scriptPapmochani Ekadashi 2023: पापमोचनी एकादशी के दिन बन रहे दुर्लभ शुभ योग, व्रत से मिलेगा कई गुना अधिक फल | Rare coincidence on Papmochani Ekadashi 2023 Know ekadashi puja vidhi | Patrika News

Papmochani Ekadashi 2023: पापमोचनी एकादशी के दिन बन रहे दुर्लभ शुभ योग, व्रत से मिलेगा कई गुना अधिक फल

Published: Mar 16, 2023 01:09:37 pm

Submitted by:

Pravin Pandey

वैसे तो हर एकादशी (ekadashi puja) भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष है। लेकिन चैत्र कृष्ण एकादशी और भी खास है, इस एकादशी को पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2023) कहते हैं। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य को सभी पाप से मुक्त मिलती है और भक्त के घर में सुख समृद्धि आती है। इस दिन कई शुभ योग (coincidence on Papmochani Ekadashi 2023) भी बन रहे हैं, जिससे इस एकादशी का महत्व बढ़ गया है।

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coincidence on Papmochani Ekadashi 2023

पापमोचनी एकादशीः पापमोचनी एकादशी तिथि (Papmochani Ekadashi 2023) यानी चैत्र शुक्ल एकादशी की शुरुआत 17 मार्च को दोपहर 2.06 पीएम से हो रही है और यह तिथि 18 मार्च 11.13 एएम पर संपन्न हो रही है। इसलिए उदया तिथि में यह व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा। इस व्रत के पारण का समय द्वादशी के दिन 19 मार्च सुबह 6.27 बजे से सुबह 8.51 बजे के बीच होगा। इस दिन भगवान के चतुर्भुज रूप की पूजा करनी चाहिए।
पापमोचनी एकादशी पर शुभ योगः पापमोचनी एकादशी के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। शिव योग इस दिन 11.54 पीएम तक है। अधिकांश शुभ कार्यों के लिए शिव योग अच्छा मुहूर्त माना जाता है। वहीं पापमोचनी एकादशी से शुरू होकर 19 मार्च 8.07 पीएम तक सिद्ध योग बन रहा है। इसके अलावा पापमोचनी एकादशी के दिन कई और शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, जो इस प्रकार हैं।
1. अभिजीत मुहूर्त 12.05 पीएम से 12.53 पीएम
2. अमृतकाल मुहूर्तः 3.05 पीएम से 4.31 पीएम
3. विजय मुहूर्त 2.09 पीएम से 3.17 पीएम तक

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पापमोचनी एकादशी पूजा विधिः प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार पापमोचनी एकादशी पर नियमानुसार पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस दिन विधि विधान से पूजा से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और उसके सभी पाप का अंत होता है।
1. एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान के बाद पूजा का संकल्प लें।
2. भगवान विष्णु की षोडषोपचार पूजा करें।
3. भगवान को धूप, दीप, चंदन, फल अर्पित करें।


4. जरूरतमंदों और भिक्षुकों को भोजन कराएं और श्रद्धानुसार दान दें
5. पापमोचनी एकादशी के दिन रात्रि जागरण कर भगवान का ध्यान करना चाहिए।
6. द्वादशी के दिन पारण करना चाहिए।
हरि वासर में वर्जित है पारणः द्वादशी तिथि का एक चौथाई समय हरि वासर के लिए निर्धारित होता है। इस समय में एकादशी व्रत का पारण नहीं करना चाहिए। एकादशी व्रत रखने वाले भक्त को हरि वासर बीतने के बाद ही पारण करना चाहिए।
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