
Ajivika Mission : Hope life changed in Rewa group debt
रीवा. प्रेरणा लेकर इंशान अपनी तकदीर संवार सकता है। आशा सिंह से बेहतर कोई नहीं बयां कर सकता है। समूह की महिलाओं से प्रेरणा लेकर फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी बिल्कुल फिल्मी लगती है, लेकिन बात सोलह आने सच है। एक छोटी से पहले और आगे बढऩे की जिद से आशा ने वह मुकाम हासिल किया है कि जिसे देख, सुनकर क्षेत्र के लोग उनके जुनून को सलाम करते हैं। आशा की जिंदगी के किरण ने ऐसी उड़ानभरी कि 34 गांव में समूह की महिलाए उनकी मेहनत के कायल हो गई हैं। कायल महिलाएं आशा की राह पर चल पड़ी। आशा सैकड़ो समूह की महिलाओं का लीडरशिप कर रहीं हैं।
घर में ताने सुनने के बाद बदल गई जिंदगी
रीवा जिले के जोरी गांव निवासी आशा सिंह की जिंदगी गरीबी में कट रही थी। ससुराल में 18 साल तक बच्चे नहीं हुए तो घर में ताने अलग से सुने। इस बीच अजीविका मिशन ने गांव में समूह का गठन किया। जिसमें समूह की महिलाओं से प्रेरित होकर आशा भी समूह की सदस्य बनीं। फिर क्या। हर रोज जिंदगी बदलने लगी। आशा ने समूह में पैसे की बचत की और अपने हिस्से से कर्ज लेकर सिलाई व सब्जी की खेती करने लगी। सब्जी का उत्पादन बेहतर होने पर कर्ज जमा कर दिया।
बचत के पैसे पति को कराया बीएड
पैसे के अभाव में पति राजेश की पढ़ाई छूट गई। सब्जी की खेती व सिलाई कमाई का जरिया बना। बचत के पैसे से पति को पहले बीएड पूरा कराया। पति प्राइवेट संस्था में जॉब करने लगा। खेती में हाथ बंटता रहा। आशा के मुताबिक वह स्वयं बीएससी की। डीएलएड, कंप्यूटर की डिग्री ली। पढ़ाई के साथ-साथ आस-पास गांवों में समूह की महिलाओं से मेलजोल बढ़ा। आशा की मेहनत को देख अजीविका मिशन के तत्कालीन जिला प्रबंधक डॉ डीपी सिंह ने प्रेरित कर सिलाई बुनाई के कार्य को आगे बढ़ाया। आशा ने सब्जी की खेती के पौधरोपण भी किया।
आश हर साल एक से डेढ़ लाख रुपए कर रही बचत
आशा हर साल एक से डेढ़ लाख रुपए सिलाई और सब्जी की खेती से बचत कर रही है। वह अपनी मेहनत से लखपती बन गई है। समूह की महिलाओं की मदद कर बनी आरसीपी समूह की परेशान महिलाओं की आाशा आर्थिक मदद के साथ अन्य परेशानियों में हाथ बंटाने लगी। आज आशा का नेटवर्क 34 गांवों की समूह की महिलाओं के बीच बन गया है। पहले आशा जिला स्तर पर कप्युनिटी रिसोर्स पर्सन (आरसीपी) बनकर सेवा की। और अब नेशनल कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन बनकरक सैकड़ो की संख्या में समूह की महिलाओं का नेतृत्त कर रही है।
35 हजार मास्क तैयार बनाए
अजीविका मिशन के तहत आशा ने कोरोना काल की जंग लडऩे के लिए समूह की महिलाओं की मदद से 3 हजार मास्क तैयार कर गांवों की आपूर्ति किया। इसके अलावा जोरी गांव में ही डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार 600 लीटर सेनटाइजर तैयार कर जिला पंचायत कार्यलय को उपलब्ध कराया। इसके अलावा आस-पास के गांवों में समूह की महिलाओं के मध्यम से वितरित कराया।
Updated on:
02 Sept 2020 09:05 am
Published on:
02 Sept 2020 08:55 am
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