
Farmers of Rewa District made history in agriculture
रीवा। मौसम के प्रतिकूल स्थिति में भी जिले का किसान मेहनत और तकनीकी के दम पर उड़ान भर रहा है। परंपरागत खेती के साथ व्यावसायिक खेती में किसान प्रदेश में ही नहीं देश में रीवा का नाम रोशन कर रहे हैं। बुलंद हौसला रखने वाले किसानों की दरकार उन समस्याओं के समाधान की है, जो उन्नतशील खेती में रोड़ा बन रहे हैं। सरकार की हवाहवाई योजना किसानों के लिए खयाली पुलाव बनकर रह गई है। योजनाओं का असर धरातल पर आए तो किसानों को इतिहास रचते देर नहीं लगेगी।
किसान रच रहे इतिहास
- व्यवसायिक खेती करने के मामले में किसान तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। जिले में तेजी के साथ बढ़ती पॉलिहाउस की संख्या इस बात को बयां करने के लिए काफी है कि किसान परंपरागत खेती से व्यवसायिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। पिछले वर्ष तक पॉलीहाउस की संख्या जहां २५ रही है। वहीं महज एक वर्ष में यह संख्या ४० के करीब पहुंच गई है।
- फूलों की खेती में जिले के किसान दिल्ली तक धूम मचा रहे हैं। 20 से अधिक किसान गुलाब, गेंदा, जरबेरा व ग्लेडुला जैसे फूलों की खेती कर रहे हैं। फूलों की उपज यहां स्थानीय बाजार के साथ दिल्ली तक के बाजार में पहुंच रही है।
- प्याज की खेती के मामले में भी रीवा के किसान कई जिलों से आगे हैं। यहां रबी और खरीफ दोनो सीजन में प्याज की खेती होती है। प्रति सीजन 11 से 13 लाख क्विंटज प्याज का उत्पादन होता है। हालांकि भंडारण की व्यवस्था नहीं होने से किसान को उचित कीमत नहीं मिल पाती है।
- आम व अमरूद के अलावा अनार जैसे दूसरे की फलों के उत्पादन के मामले में भी रीवा कई जिलों से आगे हैं। रीवा के सुंदरजा किस्म के आम की सप्लाई विदेशों तक होती है। जिले में फलों का रकबा १२ हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।
योजनाएं, जिनका नहीं आया लक्ष्य व बजट
- जैविक खेती योजना:- खाद, बीज व कल्चर पर 50 फीसदी का अनुदान है।
- नलकूप योजना:- सामान्य वर्ग के लिए 40 हजार रुपए की है आर्थिक सहायता।
- कृषि यंत्रीकरण योजना:- उपकरणों पर 20 से 80 फीसदी तक का है अनुदान।
- कल्चर योजना:- बीज उपचार के लिए दवाओं पर 50 फीसदी तक है अनुदान।
योजनाएं, जिसमें किसी को नहीं मिला लाभ
- सोलर पंप योजना:- आदेश जारी होने के बाद कुछ नहीं हुआ।
- गोबर गैस योजना:- केवल कागज तक सीमित है पूरी प्रक्रिया।
- बीज स्वावलंबन:- शासन स्तर से नहीं मिल रहा कोई जवाब।
- बीज अदला-बदली:- केवल कागजी घोषणा तक सीमित प्रक्रिया।
आरकेवीवाई बंद होने की कगार पर
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) कृषि विभाग की सबसे बड़ी योजना रही है। यह योजना बिना घोषणा के बंद जैसे हाल में पहुंच गई है। इस योजना के तहत चावल व गन्ना विकास योजना, एग्रीकल्चर फॉरेस्टी, बीज अनुदान, स्प्रिंकलर व पाइप लाइन योजना, डीजल पंप व टै्रक्टर योजना, औषधि व प्रदर्शन सहित अन्य कई योजनाएं संचालित होती रही हैं। लेकिन होलेस्टिक एग्रीकल्चर योजना को छोड़ कर बाकी सब बंद जैसी स्थिति में हैं।
उद्यानिकी में बजट घोषणाओं पर अमल का इंतजार
कृषि व कृषि अभियांत्रिकी विभाग जैसा हाल उद्यानिकी का भी है। करीब एक वर्ष से किसानों को उद्यानिकी में शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिला है। बीज में अनुदान से लेकर विभाग की फल, फूल, औषधि व मशाला योजना पर भी अघोषित प्रतिबंध लगा है। पूर्व में आलू व प्याज से लेकर पौधरोपण तक शासन से अनुदान मिलता रहा है। नए वर्ष में राज्य सरकार के घोषित बजट में उद्यानिकी के लिए कई योजनाएं हैं। इससे किसानों में उम्मीद जगी है। लेकिन उम्मीद तब पूरी होगी, जब घोषणाओं पर अमल होगा।
घोषणा के बाद भी संशय में किसान
बजट में कई घोषणाओं के बाद भी किसान संशय में हैं। वजह घोषणा तो पिछली बार भी हुई थी लेकिन किसी भी योजना में बजट जारी नहीं हुआ। हालांकि इस बार का बजट पिछले बार की तुलना में पांच गुना है। इस बार 1914 करोड़ रुपए जारी किया गया है। पिछले वर्ष की बजट 394 करोड़ रुपए तक ही सीमित रहा है।
किसानों के समक्ष चुनौतियां
- शासकीय योजनाओं के उचित क्रियान्वयन का अभाव
- सिंचाई की सुविधा बेहतर हुई, लेकिन समस्या बरकरार
- आम किसानों तक उन्नत तकनीकी की जानकारी का अभाव
- प्रतिकूल मौसम व फसल के बचाव की व्यवस्था का अभाव
- उचित कीमत नहीं मिलना व स्थानीय बाजार का अभाव
एक नजर में किसान और खेती
खेती योग्य जमीन - 3.92 लाख हेक्टेयर
किसान परिवार - 2.84 हजार
Published on:
20 Apr 2018 12:24 pm
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