
खरमास की पौराणिक कथा में छिपा है, इस महीने को अशुभ मानने की वजह
भोपाल. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य देव उन देवताओं में से एक हैं, जिनके अपने काम से आराम लेने पर रोक है। क्योंकि ऐसा करने से सृष्टि का कामकाज प्रभावित होता है और जीवन का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। इसी वजह से भगवान सूर्य सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार परिक्रमा करते रहते हैं। लेकिन उनके घोड़ों को आराम की जरूरत होती है। वे भूख प्यास लगने से थक जाते हैं।
इस तरह ब्रह्मांड की परिक्रमा के दौरान घोड़ों की दयनीय दशा देखकर सूर्य देव उनको पानी पिलाने के लिए एक तालाब के किनारे पहुंचे। लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि रथ रूक गया तो सृष्टि चक्र प्रभावित होगा। इस दौरान उनकी नजर तालाब किनारे चर रहे दो खर पर पड़ी।
इस पर सूर्य देव ने दोनों खर को अपने रथ में जोड़ लिया और परिक्रमा करने लगे। इसका असर यह हुआ कि खर (गधे)की धीमी गति के कारण सूर्य देव की परिक्रमा की गति धीमी हो गई। किसी तरह एक माह का चक्र पूरा हुआ। इस बीच धीमी गति से सूर्यदेव ने परिक्रमा का काम पूरा किया। तब तक घोड़ों को विश्राम मिल चुका था। हर सौर वर्ष में इसी तरह का चक्र चलता रहता है और इस बीच एक माह का खरमास आता है। माना जाता है जिस महीने सूर्य देव प्रभावित हुए, उस महीने का खराब असर इंसान पर भी पड़ेगा।
कब से लग रहा खरमासः खरमास दो शब्दों खर और मास से मिलकर बना है। खर का अर्थ है गदहा और मास का अर्थ है महीना। मान्यता है कि सूर्य देव तेज गति से चलते रहते हैं, इसी से पृथ्वी पर जीवों को ऊर्जा मिलती है। लेकिन धनु संक्रांति के बाद एक महीने तक गधे सूर्य देव के रथ में जुड़े रहते हैं, जिससे उनके रथ की गति मंद हो जाती है। मान्यता है कि इससे पृथ्वी पर जीव प्रभावित होते हैं। इस साल 16 दिसंबर 2022 शुक्रवार से खरमास लग रहा है। इसी दिन धनु संक्रांति है, यानी सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। यह खरमास 14 जनवरी 2023 तक लगा रहेगा।
Published on:
15 Dec 2022 03:03 pm
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