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शनि प्रदोष – 01 अगस्त 2020: अब सात साल बाद बनेगा शनि को प्रसन्न करने का ऐसा संयोग

शनि से जुड़ी कई तरह की बाधाओं से मिलेगी मुक्ति...

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Lord Shani pradosh vrat pooja vidhi and it's importance

Lord Shani pradosh vrat pooja vidhi and it's importance

इस साल यानि 2020 के श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा के साथ ही दो शनि प्रदोष का भी संयोग बने है। इसके तहत पहला शनि प्रदोष 18 जुलाई 2020 को लग चुका है। वहीं अब दूसरा शनि प्रदोष 1 अगस्त को पड़ रहा है, जो कई मायनों में खास है।

01 अगस्त को शनिवार होने से यह शनि प्रदोष व्रत है। प्रत्येक प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है, लेकिन शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा अर्चना की जाएगी।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार 01 अगस्त को शनि प्रदोष है। सावन माह में शनि प्रदोष व्रत का योग शुभ माना जाता है। मान्यता है कि शनि प्रदोष का व्रत रखने से शनि दोष दूर होने के साथ ही भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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शनि से जुड़े दोष होंगे दूर
ऐसे में 01 अगस्त को आने वाला प्रदोष व्रत उन लोगों के लिए बेहद लाभकारी है, जो शनि की महादशा और साढ़ेसाती से परेशान हैं। सावन माह में अब ऐसा शुभ संयोग सात साल बाद 2027 में बनेगा। शास्त्रों में भगवान शिव को शनि देव का गुरु और आराध्य बताया गया है। इस कारण सावन के महीने में शनि देव और भगवान शिव की पूजा से मनोकामना पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत को भगवान शिव की साधना के लिए फलदायी बताया गया है।

1 अगस्त को इस वर्ष 2020 के श्रावण का अंतिम प्रदोष होगा। वहीं सावन के पवित्र माह में पड़ने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। अगर आपकी कुंडली में शनि दोष, साढ़े साती, शनि की लघु कल्याणी ढैय्या आदि है तो इस 1 अगस्त को जरूर पूजन करें। पंडित शर्मा के अनुसार ऐसा करने से शनि संबंधी दोष से राहत मिलेगी।

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प्रदोष व्रत की विधि... pradosh vrat pooja vidhi
: प्रदोष व्रत करने के लिए त्रयोदशी वाले दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निर्वित हो।

: इस व्रत में व्रती का सफ़ेद कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

: यह व्रत निराहार रखा जाता है।

: सांयकाल के समय शिवालय जाये या फिर घर पर ही पूजास्थान पर बैठे।

: भगवान शंकर का ध्यान करते हुए, व्रत कथा और आरती पढ़नी चाहिए।

: भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें।

: पूजा में शिवजी जी को फल, फूल, धतूरा, बिल्वपत्र और ऋतुफल अर्पित करें।

: प्रदोष व्रत में अपने सामर्थ्य अनुसार किसी ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान दक्षिणा देनी चाहिए।

: इस व्रत में भोजन करना निषेध है।

: फिर भी व्रति अपनी यथा शक्तिअनुसार संध्याकाल के पूजन के बाद सात्विक भोजन या फलाहार ले सकता है।


शनि प्रदोष का दान-
शनि प्रदोष के दिन गरीबों को कपड़े, अन्न और जूते-चप्पल दान करना फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन शिवजी का अभिषेक करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही माना जाता है कि शनिदेव का तेल से अभिषेक करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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प्रदोष व्रत के बारे में-
यह उपवास हर माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को किया जाता है। जब यह व्रत शनिवार को पड़ता है, उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक, शनिवार के दिन इस व्रत को पुत्र की कामना के लिए किया जाता है।

शनि प्रदोष व्रत का महत्व-
माना जाता है कि शनि प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही उनकी कठिनाइयां भी दूर होती हैं। नौकरी, व्यवसाय में लाभ के साथ दीर्घायु और पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है।

अब इस वर्ष 2020 में आने वाले प्रदोष व्रत कब कब...













































माह और पक्ष: दिनांक :दिन
श्रावण शुक्ल पक्ष: 01 अगस्त 2020 :शनिवार
भाद्रपद कृष्ण पक्ष: 16 अगस्त 2020 :रविवार
भाद्रपद शुक्ल पक्ष: 30 अगस्त 2020 :रविवार
शुद्ध आश्विन कृष्ण पक्ष: 15 सितम्बर 2020 :मंगलवार
अधिक आश्विन शुक्ल पक्ष: 29 सितम्बर 2020 :मंगलवार
अधिक आश्विन कृष्ण पक्ष: 14 अक्टूबर 2020 :बुधवार
शुद्ध आश्विन शुक्ल पक्ष: 28 अक्टूबर 2020 :बुधवार

प्रदोष व्रत करने के लाभ...
: शास्त्रों में कहा गया है के इस व्रत को श्रद्धा भाव करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
: इस व्रत को करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते है और सहस्त्र गोदान का पुण्य प्राप्त होता है।
: प्रदोष व्रत को करने से शिवजी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
: वैसे तो सभी प्रदोष व्रत फलदायी और शुभ है, पर हर प्रदोष व्रत का वार के हिसाब से अलग फल होता है।

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