
चाणक्य नीति: इन 3 चीजों के प्रति असंतोष की भावना ही मनुष्य को ले जाती है बर्बादी की ओर!
आचार्य चाणक्य की नीतियां मनुष्य को जीवन के विभिन्न पड़ावों पर आने वाली चुनौतियों का सूझ बूझ से सामना करने की सीख देती हैं और सफलता प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन भी करती हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य जीवन भर खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से संतुष्ट करने की कोशिश में लगा रहता है। लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिनके प्रति असंतोष की भावना रखने से यह लालसा मनुष्य को बर्बादी की तरफ ले जाती है। तो आइए जानते हैं चाणक्य नीति के अनुसार किन चीजों के प्रति मनुष्य का संतुष्ट होना ही बेहतर है...
1. धन
चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति जीवन में कितना ही रुपया पैसा क्यों न कमा ले, उसकी इच्छा कभी खत्म नहीं होती। मनुष्य हमेशा इसी प्रयास में रहता है कि उसे कहां से और किन तरीकों से अधिक से अधिक धन प्राप्त हो। और कई बार लोग इसी असंतुष्टि के कारण गलत कार्यों को करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। जो न केवल आपके बल्कि अपने घर परिवार के लिए भी कई समस्याएं पैदा करती है। ऐसा व्यक्ति अपने रिश्तों से तो दूर हो ही जाता है, साथ ही समाज में या कहीं भी उसका मान सम्मान नहीं होता।
2. स्त्री
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपनी स्त्री के गुणी और सुंदर होने के बावजूद उससे संतुष्ट नहीं होता और अन्य स्त्रियों के प्रति आकर्षित रहता है, तो यह असंतोष मनुष्य को पूरी तरह से बर्बाद कर देता है। ऐसा व्यक्ति किसी के विश्वास के लायक नहीं रह जाता।
3. भोजन
चाणक्य नीति के मुताबिक जो व्यक्ति कितना भी अच्छा भोजन मिलने के बावजूद उसकी बुराई करता है और मन से भोजन ग्रहण नहीं करता, उसे जीवन में बहुत दुखों का सामना करना पड़ता है। मनुष्य को भोजन खुशी से और संतुष्टि की भावना से ही ग्रहण करना चाहिए। ऐसा मनुष्य शारीरिक और मानसिक रूप से खुश रहता है।
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Updated on:
29 Apr 2022 03:47 pm
Published on:
29 Apr 2022 03:46 pm
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