20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अनोखा शिव मंदिर! यहां हर साल बढ़ रहा शिवलिंग का आकार

इस अनोखे शिवलिंग का आकार लगातार हर साल बढ़ रहा है।यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है। यह भूतेश्वरनाथ के नाम से जाना जाता है।

2 min read
Google source verification
unique shivling

unique shivling

नई दिल्ली। भगवान शिव अद्भुत हैं। भगवान भोले का शृंगार, तपस्या, अलंकार- सबकुछ उन्हें दूसरों से अलग बनाते हैं। अपने देश में बहुत से शिव मंदिर है, इनमें से कुछ ऐसे अद्भुत भी हैं। यहां आने से भक्तों की मन्नत अवश्य पूरी होती है। वहीं कुछ ऐसे भी है जो अपनी विशेषताओं के लिए दुनियाभर में मशहूर है। आज आपको एक ऐसी शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे है जिसका आकार हर साल बढ़ता ही जाता है। यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है। यह अनोखा शिवलिंग भूतेश्वरनाथ के नाम से जाना जाता है।

दूर दूर से आते है श्रद्धालु
यह अनोखा शिवलिग छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 90 किलोमीटर दूर गरियाबंद में घने जंगलों के बीच बसे ग्राम मरौदा में स्वयं स्थापित है। 12 ज्योतिर्लिगों की भांति छत्तीसगढ़ में इसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग होने की मान्यता प्राप्त है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस शिवलिंग का आकार लगातार हर साल बढ़ रहा है। यह घने जंगलों के बीच मरौदा गांव में स्थित है। सुरम्य वनों एवं पहाड़ियों से घिरे अंचल में प्रकृति प्रदत्त विश्व का सबसे विशाल शिवलिंग विराजमान है। यहां पर देशभर के कौने—कौने से भगवान भोले के भक्त आते है।

यह भी पढ़े :— Mahashivratri Vrat 2021: ऐसे रखे महाशिवरात्रि का व्रत, होगी मनोवांछित फलों की प्राप्ति

पौराणिक मान्यता
ऐसा कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व जमींदारी प्रथा के समय पारागांव निवासी शोभासिंह जमींदार की यहां पर खेती-बाड़ी थी। शोभा सिंह शाम को जब अपने खेत में घूमने जाता था तो उसे खेत के पास एक विशेष आकृति नुमा टीले से सांड के हुंकारने (चिल्लाने) व शेर के दहाड़ने की आवाज आती थी। उसने यह बात ग्रामीणों को बताई। ग्रामवासियों ने भी शाम को वहीं आवाजें सुनी। सांड और शेर की तलाश की गई लेकिन दूर-दूर तक कोई जानवर के नहीं मिलने पर इस टीले के प्रति लोगों की श्रद्धा बढऩे लगी। लोग इस टीले को शिवलिंग के रूप में मानने लगे।

यह भी पढ़ें :— Maha Shivratri 2021: महाशिवरात्रि पर इन चीजों से भी रहे दूर, शिवजी ने किया था शापित

हर साल बढ़ रही है ऊंचाई व गोलाई
पारागांव के लोग बताते हैं कि पहले यह टीला छोटे रूप में था। धीरे-धीरे इसकी ऊंचाई व गोलाई बढ़ती गई। जो आज भी जारी है। शिवलिंग में प्रकृति प्रदत जललहरी भी दिखाई देती है। जो धीरे-धीरे जमीन के ऊपर आती जा रही है। यही स्थान आज भूतेश्वरनाथ, भकुर्रा महादेव के नाम से जाना जाता है। छत्तीसगढ़ी में हुकारने को भकुर्रा कहते हैं।

यह भी पढ़ें :— mahashivaratri 2021 : इन चीजों को दान करने से चमक जाएगी किस्मत, नहीं आएगी किसी चीज की कमी

शिवलिंग का पौराणिक महत्व
वर्ष 1959 में गोरखपुर से प्रकाशित धार्मिक पत्रिका कल्याण के वार्षिक अंक में उल्लेखित है। इसमें इसे विश्व का एक अनोखा महान और विशाल शिवलिंग बताया गया है। यह जमीन से लगभग 55 फीट ऊंचा है। प्रसिद्ध धार्मिक लेखक बलराम सिंह यादव के ज्ञानानुसार संत सनसतन चैतन्य भूतेश्वरनाथ के बारे में लिखते हैं कि लगातार इनका आकर बढ़ता जा रहा है। वर्षों से नापजोख हो रही है। यह भी किवदंती है कि इनकी पूजा छुरा नरेश बिंद्रानवागढ़ के पूर्वजों द्वारा की जाती रही है।