शुभ योग बन रहे हैं। अधिक मास के दौरान सर्वार्थसिद्धि योग 9 दिन, द्विपुष्कर योग 2 दिन, अमृतसिद्धि योग एक दिन और दो दिन पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है।

दरअसल उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र शुक्ल योग में 18 सितंबर से पुरुषोत्तम मास प्रारंभ हो रहा है। यह अधिकमास भी कहलाता हैं। इस मास में पूजा, भक्ति, आराधना, तप, जप, योग, ध्यान आदि को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस बार यह पुरुषोत्तम मास 16 अक्टूबर तक रहेगा, वहीं इस माह में 14 दिन शुभ योग रहेंगे। जिसमें 9 सर्वार्थसिद्धि योग, 2 दिन द्विपुष्कर योग, 1 दिन अमृतसिद्धि योग और 1 दिन रवि पुष्य नक्षत्र रहेगा। इनमें पुरुषोत्तम मास का पहला दिन यानि 18 सितम्बर भी शुभ दिन है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार के अनुसार पुरुषोत्तम मास भगवान की आराधना व भक्ति का मास रहता है। इस मास में भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। उनके मुताबिक यह मास उपवास, पूजा पाठ, यज्ञ, हवन, श्रीमद भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण आदि का मनन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। अधिक मास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु जी हैं, इसीलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस पूरे समय भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है।

आमतौर पर अधिकमास में हिंदू श्रद्धालु, व्रत, पूजा- पाठ, ध्यान, भजन, कीर्तन, मनन आदि करते हैं। पौराणिक सिद्धांतों के अनुसार, इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन, मनन करने का भी विशेष महत्व है। यह बेहद फलदायी होता है। मान्यता है कि इस मास में अगर व्यक्ति जमीन पर सोए और एक ही समय भोजन करे तो उसे अनंत फल प्राप्त होते हैं।

ऐसे बना ये माह पुरुषोत्तम मास
पौराणिक कथाओं के अनुसार इस माह का कोई भी स्वामी होना नहीं चाहता था, तब इस मास ने भगवान विष्णु से अपने उद्धार के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी ने उन्हें अपना श्रेष्ठ नाम पुरषोत्तम प्रदान किया। साथ ही यह आशीर्वाद दिया कि जो इस माह में श्रीमद् भागवत कथा श्रवण, मनन, भगवान शंकर का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि करेगा, वह अक्षय फल प्रदान करने वाला होगा। इसलिए इस माह दान-पुण्य अक्षय फल देने वाला माना जाएगा।

लेकिन पितृ पक्ष की ही तरह अधिकमास में कोई मुहूर्त नहीं होगा। ऐसे में अगर कोई अपनी नई दुकान, घर, वाहन या किसी अन्य मांगलिक कार्य को नवरात्र में शुरू करने पर विचार कर रहा है तो उसे अभी और इंतजार करना होगा।

अक्षय पुण्य फल देगा ये मंत्र:
गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।।

शुभ योग में अधिक मास की शुरुआत...
ज्योतिष के जानकार पं. शर्मा के अनुसार अधिक मास की शुरुआत ही 18 सितंबर को शुक्रवार, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल नाम के शुभ योग में होगी। ये दिन काफी शुभ रहेगा। इसके साथ ही इस दौरान 26 सितंबर एवं 1, 2, 4, 6, 7, 9, 11, 17 अक्टूबर सर्वार्थसिद्धि योग होने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होंगी।

इसके अलावा 19 व 27 सितंबर को द्विपुष्कर योग भी है। इस योग में किए गए किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है। इस बार अधिक मास में दो दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है। 10 अक्टूबर को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर को सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह ऐसी तारीखें होंगी, जब कोई भी आवश्यक शुभ काम किया जा सकता है। यह तिथियां खरीदार इत्यादि के लिए शुभ मानी जाती हैं। इसलिए इन तिथियों में की गई खरीदारी शुभ फलकारी होती है।

अधिक मास में ये करें दान:
कृष्ण पक्ष का दान: घी से भरा चांदी का दीपक,सोना या कांसे का पात्र,कच्चे चने,खारेक,गुड़, तुवर दाल,लाल चंदन,कर्पूर, केवड़े की अगरबत्ती,केसर,कस्तूरी,गोरोचन,शंख,गरूड़ घंटी,मोती या मोती की माला,हीरा या पन्ना का नग

शुक्ल पक्ष का दान: माल पुआ,खीर भरा पात्र,दही,सूती वस्त्र,रेशमी वस्त्र,ऊनी वस्त्र,घी,तिल गुड़,चावल,गेहूं,दूध,कच्ची खिचड़ी,शक्कर व शहद,तांबे का पात्र,चांदी के नन्दीगण।

पुरुषोत्तम मास में भूलकर भी न करें ये गलतियां...
: इन माह में मांसाहारी चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही प्याज, लहसुन, गाजर, मूलू, दाल, तेल और दूषित अन्य को छोड़ देना चाहिए।

: इन दिनों में किसी पराई स्त्री को नहीं देखना चाहिए। सभी का सम्मान करना चाहिए। देवी-देवता, ब्राह्मण, गाय, साधु-संयासी, बड़े-बुजुर्ग की सेवा और आदर करना चाहिए।

: इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

: इन दिनों में साधारण जीवन जीना चाहिए। जैसे कि जमीन पर सोना, पत्तल पर खाना और धर्मभ्रष्ट संस्कारहीन लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए।