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एमपी के इस शहर में समस्याओं का अंबार, लोगों ने एक-एक कर गिनाई कमियां

पत्रिका से जताई उम्मीद, कहा अभियान चलाकर दिलाएं निजात...

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रीवा

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Ajit Shukla

Apr 18, 2018

Patrika talk show: citizens spoke, Rewa's development is not satisfied

Patrika talk show: citizens spoke, Rewa's development is not satisfied

रीवा। विकास के नाम पर शहर में कंक्रीट का जंगल खड़ा किया जा रहा है। पुराने भवनों को गिराकर नए भवन बनाए जा रहे हैं। विकास के नाम पर उन्हीं भवनों को दिखाया जाता है। पत्रिका के स्थापना दिवस पर आयोजित टॉक शो में ज्यादातर बुद्धिजीवियों की ओर से कुछ ऐसे ही कमेंट आए। कहा कि पब्लिक आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और समस्याओं से जूझ रही है। पत्रिका समूह के प्रति विश्वास जाहिर करते हुए कहा कि अभियान के जरिए कई समस्याओं से निजात दिलाया है। बाकी की समस्याओं से भी निजात दिलाए। समस्याओं पर कुछ इस तरह आए कमेंट...

जरूरत पर नहीं मिलता ब्लड
संजग गांधी अस्पताल में उचित इलाज की बात तो दूर जरूरत पडऩे पर ब्लड भी नसीब नहीं होता है। जबकि आए दिन विभिन्न शिविरों में भारी संख्या में ब्लड डोनेट करते हैं। टीबी जैसी दूसरी बीमारियों में भी यही हाल है। करोड़ों का बजट आता है। लेकिन लोगों इलाज के लिए नागपुर जैसे शहरों में जाना पड़ता है। क्या यही विकास है।
रमेश सिंह, समाजसेवी।

समस्याओं पर पत्रिका उठाती है मुद्दा
राजस्थान में काला कानून हो या मध्य प्रदेश के विधानसभा में प्रश्न उठाने पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश हो। राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक के मुद्दों को पत्रिका की ओर से गंभीरता के साथ उठाया जाता है। यही वजह है कि पाठक पत्रिका से उम्मीद करने लगे हैं।
राजीव विश्वकर्मा, समाजसेवी।

मालूम नहीं होता कहां हो रहा विकास
कहा जाता है कि रीवा का तेजी से विकास हो रहा है। हर रोज भारी संख्या में मरीज इलाज के लिए नागपुर जाते हैं। पढ़ाई के लिए छात्र दूसरे शहर पलायन कर रहे हैं। सडक़ों का हाल खस्ता है। समझ में नहीं आता है कि किस बात का विकास हो रहा है।
बीके माला, सामाजिक कार्यकर्ता7

यातायात सुधार में तय हो ऑटो का रूट
वर्तमान में यातायात की समस्या शहर की सबसे बड़ी समस्या है। समस्या के निजात के लिए ऑटो का रूट तय होना चाहिए। रिहायसी इलाकों में आवासीय मकानों में स्कूल खुले हैं। ऐसे स्कूलों को बंद होना चाहिए। इसके लिए पत्रिका कोशिश करें तो जरूर राहत मिलेगी।
ममता नरेंद्र सिंह, समाजसेवी।

स्कूल-कॉलेजों में सुरक्षित नहीं छात्र
अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलते। स्कूल कॉलेजों में छात्र सुरक्षित नहीं हैं। युवा नशे की चपेट में आ रहे हैं। क्राइम लगातार बढ़ता जा रहा है। जब तक यह सब दुरुस्त नहीं होता है। स्थितियां खराब ही रहेंगी। किसी भी विकास कोई मतलब नहीं निकलेगा।
सूर्य नारायण पाण्डेय, अधिवक्ता।

नहीं बदला गली मुहल्लों का हाल
स्वच्छता व सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट खर्च हो गया। लेकिन गली मुहल्लों का हाल पहले जैसा ही बुरा है। सफाई केवल शहर के मुख्य मार्गों तक सीमित है। गली मुहल्लों में नालियां नहीं हैं। सडक़ों में गड्ढ़े हैं। नतीजा गर्मियों में भी पानी भरा रहता है।
नीलम चतुर्वेदी, अधिवक्ता।

हर अभियान में पत्रिका ने दिया साथ
सब्जी मंडी की समस्या रही हो या फिर किसानों की। ढेकहा का चिप्को आंदोलन रहा हो या पहडिय़ा में आबादी के बीच कचरा प्लांट बनाने का मुद्दा रहा हो। हर आंदोलन में पत्रिका लोगों के लिए साथ रही है। उम्मीद करते हैं कि महिला अत्याचार व हिंसा के विरोध में मुद्दा उठाए।
कविता पाण्डेय, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम।

छात्राओं के साथ हो रहा छेड़छाड़
बीच शहर में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ हो रहा है। बेटियां व महिलाएं शर्म से थाने नहीं जाती हैं और न ही किसी से शिकायत करती हैं। पूर्व में शोर अभियान जैसे जागरूकता कार्यक्रम से पत्रिका ने लोगों जागरूक करने की शुरुआत की। एक बार फिर से इसकी जरूरत है।
अंजू श्रीवास्तव, अधिवक्ता।

हम सबको खुद करना होगा बदलाव
समस्याएं हैं और उनका समाधान भी चाहिए। लेकिन इसके लिए आरोप प्रत्यारोप करने के बजाए खुद आगे आना होगा। पत्रिका समूह की ओर से इसके लिए भी चेंजमेकर अभियान चलाया गया है। चेंजमेंकर के रूप में हम सबको आगे आकर बदलाव करना होगा।
सुब्रत मणि त्रिपाठी, किसान नेता।

समाज में नैतिकता का हो रहा हृास
विकास के नाम पर केवल बिल्डिंगों को गिनाया जा रहा है। केवल बिल्डिंग बनाने से विकास नहीं होता है। लोगों को स्वस्थ्य व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए। शिक्षा का हाल यह है कि समाज से नैतिकता गायब हो गई है। यही वजह है कि क्राइम बढ़ रहा है।
उमा मिश्रा, समाजसेविका।

हर शख्त एक गाय का करे पालन
शहर की सडक़ हो या गांव में किसान के खेत ऐरा मवेशियों की दिनोंदिन संख्या बढ़ती जा रही है। इससे जहां शहर में यातायात की सुविधा प्रभावित हो रही है। वहीं दूसरी ओर किसान फसल के नुकसान से परेशान हैं। बेहतर होगा कि हर कोई एक गाय को पाले।
शकुंतला मिश्रा, समाजसेविका।

अस्पतालों में हो रही है लूट
सरकारी अस्पताल हों या निजी नर्सिंग होम। वहां मरीजों का जीवन सुरक्षित नहीं है। उपचार व जांच के नाम पर लूट हो रही है। सरकार अस्पताल के चिकित्स निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। कोई बोलने वाला नहीं रह गया है। पत्रिका को यह सब बंद कराना होगा।
राकेश निगम, अधिवक्ता।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता केवल नाम की
संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। मीडिया को इसी स्वतंत्रता के दम पर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है। पत्रिका ने गांव-गांव पहुंचकर लोगों को जागरूक किया है। उम्मीद है कि लोगों की जागरूकता के लिए यह अभियान जारी रहेगा।
नीरज कुशवाहा, अधिवक्ता।

पत्रिका ने लगाया काला कानून पर ताला
वर्तमान में मीडिया संक्रमण काल से गुजर रहा है। पत्रिका जैसे केवल कुछ समूह बचे हैं, जिनसे उम्मीद की जा सकती है। काला-कानून पर ताला लगवाकर पत्रिका ने यह साबित किया है कि मीडिया बहुत कुछ कर सकती है। अब रीवा में बदलाव की उम्मीद है।
रामजी पटेल, सचिव जिला अधिवक्ता संघ।

विकास हुआ, लेकिन कुछ बदला नहीं
लोग कहते हैं कि विकास हुआ है। चलो मान लें कि विकास हुआ। लेकिन बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिला है। स्वास्थ्य सुविधाओं का पहले जैसा हाल है। लोगों को बात सुनी नहीं जा रही है। शिक्षा में निजीकरण हावी हो रहा है। इन सबमें भी सुधार करें। यह भी विकास में ही है।
सुलभ पाण्डेय, पूर्व सचिव जिला अधिवक्ता संघ।

उपलब्ध करा दें सडक़ व पानी
आमजन को सडक़, नाली व पेयजल की व्यवस्था मुहैया करा दें तब माना जाएगा कि विकास हुआ। केवल कंक्रीट का जंगल तैयार कर विकास की दुहाई नहीं दी जा सकती है। सीवर लाइन बनाने के लिए सब कुछ तहस-नहस किया जा रहा है। इस पर ध्यान दिया जाए।
बीडी दुबे, समाजसेवी।

दरगाह में मुहैया हो सुविधा
शहर भर में भले ही स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा हो। लेकिन कोर्ट में ही गंदगी का भरमार है। छोटी व बड़ी दरगाह के स्वच्छता पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सुविधाओं का भी अभाव है। पत्रिका से अपील है कि इस पर अभियान शुरू कर समस्या से निजात दिलाए।
रहीस खान, अधिवक्ता।

वोट मांगने आए तो नेता से करो सवाल
एक दूसरे को कोसने के बजाए खुद के बारे में सोचो कि आपने क्या किया। सब कुछ ठीक हो जाएगा। अब आप वोट मांगने के लिए दरवाजे पर आने वाले नेता से सवाल करना शुरू कर दो। जाति व धर्म के आधार पर वोट नहीं दो। यह सोच बदली तो सब कुछ अच्छा हो जाएगा।
राजेंद्र पाण्डेय, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ।

भ्रष्टाचार पर लगाया जाए लगाम
सारी समस्या का जड़ भ्रष्टाचार है। इस पर लगाम लगाया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार पर लगाम लग जाए तो सारी समस्या दूर हो जाए। नेता व मंत्री से लेकर चपरासी तक भ्रष्टाचार में लिप्त है। यही आमजन को सुविधा मुहैया कराने में बड़ी समस्या बन रहा है।
राजेश तिवारी, अधिवक्ता।

काम करने वालों को चुने प्रतिनिधि
जनसमस्याओं का समाधान तभी होगा। जब स्वच्छ छवि का नेता जनप्रतिनिधि के रूप में चुना जाएगा। पत्रिका ने चेंजमेकर अभियान के तहत इसकी शुरुआत कर दी है। अभियान से जुडक़र लोगों को बदलाव करना होगा। कहने की नहीं अब कुछ करने की बारी है।
नुरूल हसन, समाजसेवी।

चर्चा में उठे यह प्रमुख समस्याएं
- अस्पताल में ब्लड की समस्या बड़ी समस्या है।
- यातायात समस्या को लेकर नहीं फरमा रहे गौर।
- स्कूल-कॉलेजों में छात्र-छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं।
- करोड़ों रुपए खर्च कर रहे, लेकिन स्वच्छता नदारद।
- शहर के गली-मुहल्लों में सडक़ व पानी की समस्या।
- शिक्षा के लिए छात्रों के दूसरे शहरों में हो रहा पलायन।

चर्चा में लोगों ने की यह मांग
- शैक्षणिक संस्थाओं में चलाई जाए नैतिकता की क्लास
- ऐरा प्रथा की समस्या के लिए गौ-पालन को बढ़ावा
- पत्रिका मुद्दा उठाए कि बंद हो चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस
- छोटी व बड़ी दरगाह में स्वच्छता और सुविधाएं उपलब्ध हों।
- रिहायशी मुहल्लों में आवासों में चल रहे स्कूल बंद हों।
- ऑटो के लिए पूरे शहर में रूट चार्ट निर्धारित किया जाए।
- शिक्षा के लिए छात्रों के दूसरे शहरों में पलायन बंद किया जाए।
- शहर में सरकारी चिकित्सकों की निजी प्रैक्टिस बंद हो।