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जानें, पितृ पक्ष में शुभ कार्य करना चाहिए या नहीं

Sharadh Paksha: पितृ पक्ष के दिनों में कोई शुभ कार्य करना सही नहीं माना गया है। माना जाता है कि उन वस्तुओं में प्रेत का अंश होता है।

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भादो या भाद्रपद महीने की अमावस्या शुरू होते ही अगले 15 दिनों तक के समय को पितृपक्ष कहा जाता है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं और 15 दिनों तक धरती पर ही वास करते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दिनों में कोई शुभ कार्य करना सही नहीं माना गया है। माना जाता है कि उन वस्तुओं में प्रेत का अंश होता है। मान्यता तो ये भी है कि श्राद्ध पक्ष में अगर शुभ कार्य किया जाता है तो उस कार्य का कोई फल नहीं मिलता है बल्कि दुखों का भोग करना पड़ता है।

अगर हिन्दू शास्त्रों में देखा जाए तो कहीं भी ये नहीं लिखा गया है कि श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। ऐसे में श्राद्ध पक्ष को कहीं से अशुभ मानना उचित नहीं है। सबसे पहले बता दें कि श्राद्ध पक्ष गणेश चतुर्थी के बाद और नवरात्रि से पहले आता है।

ऐसे में हिन्दू शास्त्रों में बताया गया है कि कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा करनी चाहिए। जब श्राद्ध पक्ष शुरू होने से पहले भगवान गणेश की पूजा करते हैं तो पितृ पक्ष अशुभ कैसे?

दूसरा कारण, सबके माता-पिता चाहते हैं उसका संतान ठीक से रहे, शुभ कार्य करे। ऐसे में पितृ पक्ष में पूर्वज धरती पर संतान को शुभ कार्य करते हुए देखेंगे तो नाराज कैसे हो सकते हैं? ऐसा करते हुए वे देखेंगे तो वो ज्यादा खुश ही होंगे।

इधर कुछ विद्वान इस बात पर अडिग रहते हैं कि पितृ पक्ष में किसी तरह की शुभ कार्य या नई चीज की खरीददारी नहीं करनी चाहिए। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि हर इंसान की प्रवृत्ति है कि जब भी वह कोई नया कार्य या नया वस्तु लाता है तो वह उसमें ही खो जाता है और पितरों की सेवा नहीं कर पाता। अगर आप अपनी खुशियों के साथ पितरों का भी ध्यान रखेंगे तो पितरों का आशीर्वाद मिलेगा और घर में खुशियों का वास होगा।