
Monday on Chaitra Shukla Dashmi
हिंदुओं में जहां हर सोमवार भगवान शिव शंकर का दिन माना जाता है। वहीं इस चैत्र नवरात्र की समाप्ति के ठीक बाद यानि 11 अप्रैल 2022 को पड़ने वाले सोमवार के दिन भाजपा की वरिष्ठ नेता सुश्री उमा भारती मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में मौजूद रायसेन किले में स्थित सोमेश्वर धाम (शिव मंदिर) के शिवलिंग पर जल चढ़ाने जाने वालीं हैं। ऐसे में एक बार फिर देश में चैत्र नवरात्र के ठीक बाद पड़ने वाले सोमवार की महत्वता को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरु हो गई हैं।
दरअसल कई दशकों से यह शिवालय ताले में बंद है, जो सिर्फ महाशिवरात्रि के दिन 12 घंटों के लिए दर्शनार्थियों के लिए खोला जाता है। उमा भारती द्वारा चैत्र शुक्ल की दशमी को इस किले में स्थित सोमेश्वर शिव मंदिर में जल चढ़ाने की बात को लेकर यह मंदिर एक बार चर्चाओं में आ गया है।
पंडित उपाध्याय के अनुसार दरअसल कई धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की पूजा से पहले माता पार्वती की पूजा की जानी चाहिए। माना जाता है ऐसा करने से ही भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उनकी पूजा पूर्ण होती है। वहीं नवरात्रि के बाद आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा को अति विशेष माना गया है।
ऐसे में नवरात्रि की देवियों का स्वरूप माता पार्वती से जुड़ा माना गया है, जिसके चलते नवरात्र (देवी के विभिन्न स्वरूप जिन्हें मां पार्वती का ही रूप माना जाता है) के पश्चात आने वाले सोमवार यानि भगवान शिव की पूजा, माता पार्वती की पूजा के बाद भगवान शिव की पूजा के रूप में मानी जाती है।
वहीं ये भी मान्यता है कि इस प्रकार माता पार्वती के साथ सभी गणों और नंदी से घिरे भगवान शिव की पूजा करने से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। वहीं भगवान शिव-पार्वती के साथ कार्तिकेय का पूजन करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
ऐसे में विभिन्न ज्योतिष के जानकारों व पंडितों के अनुसार नवरात्र के ठीक बाद आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा किसी खास मनोरथ के तहत की जाती है।
वहीं इस बार यानि चैत्र नवरात्रि 2022 के ठीक बाद यानि दशमी के दिन ही सोमवार पड़ने से इस बार इस सोमवार को भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत विशेष माना जा रहा है।
जानकारों का कहना से सामान्यत: नवरात्रि की नवमी के दो चार दिन बाद पड़ने वाला सोमवार भी शिव पूजन के लिए काफी विशेष माना जाता है, लेकिन देवी पूजा के बाद कुछ दिन खाली चले जाने से इस सोमवार की विशेषता इतनी ज्यादा न होकर केवल सामान्य सोमवार से कुछ अधिक होती है।
वहीं नवमी के ठीक अगले ही दिन अर्थात नवरात्र की दशमी पर यानि देवी पूजा के दिनों के ठीक अगले दिन सोमवार होने पर शिव पूजा का अत्यंत महत्व माना जाता है, इसका कारण ये है कि देवी पूजा के दिनों के बाद एक भी दिन खाली न जाते हुए देवी पूजन के ठीक बाद सोमवार होने से शिव पूजन होता है। जिसे देवी पार्वती की पूजा के ठीक बाद शिव पूजा के रूप मे माना जाता है। ऐसे में भगवान शिव को प्रसन्न करना अत्यंत सरल व विशेष माना गया है।
जानकारों के अनुसार भगवान शिव के वार सोमवार को भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से समस्त क्लेशों से मुक्ति मिलने के साथ ही मनोकामना भी पूर्ण होती है।
यहां ये बात भी समझ लें कि नवरात्र से जुड़ा हुआ दशमी का सोमवार शिव पूजन में विशेष महत्व रखता है, नवरात्र में जहां माता के विभिन्न रूपों का पूजन किया जाता है, वहीं इसके ठीक बाद शिव की पूजा यानि भगवान शंकर से पहले माता पार्वती की पूजा होने से भगवान शिव तो प्रसन्न होंगे ही, माता के नवरात्र की पूजा भी नियम के अनुसार होने से देवी मां भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देंगी।
जानकारों के अनुसार इस दिन यानि नवरात्र के ठीक बाद वाले सोमवार को शिव पूजा के दौरान भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल अवश्य चढ़ाना चाहिए। वहीं इस सोमवार के दिन भगवान शिव की प्रिय चीजें चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा या आंकड़े के फूल उन्हें अवश्य चढ़ाएं। माना जाता है कि इन्हें चढ़ाने पर भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते है।
वहीं कई पंडितों व जानकारों का ये भी मानना है कि सुश्री उमा भारती द्वारा की जाने वाली ये पूजा किसी विशेष मनोकामना के तहत हो भी सकती है और नहीं भी। जहां तक मनोकामना के तहत कि बात है तो इस संबंध में लोगों का मानना है कि शायद किसी विशेष राजनैतिक या सामजिक या देश के संबंध को लेकर उनकी मनोकामना हो सकती है। वहीं जहां तक बिना किसी विशेष मनोकामना की बात है तो कई लोगों यह भी कहना है कि सुश्री उमा भारती एक साध्वी हैं, जो हमेशा ही भगवान शिव की भक्त रहीं हैं। ऐसे में भक्ति के तहत ही उनके द्वारा इस चैत्र शुक्ल पक्ष की दशमी को रायसेन किले में स्थित सोमेश्वर धाम (शिव मंदिर) के शिवलिंग पर जल चढ़ाया जा सकता है।
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Updated on:
10 Apr 2022 01:23 pm
Published on:
10 Apr 2022 01:20 pm
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