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15 या 16 मई, कब मनाई जाएगी बुद्ध पुर्णिमा? जानें क्या है इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि

uddha Purnima 2022: भौतिक सुखों को त्यागकर सत्य की खोज में तपस्वी जीवन को अपनाने वाले गौतम बुद्ध के जन्म दिवस के रूप में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और बुद्ध के साथ चंद्रदेव की पूजा करना फलदायी होता है।

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15 या 16 मई, कब मनाई जाएगी बुद्ध पुर्णिमा? जानें क्या है इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि

Buddha Purnima 2022 Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Significance: हर साल वैशाख मास की दूसरी पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था। माना जाता है कि गौतम बुद्ध विष्णु भगवान का नौवां अवतार हैं। शास्त्रों के अनुसार इस पूर्णिमा तिथि पर भगवान नारायण और बुद्ध के साथ चंद्रदेव की पूजा करना फलदायी होता है। तो आइए जानते हैं इस साल बुद्ध पूर्णिमा कब है तथा साथ ही जानें क्या है इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि...

कब मनाई जाएगी बुद्ध पूर्णिमा- इस साल 2022 में बुद्ध पूर्णिमा 16 मई 2022 को सोमवार के दिन मनाई जाएगी।

क्या है इस दिन का महत्व:
विद्वानों के अनुसार, माना जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन श्री विष्णु और चंद्र देव की विधि-विधान से पूजा और उपासना करने से आत्मबल, मान-सम्मान में वृद्धि होने के साथ ही धन लाभ के योग बनते हैं। बुद्ध पुर्णिमा के दिन दान आदि का भी खास विधान है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना अधिक फलदायी होता है। वहीं मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा या बुद्धा पूर्णिमा का व्रत रखने से मनुष्य के पाप नष्ट होने के साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वैशाख पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त:
वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा का व्रत 16 मई को सोमवार के दिन रखा जाएगा। पंचाग के अनुसार, शुभ मुहूर्त 15 मई, रविवार को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से 16 मई, सोमवार को सुबह 9 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

पुर्णिमा पूजा विधि:
बुद्ध पूर्णिमा के दिन व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो आप घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं। इस दौरान वरुण देवता का ध्यान करें। नहाने के बाद सूर्य देव को मंत्रों के उच्चारण के साथ अर्घ्य देते हुए बहते जल में तिल प्रवाहित करें। इस दिन पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। वहीं ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पूजा के बाद इस दिन दान-पुण्य करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)


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