5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Nirjala Ekadashi Ke Niyam: निर्जला एकादशी व्रत से पहले जान लें नियम वर्ना खंडित हो जाएगा व्रत, आप तो नहीं कर रहे यह गलती

ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी यानी निर्जला एकादशी व्रत (Nirjala Ekadashi Ke Niyam ) कल 31 मई को है। भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत सभी एकादशी में श्रेष्ठ मानी जाती है। इसकी वजह है कि इस एकादशी में भीषण गर्मी में अन्न के साथ जल भी त्यागना पड़ता है, जिसका अर्थ तपस्या से लिया जाता है। लेकिन ऐसे लोग जो पहली बार यह व्रत रख रहे हैं, उन्हें निर्जला एकादशी व्रत नियम जान लेने चाहिए, ताकि कोई गलती न हो और व्रत का पूरा फल मिल सके।

3 min read
Google source verification

image

Pravin Pandey

May 30, 2023

nirjala_ekadashi_vrat.jpg

31 मई को निर्जला एकादशी व्रत, इस दिन इन बातों का खयाल रखना चाहिए।

1. ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक पानी नहीं पीना चाहिए। व्रत शुरू करने के बाद अगले दिन पारण के समय ही पानी पीना चाहिए।
2. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार संध्या उपासना के लिए आचमन में जो जल लिया जाता है, इस व्रत में उसे पीने की अनुमति नहीं होती है।
3. निर्जला एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को जल अर्पित नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दिन तुलसी का भी व्रत रहता है।


4. इस व्रत में गौदान का नियम है, लेकिन जो लोग गौ दान नहीं कर पाते हैं, वे भक्त इस समय लोगों को जलपान कराते हैं। प्याऊ लगाते हैं लोगों को पानी पिलाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद दान-पुण्य के बाद समाज सेवा की जाती है। मान्यता है कि इससे पितृदोष और चंद्रदोष दूर होता है। इस दिन कहीं जल का अपव्यय हो रहा है तो उसे रोकें, वृक्षों का भी संरक्षण करें।
5. निर्जला एकादशी के दिन गंगा जल से स्नान करने का महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने की स्थिति नहीं है तो शुद्ध जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
6. निर्जला एकादशी के दिन जल देवता वरुणदेव की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन श्रीहरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करें। इसके अलावा श्रीकृष्ण, विश्वदेवगण का जलाभिषेक कर पूजा करें।


7. इस दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित कर उसकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। इस दिन पौध रोपण कर जल से सींचना चाहिए। पीपल, बरगद, नीम, कैथ का पौधा लगाना शुभ होता है।
8. निर्जला एकादशी के दिन अन्न, वस्त्र, जल, जूता, छाता, फल आदि का दान करना चाहिए। यह नहीं कर सकते हैं तो कम से कम इस दिन कलश में जल भरकर उसे सफेद वस्त्र से ढंककर चीनी और दक्षिणा के साथ किसी ब्राह्मण को दान जरूर करें, जिससे साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।

ये भी पढ़ेंः टेंशन से छुटकारा दिला देंगी नीम करोली बाबा की पांच बातें, विद्यार्थियों और युवाओं के बड़े काम की है यह सीख

इस दिन यह बिल्कुल न करें
1. किसी भी एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। मान्यता है कि चावल खाने वाले अगले जन्म में कीड़े मकोड़े के रूप में जन्म लेते हैं।
2. निर्जला एकादशी के दिन नमक खाना निषिद्ध है। नमक खाने से एकादशी का फल नष्ट हो जाता है। इस दिन सिर्फ सात्विक फलाहार ही करना चाहिए।
3. एकादशी व्रत के दिन मसूर की दाल, मूली, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, गोभी और सेम का सेवन नहीं करना चाहिए। निर्जला एकादशी व्रत से एक दिन पहले यानी दशमी के दिन से ही तामसिक, मांसाहारी भोजन का त्याग कर देना चाहिए। इस दिन मदिरा का सेवन और कोई अन्य नशा नहीं करना चाहिए।


4. निर्जला एकादशी के दिन मन, वचन, वाणी और कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन भूलकर भी स्त्री संग प्रसंग नहीं करना चाहिए।
5. व्रत की रात सोएं न, पूरी रात भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का ध्यान करें। किसी के प्रति मन में बुरे विचार न लाएं, चुगली न करें और न ही क्रोध करें। वहीं वाद-विवाद से बिल्कुल दूर रहें।


6. इस दिन पलंग पर नहीं सोना चाहिए, भूमि पर ही आराम करना चाहिए। इस दिन पान भी नहीं खाना चाहिए। क्योंकि पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है और एकादशी व्रत में सात्विक रहना चाहिए।
7. इस दिन झाडू और पोछा नहीं लगाना चाहिए। इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मौत हो सकती है, जिससे छोटे जीवों की हत्या का दोष लगता है। इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए और न लकड़ी का दातुन करना चाहिए। नींबू, आम या जामुन के पत्ते चबाकर कुल्ला कर लें और अंगुली से गला साफ कर लें।