scriptshardiya navratri 2020: नवरात्रि के वे सरलतम उपाय जो दिलाएं शादी की समस्या से छुटकारा | Navratri best tips for your marriage early as possible | Patrika News

shardiya navratri 2020: नवरात्रि के वे सरलतम उपाय जो दिलाएं शादी की समस्या से छुटकारा

locationभोपालPublished: Oct 19, 2020 02:17:48 pm

मनचाहा पति या पत्नी पाने के सबसे सरल अचूक व सिद्ध उपाय…

Navratri best tips for your marriage early as possible

Navratri best tips for your marriage early as possible

भले ही हिंदुओं में नवरात्रि के दौरान विवाह वर्जित हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दौरान विवाह को लेकर कई उपाय भी किए जाते हैं। इन उपायों के संबंध में मान्यता है कि इस समय किए जाने वाले उपाय मनचाहा वर या वधु तक प्राप्त करा देता है। ये उपाय सरल होने के साथ ही अचमक व सिद्ध भी माने जाते हैं।

दरअसल साल में चार नवरात्रि मनाई जाती है, जिनमें चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि ( जो दशहरे से पहले आती है – Shardiya Navratri ) के अलावा दो गुप्त नवरात्रि ( GUPT Navratri ) भी होती हैं। माना जाता है कि मां दुर्गा के इस पर्व पर हर भक्त को मनचाहा वरदान मां से प्राप्त होता है। यहीं बात उन युवतियों व युवाओं पर भी लागू होती है, जिनके विवाह में परेशानी आ रही हो।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार वैसे तो विवाह ( shadi )में आ रही अडचनों को हटाने के कई उपाय हैं, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि का उपाय माना जाता है। इसके तहत नवरात्रि में वे लोग जिनके विवाह में लगातार अड़चन आ रही हो यानि विवाह ( vivah ) नहीं हो पा रहा हो, कुछ खास उपायों की मदद से मां दुर्गा को प्रसन्न कर मनचाहा वर या वधु तक पा सकते हैं।

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दरअसल नवरात्रि में देवी मां का छठवां रूप मां कात्यायनी ( maa katyayni ) का माना जाता है। नवरात्रि उत्सव के षष्ठी को उनकी पूजा की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘आज्ञा चक्र’ में स्थित होता है। नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है साथ ही दुश्मनों का संहार करने में भी ये सक्षम बनाती हैं। इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए मंत्र को कंठस्थ कर नवरात्रि में छठे दिन इसका जाप करना चाहिए।

मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।

मां कात्यायनी की उपासना दिलाती है मनोवान्छित वर…
इसके अतिरिक्त जिन कन्याओं के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हें इस दिन मां कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, माना जाता है कि ऐसा करने से उन्हें मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है।

ऐसे करें कात्यायनी माता की अराधना : नवरात्रि के छठवें दिन…
विवाह नहीं होने की स्थिति में या किसी तरह की रुकावट आने पर मां कात्यायनी की आराधना भी इस परेशानी से निजाद दिलाती है।
इसके तहत माता कात्यायनी की आराधना करने के लिए प्रात:काल स्नानादि के बाद माता के इस मंत्र से जाप का संकल्प लें…

मंत्र : ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी
नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।

माता के मंत जाप के लिए 1माला, 5 माला या 10 माला प्रतिदिन एक समान गिनती में जाप करें। मंत्र की संख्या 1 लाख 8 हजार या कार्य पूर्ण होने तक अपनी सामथ्रर्यनुसार संकल्प कर सकते हैं। संकल्पित मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद या विवाह के बाद यज्ञ(हवन) द्वारा मंत्र जाप का उद्यापन करें।

( ध्यान रखें : इन सभी उपायों को पूरी श्रृद्धा और विश्वास के साथ किए जाएं।)

2. गौरा माता की अराधना : अष्टमी से शुरू कर सकते है ये उपाय…
इसके अलावा विवाह में आ रही बाधा को दूर करने के लिए गौरा (गौरी) माता की आराधना करना है। गौरी माता की अराधना का एक विशेष विवरण रामायण में भी मिलता है। जब माता सीता ने विवाह से पूर्व गौरा माता की अराधना कर श्रीराम जी को वर रूप में प्राप्त किया था। यह अचूक उपाय आप नवरात्रि के आठवें दिन यानि अष्टमी को मां दुर्गाजी की आठवीं शक्ति महागौरी से भी शुरू कर सकती हैं।

ऐसे करें गौरा माता की अराधना-
इस आराधना के लिए प्रात:काल स्नान कर गौरी माता के चित्र को सामने रखकर रामचरित मानस के बालकांड में से ये चौपाई छंद का नित्य पाठ करें। 51 दिन तक इसका पाठ करना उचित माना जाता है।

जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता। जगत जननि दामिनि दुति गाता॥”

– नहिं तव आदि मध्य अवसाना। अमित प्रभाउ बेदु नहिं जाना॥
भव भव बिभव पराभव कारिनि। बिस्व बिमोहनि स्वबस बिहारिनि॥

– पतिदेवता सुतीय महुँ मातु प्रथम तव रेख।
महिमा अमित न सकहिं कहि सहस सारदा सेष॥

– सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायनी पुरारि पिआरी॥
देबि पूजि पद कमल तुम्हारे। सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥

– मोर मनोरथु जानहु नीकें। बसहु सदा उर पुर सबही कें॥
कीन्हेउँ प्रगट न कारन तेहीं। अस-कहि चरन गहे बैदेहीं॥

– बिनय प्रेम बस भई भवानी। खसी माल मूरति मुसुकानी॥
सादर सियँ प्रसादु सिर धरेऊ। बोली गौरि हरषु हियँ भरेऊ॥

– सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सुचि साचा। सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥4॥

छन्द :
– मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥

सोरठा :
– जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे॥236॥

(भावार्थ:- हे श्रेष्ठ पर्वतों के राजा हिमाचल की पुत्री पार्वती! आपकी जय हो, जय हो, हे महादेवजी के मुख रूपी चन्द्रमा की (ओर टकटकी लगाकर देखने वाली) चकोरी! आपकी जय हो, हे हाथी के मुख वाले गणेशजी और छह मुख वाले स्वामिकार्तिकजी की माता! हे जगज्जननी! हे बिजली की सी कान्तियुक्त शरीर वाली! आपकी जय हो!

:- आपका न आदि है, न मध्य है और न अंत है। आपके असीम प्रभाव को वेद भी नहीं जानते। आप संसार को उत्पन्न, पालन और नाश करने वाली हैं। विश्व को मोहित करने वाली और स्वतंत्र रूप से विहार करने वाली हैं।

:- पति को इष्टदेव मानने वाली श्रेष्ठ नारियों में हे माता! आपकी प्रथम गणना है। आपकी अपार महिमा को हजारों सरस्वती और शेषजी भी नहीं कह सकते ।
:-हे (भक्तों को मुंहमांगा) वर देने वाली! हे त्रिपुर के शत्रु शिवजी की प्रिय पत्नी! आपकी सेवा करने से चारों फल सुलभ हो जाते हैं। हे देवी! आपके चरण कमलों की पूजा करके देवता, मनुष्य और मुनि सभी सुखी हो जाते हैं।

:- मेरे मनोरथ को आप भलीभांति जानती हैं, क्योंकि आप सदा सबके हृदय रूपी नगरी में निवास करती हैं। इसी कारण मैंने उसको प्रकट नहीं किया। ऐसा कहकर जानकीजी ने उनके चरण पकड़ लिए।
:- गिरिजाजी सीताजी के विनय और प्रेम के वश में हो गईं। उन (के गले) की माला खिसक पड़ी और मूर्ति मुस्कुराई। सीताजी ने आदरपूर्वक उस प्रसाद (माला) को सिर पर धारण किया।

गौरीजी का हृदय हर्ष से भर गया और वे बोलीं
हे सीता! हमारी सच्ची आसीस सुनो, तुम्हारी मनःकामना पूरी होगी। नारदजी का वचन सदा पवित्र (संशय, भ्रम आदि दोषों से रहित) और सत्य है। जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही वर तुमको मिलेगा।
:- जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से ही सुंदर साँवला वर (श्री रामचन्द्रजी) तुमको मिलेगा। वह दया का खजाना और सुजान (सर्वज्ञ) है, तुम्हारे शील और स्नेह को जानता है। इस प्रकार श्री गौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सब सखियां हृदय में हर्षित हुईं। तुलसीदासजी कहते हैं- भवानीजी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चलीं॥)

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युवकों के लिए उपाय: नवरात्र के पहले ही दिन से शुरू कर सकते हैं प्रयो
1. पुरुषों के विवाह में आ रही बाधा दूर करने का सबसे खास उपाय मां दुर्गा की आराधना करना है।
इसके तहत प्रात:काल स्नानादि करके शुद्ध तन व शुद्ध मन से दुर्गासप्तशती में दिए इस श्लोक का रुद्राक्ष की माला से जाप करें।

मंत्र: पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥


पंडित सुनील शर्मा के अनुसार यदि आपके घर में भी विवाह को लेकर किसी भी प्रकार की देरी हो रही हो, तो इसके निदान के कई उपाय हैं। पंडित शर्मा के अनुसार माना जाता है कि ये सभी उपाय आपके कार्य को पूर्ण करने में सहायक होते हैं।


ये हैं युवक युवती दोनों के लिए उपाय : दिन की कोई बाधा नहीं…

– शीघ्र विवाह के लिए मंत्र : तुलसी की माला से रामचरित मानस की निम्न चौपाई का राम सीता के चित्र के सामने 108 बार नित्य पाठ करना शीघ्र विवाह के लिए दिव्य प्रयोग माना जाता है।

” सुनि सिय सत्य असीस हमारी
पूजिहि मन कामना तिहारी ”

– यदि विवाह मे बहुत विलंब हो रहा हो तो मंदिर के प्रांगण में अनार का वृक्ष लगाएं व रोज उसे जल से सीचें।

कच्चा दूध व जल मिला कर प्रतिदिन शिवलिंग पर चढ़ाएं।
प्रतिदिन गाय को चारा या हरा पालक खिलाएं।
उत्तम रिश्ते आने लगेंगे।

– यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ,
भगवान शिव के आगे रख कर “ ॐ श्रीं वर प्रदाय श्री नमः ” मंत्र का पांच माला जाप करें।
जप के उपरांत पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ,विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जायेंगी।

– शीघ्र विवाह के लिए कन्या को 16 सोमवार का व्रत करना चाहिए तथा प्रत्येक सोमवार को शिव मन्दिर में जाकर जलाभिषेक करें,
मां पार्वती का श्रृंगार करें,
शिव पार्वती के मध्य गठजोड़ बांधे और शीघ्र विवाह के लिए प्रार्थना करें।
उत्तम विवाह प्रस्ताव आने प्रारम्भ हो जाएंगें।

– वर की कामना पूर्ति के लिए कन्या को निम्न मंत्र का शिव-गौरी पूजनकर एक माला का जप करना चाहिए।
’’ ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः ’’

– रामचरित मानस के बालकाण्ड में शिव पार्वती विवाह प्रकरण का नित्य पाठ करने से कन्या का विवाह शीघ्र होता देखा गया है।

– विवाह अभिलाषी लड़का या लड़की शुक्रवार के दिन भगवान शंकर पर जलाभिषेक करें तथा शिवलिंग पर ’’ ॐ नमः शिवाय ’’ बोलते हुए 108 श्वेतार्क पुष्प चढ़ावें ,
शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें साथ ही शंकर जी पर 21 बिल्व पत्र चढ़ावें

यह कम से कम 7 शुक्रवार करें, शीघ्र ही विवाह के प्रस्ताव आने प्रारम्भ हो जाएंगें।

अविवाहित युवती के लिए ये भी हैं कुछ अचूक उपाय…

* माता वैभव लक्ष्मी की आराधना:
इसके तहत माता वैभवलक्ष्मी के 5,7 या 11 शुक्रवार के व्रत का संकल्प लें। इन तीन संख्याओं में से आप किसी भी इच्छित संख्या का संकल्प ले सकती हैं।

इसके बाद पूरी श्रृद्धा और विश्वास के साथ इन व्रतों को करें। व्रत पूर्ण हो जाने पर व्रत का उद्यापन करें। इसमें भी 5,7 या 11 सुहागन स्त्रियों या कन्याओं को भोजन कराएं और वैभवलक्ष्मी की पुस्तकें बांटे साथ ही सुहागन स्त्रियों को सुहाग सामग्री का दान करें।

– वहीं विवाह मे हो रही देरी के संबंध में एक और उपाय खास माना जाता है। इसके तहत माता पार्वती का पूजन कर भी उत्तम वर की प्राप्ति की जा सकती है। सवा माह तक जाप करें।

मंत्र: हे गौरी शंकरार्धागिनी यथा त्वमं शंकर प्रिया तथा माम कुरू कल्याणीकान्त कान्ता सुदुर्लभम्।।

ज्योतिष की नजर में…
जानकारों के अनुसार ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों की अशुभ स्थिति को विवाह न हो पाने का प्रमुख कारण माना जाता है, जिनका निदान ग्रहों के उपाय यानि जप, पूजा, दान, व्रत व अन्य वैदिक अनुष्ठान के माध्यम से स्वयं कर व किसी योग्य कर्मकांडी से भी करा सकते हैं।

भारतीय ज्योतिष में नौ ग्रहों में से सूर्य, मंगल,शनि, राहु, और केतु का प्रभाव अधिक माना गया है। इन में मंगल,राहु व शनि विशेष रुकावटें उत्पन्न करते हैं।

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