scriptBaglamukhi Jayanti 2021: मां पीताम्बरा देवी अपने भक्तों के शत्रुओं का करती हैं विनाश, इसलिए कहलाती हैं विजय की देवी | Goddess of Rajsatta known as maa pitambara devi | Patrika News

Baglamukhi Jayanti 2021: मां पीताम्बरा देवी अपने भक्तों के शत्रुओं का करती हैं विनाश, इसलिए कहलाती हैं विजय की देवी

locationभोपालPublished: May 20, 2021 01:49:06 pm

मां बगलामुखी यंत्र मुकदमों में सफलता और सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ…

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हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। इस दिन विधि विधान से मां बगलामुखी की पूजा की जाती है। ऐसे में इस वर्ष आज यानि गुरुवार, 20 मई 2021 को मां बगलामुखी जयंती मनाई जा रही है। बगलामुखी माता का एक अन्य नाम देवी पीताम्बरा भी है।

बगलामुखी जयंती 2021 शुभ मुहूर्त-
गुरुवार, 20 मई 2021 को 11.50 मिनट से 12.45 मिनट तक।


दरअसल मां बग्लामुखी को आठवीं महाविद्या माना जाता हैं। वहीं इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट क्षेत्र में माना जाता है। इनका प्रकट हल्दी रंग के जल में होना बताया जाता है। ऐसे में हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं।

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इनके कई स्वरूप माने गए हैं। माना जाता है कि इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष फल मिलता है। मां बगलामुखी अपने भक्तों के भय को दूर करने के साथ ही उनके शत्रुओं का भी नाश करती हैं। माता रानी को पीला रंग अतिप्रिय है। इसलिए इनको पीले रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं।
ये शत्रुनाश की देवी हैं। भक्त अपने शत्रुओं के नाश के लिए माता की उपासना करते हैं। मां की उपासना करने के लिए मां का एक मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया में भी बना हुआ है। विश्व भर में ये मां का एकलौता मंदिर माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण संत स्वामी जी महाराज ने 1935 में कराया था।
मंदिर के पहले इस स्थान पर शमशान हुआ करता था। स्वामी जी ने 1929 में दतिया आए थे। यहां बने म्यूजियम में स्वामी जी द्वारा उपयोग की जानी वाली सभी वस्तुएं आज भी मौजूद हैं। जिसमें चीते की खाल की बनी उनकी बैठक भी मौजूद है।
मां पीताम्बरा की प्रसिद्धि केवल देश में ही न होकर विदेशों तक भी है, ऐसे में माता के दरबार में कई बार विदेशों से आने वाले भक्तों की भीड़ भी लगी है। दतिया शहर की मुख्य पहचान तक माता पीताम्बरा के मंदिर से ही है। अपने कार्यों की पूर्ति के लिए यहां उपसकों की भीड़ लगी रहती है।
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यहां देश-विदेश से लोग मां की साधना करने के लिए मंदिर में आते हैं और मां को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना करते हैं। नवरात्रों में मां की साधना करने कई हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। देश के कई प्रमुख पदों पर रह चुके मंत्रियों से लेकर बड़े बड़े अधिकारी व नेता भी यहां माता के चरणों में माथ टेकने आ चुके हैं।

राजसत्ता की देवी…
मान्यता के अनुसार देवी पीताम्बरा शत्रुओं का नाश करने वाली देवी हैं। राजसत्ता की चाह रखने वाले लोगों की भीड़ यहां पर सदैव ही देखी जा सकती है। अपने कष्टों का नाश करने के लिए भक्त यहां पर गुप्त रूप से पूजा अर्चना और यज्ञ करवाते हैं। कहा जाता है कि ऐसा आज तक कभी हुआ ही नहीं कि किसी भी भक्त की प्रार्थना निष्फल गई हो।

मां पीतांबरा शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी है और राजसत्ता प्राप्ति में मां की पूजा का विशेष महत्व होता है।

देवी पीताम्बरा निश्चित रूप से ही सबकी मुराद पूरी करती हैं। मां को प्रसन्न करने वालों में नेता सबसे आगे हैं। म.प्र में चुनावों के दौरान नेताओं की लाइन मंदिर में लगी रहती हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी सहित देश भर के नेता, मंत्री मंदिर में अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आ चुके हैं या आते रहते हैं।

पीताम्बरा देवी: दिनभर में बदलती हैं 3 रूप
दतिया स्थित पीताम्बरा पीठ मंदिर से जुड़ी एक खास बात ये भी है कि माना जाता है कि पीताम्बरा देवी एक दिन में तीन बार अपना रुप बदलती हैं। इस कारण से भी पीताम्बरा देवी की महिमा और भी अधिक बढ़ जाती है।

माना जाता है कि दुष्टों का संहार करने वाली मां बगुलामुखी अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना का संचार करती हैं। इनकी साधना अथवा प्रार्थना में श्रद्धा और विश्वास अत्यधिक होने पर मां की शुभ दृष्टि आप पर पड़ती है। इनकी आराधना करके आप जीवन हर चीज को संभव बना सकते हैं।

वर्तमान समय में इनकी सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं। माना जाता है कि इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता, बल्कि अपने शत्रु को ही कष्ट पहुंच सकता है। इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य अतिआवश्यक है।

माता की यूं करें आराधना…
गृहस्थ लोग भी माता की आराधना अत्यंत सरल तरीके से करते हुए शीघ्र फल प्राप्त कर सकते हैं। इसके तहत आप अनुष्ठान (साधना) के पूर्व सर्वप्रथम शुभ मुर्हूत, शुभ दिन, शुभ स्थान, स्वच्छ वस्त्र, नए ताम्र पूजा पात्र, बिना किसी छल कपट के शांत चित्त, भोले भाव से यथाशक्ति यथा सामग्री, ब्रह्मचर्य के पालन की प्रतिज्ञा कर यह साधना आरम्भ कर सकते हैं।

वहीं याद आप अति निर्धन हो तो केवल पीले पुष्प, पीले वस्त्र, हल्दी की 108 दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रतिमा, यंत्र आदि रखकर शुद्ध आसन कम्बल, कुशा या मृगचर्य जो भी हो उस पर बैठकर माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

बगलामुखी जयंती के दिन ये रखें सावधानियां…

– एक समय भोजन करें।
– ब्रह्मचर्य का पालन करें।
– पीले वस्त्र धारण करें।
– बाल नहीं कटवाएं।
– दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।
– मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें।
– साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है।
– साधना अकेले में, मंदिर में, हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए।
– साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाए। वहीं यदि सक्षम हों तो ताम्रपत्र या चांदी के पत्र पर इसे अंकित करवाए।

माता बगलामुखी की आराधना के लिए सामग्री आदि इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर उत्तर को मुख करके बैठें, इस समय दो बातों का ध्यान रखें, इसके तहत आप सिद्धासन या पद्मासन में हो, जप करते समय पैर के तलुओं और गुह्य स्थानों को न छुएं शरीर गला और सिर सम स्थित होना चाहिए।

इसके बाद गंगाजल से छिड़काव कर (स्वयं पर) यह मंत्र पढें- अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपिवा, य: स्मरेत, पुण्डरी काक्षं स बाह्य अभ्यांतर: शुचि:।

उसके बाद इस मंत्र से दाहिने हाथ से आचमन करें-ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम:।

अन्त में ॐ हृषीकेशाय नम: कहके हाथ धो लेना चाहिए।

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इसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ते हुए तीन बार प्राणायाम करें। चोटी बांधे और तिलक लगाएं। अब पूजा दीप प्रज्जवलित करें। फिर विघ्नविनाशक गणपति का ध्यान करें।

जानकारों के अनुसार ध्यान अथवा मंत्र संबंधित देवी-देवता से संपर्क का साधन है। जैसे ही आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, उस देवी-देवता के पास आपकी पुकार तुरंत पहुंचती है। इसलिए मंत्र शुद्ध पढ़ना चाहिए। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होने पर कोई फल नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान ही होगा। इसीलिए उच्चारण पर विशेष ध्यान रखें।

अब आप गणेश जी के बाद सभी देवी-देवादि कुल, वास्तु, नवग्रह और ईष्ट देवी-देवतादि को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए कष्ट का निवारण कर शत्रुओं का संहार करने वाली वाल्गा (बंगलामुखी) का विनियोग मंत्र दाहिने हाथ में जल लेकर पढ़ें-
ॐ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप्छन्द: बगलामुखी देवता, ह्लींबीजम् स्वाहा शक्ति: ममाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोग: (जल नीचे गिरा दें)।
अब माता का ध्यान करें, याद रहे सारी पूजा में हल्दी और पीला पुष्प अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

ध्यान-
मध्ये सुधाब्धि मणि मण्डप रत्न वेद्यां,
सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम,
पीताम्बरा भरण माल्य विभूषिताड्गीं
देवीं भजामि धृत मुद्गर वैरिजिह्वाम
जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं,
वामेन शत्रून परिपीडयन्तीम,
गदाभिघातेन च दक्षिणेन,
पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि॥

अपने हाथ में पीले पुष्प लेकर उपरोक्त ध्यान का शुद्ध उच्चारण करते हुए माता का ध्यान करें। उसके बाद यह मंत्र जाप करें।

मंत्र : ॐ ह्रीं बगलामुखि! सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।

इस मंत्र का जाप पीली हल्दी की गांठ की माता से करें। आप चाहें तो इसी मंत्र से माता की षोड्शोपचार विधि से पूजा भी कर सकते हैं।

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आपको कम से कम पांच बातें पूजा में अवश्य ध्यान रखनी है-1. ब्रह्मचर्य, 2. शुद्ध और स्वच्छ आसन 3. गणेश नमस्कार और घी का दीपक 4. ध्यान और शुद्ध मंत्र का उच्चारण 5. पीले वस्त्र पहनना और पीली हल्दी की माला से जाप करना।
: तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर भागती है।

: गूगल और तिल से हवन करने से कारागार से मुक्ति मिलती है।

: अगर वशीकरण करना हो तो उत्तर की ओर मुख करके और धन प्राप्ति के लिए पश्चिम की ओर मुख करके हवन करना चाहिए।

मधु घी, शक्कर और नमक से हवन आकर्षण (वशीकरण) के लिए प्रयोग कर सकते हैं।

: मधु, शहद, चीनी, दूर्वा, गुरुच और धान के लावा से हवन करने से समस्त रोग शान्त हो जाते हैं।

: माना जाता है कि गिद्ध और कौए के पंख को सरसों के तेल में मिलाकर चिता पर हवन करने से शत्रु तबाह हो जाते हैं। भगवान शिव के मन्दिर में बैठकर सवा लाख जाप फिर दशांश हवन करें तो सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं।

 

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