
PM Awas Yojana 2.0 (फोटो सोर्स : सोशल मीडिया)
PM Awas Yojana: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी क्षेत्र में मकान उपलब्ध कराने के लिए नए सिरे से कार्ययोजना तैयार की जाएगी। प्रदेशभरमें सरकार ने ढाई लाख मकान बनाने की तैयारी शुरू की है। योजना के तहत प्रमुख नगरीय निकायों को डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
पीएम आवास शहरी 2.0 के तहत अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप (एएचपी) के जरिए मलिन बस्तियों का उन्मूलन करते हुए आवासीय परियोजनाएं तैयार करने का निर्देश नगरीय प्रशासन ने जारी किया है। कहा गया है कि मलिन बस्तियों के स्व स्थान पुनर्विकास की परियोजनाएं तैयार की जाएं। इसके लिए स्थान चिह्नित करते हुए योजना का प्रारूप तैयार करना है। पहले चरण में योजना को लेकर कई समस्याएं भी सामने आई थीं।
निर्देशित किया गया है कि कार्ययोजना तैयार करते समय पहले की समस्याओं को ध्यान में रखा जाए। रीवा सहित प्रदेश के 104 नगरीय निकायों में आवास योजना तैयार की जाएगी। इसमें रीवा शहर में 6651 नए मकान तैयार किए जाएंगे। अन्य शहरों के लिए भी मकानों की संख्या बताई गई है। प्रदेश में सबसे अधिक इंदौर में 54589 मकान बनाए जाएंगे। इसी तरह भोपाल में 34531, जबलपुर में 20849 और ग्वालियर में 15303 मकान बनाने का टारगेट है।
इससे पहले सरकार ने ठेकेदारों के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों का निर्माण कराया था। इसमें कुछ ठेकेदारों ने समय पर राशि का भुगतान नहीं होने का हवाला देते हुए काम में लेटलतीफी की है। यही वजह है कि चिरहुला क्षेत्र के साइट में मकानों का निर्माण लंबे समय से अधूरा पड़ा है। नए सिरे से तैयार की जाने वाली योजना में पीपीपी मॉडल पर भी काम करने पर फोकस किया जाएगा। इसके तहत स्लम बस्तियों में ही मकान बनवाए जाने की तैयारी है। कुछ समय पहले ही निराला नगर की वर्षों पुरानी मलिन बस्ती को खाली कराया गया है। उस पर भी योजना बनाई जा रही है।
पीएम आवास की नई योजना के तहत प्रारूप तैयार किया जा रहा है। इसमें स्लम बस्तियों में री-डेवलपमेंट और री-लोकेशन के प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी जाएगी। शासन का निर्देश मिला है, जिस पर काम चल रहा है। प्रयास है कि जल्द ही रीवा से प्रस्ताव भेजा जाए ताकि मंजूरी भी जल्द मिले। - डॉ. सौरभ सोनवणे, आयुक्त नगर निगम
प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 सभी शहरों में लागू नहीं होगी। इसके लिए प्राथमिकताएं तय की गई हैं। इसमें सभी नगर निगमों के साथ ही ऐसे शहर शामिल होंगे, जिनकी जनसंख्या 40 हजार से अधिक है। जिला मुख्यालयों के साथ ही पर्यटन और धार्मिक महत्व के शहर और इंडस्ट्रियल एरिया वाले शहरों को शामिल किया गया है।
Published on:
07 Oct 2025 02:47 pm
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