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सुंदरलाल तिवारी की सख्शियत की बुलंदी के जानिए यहां प्रमुख कारण, हर मोर्चे पर इसलिए किए गए पसंद

- कांग्रेस के कद्दावर नेता के निधन पर देर रात तक श्रद्धांजलि देने वालों का लगा रहा तांता

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रीवा

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Mrigendra Singh

Mar 12, 2019

rewa

congress leader sundarlal tiwari died at rewa

रीवा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुंदरलाल तिवारी के निधन से पार्टी को बड़ा झटका लगा है। बीते कई वर्षों से पार्टी विपक्ष में थी तो सुंदरलाल जनता की आवाज बनकर हर जगह खड़े दिखाई देते थे। उनका निधन पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए बड़ा सदमा देने वाला रहा है। करीब २५ वर्षों से वह सक्रिय राजनीति में रहे, इस दौरान कई बड़े आंदोलनों की अगुआई की। अपने अक्खड़पन के चलते वह दबंग नेता के रूप में जाने जाते थे। कई मामलों में बड़े नेताओं के सामने भी वे खड़े दिखाई देते थे। प्रदेश में १५ वर्षों तक भाजपा की सत्ता रही, इस बीच पिता श्रीनिवास तिवारी के साथ ही उन्होंने भी संघर्ष जारी रखा। पिता के अश्वस्थ होने के बाद जिले के कार्यकर्ताओं का वही नेतृत्व करते रहे हैं। सुंदरलाल की एक खाशियत यह भी रही कि उन्होंने विपक्ष के स्थानीय नेताओं की बजाय सीधे प्रदेश और केन्द्र के शीर्ष नेतृत्व पर ही हमला बोला। पिछले विधानसभा में विपक्ष के सबसे मुखर विधायक के रूप में उनकी पहचान बनी। कई ऐसे मामले उठाए जो सरकार की मुश्किलें खड़ी करते रहे। सुंदरलाल के करीबी रहे जयराम शुक्ला बताते हैं कि छोटे स्तर की राजनीति में सहभागिता करने से वे बचते रहे हैं। इसी की वजह से कई बार अपने समर्थकों के गलत कार्य पर भी फटकार लगाते थे, जिससे लोग दूरियां भी बना लेते थे। इतना ही नहीं स्वयं के लाभ के लिए कभी ऐसा कोई कार्य नहीं किया जो इनके वसूलों के खिलाफ हो।

- सुबह योगा करते समय बिगड़ी तबियत
सुबह करीब दस बजे सुंदरलाल तिवारी ने अन्य दिनों की तरह योगा कर रहे थे। इसी बीच उनके सीने में दर्द हुआ। घर पर काम करने वाले कर्मचारी तत्काल संजयगांधी अस्पताल लेकर पहुंचे। चिकित्सकों ने करीब आधा घंटे तक वेंटीलेटर पर रखा। इसके बाद चिकित्सकों को टीम ने फिर परीक्षण किया लेकिन उनकी श्वांस नहीं चल रही थी। जिसके चलते मृत घोषित कर दिया। इसके पहले तबियत खराब होने की सूचना पर तिवारी के सैकड़ों की संख्या में समर्थक अस्पताल पहुंच चुके थे। निधन के बाद पार्थिव शरीर अमहिया स्थित आवास पर लाया गया, जहां कांग्रेस, भाजपा सहित अन्य कई दलों एवं सामाजिक संगठनों के लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

- दो दशक तक वकालत की
सैनिक स्कूल में पढ़ाई के बाद विधि से स्नातक करने के बाद करीब करीब दो दशक तक जिला न्यायालय रीवा में वकालत भी की। 1999 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद राजनीति में सक्रिय हुए और वकालत बंद की। इसके बाद कई विशेष अवसरों पर कोर्ट में बतौर अधिवक्ता पेश होते रहे हैं।
- रीवा के चौथे पूर्व सांसद जिनकी आकस्मिक मौत हुई
रीवा जिले के निर्वाचित पूर्व सांसदों की इसके पहले भी आकस्मिक मौत हुई है। सुंदरलाल तिवारी के पहले शंभूनाथ शुक्ला, चंद्रमणि त्रिपाठी और भीम सिंह पटेल का भी आकस्मिक रूप से निधन हो चुका है।

- सात चुनाव लड़े, दो बार जीत हासिल की
सुंदरलाल तिवारी ने 1996 से लेकर 2014 तक पांच लोकसभा चुनाव लड़ा। 1999 में सांसद भी चुने गए। इसके अलावा वर्ष 2013 में गुढ़ से चुनाव लड़कर विधायक बने। इसी सीट से 2018 में भी पार्टी ने उतारा लेकिन हार का सामना करना पड़ा और तीसरे नंबर पर रहे।
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इन मामलों से सुर्खियों में रहे
- सांसद रहते लोकसभा में सबसे पहले आर्थिक आधार पर सवर्णों के आरक्षण का मुद्दा उठाया।
- विंध्य प्रदेश के गठन की मांग लोकसभा में उठाया, मध्यप्रदेश विधानसभा के संकल्प का हवाला देते हुए कहा कि विंध्य प्रदेश के गठन से विकास की रफ्तार बढ़ेगी।
- विधानसभा में व्यापमं घोटाले को लेकर सरकार को घेरा, सबसे आक्रामक विधायक के रूप में सामने आए। सरकार ने पलटवार करते हुए इनके पिता श्रीनिवास सहित कई करीबियों पर एफआइआर दर्ज कराई।
- रथ यात्रा लेकर अक्टूबर २०११ में रीवा आए भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का विरोध किया। सैकड़ों समर्थकों के साथ विरोध के लिए निकले तो गिरफ्तार कर लिया गया था। सीएम के कई कार्यक्रमों का भी विरोध किया।
- आरएसएस को आतंकवादी संगठन बताया तो पूरे प्रदेश में भाजपा और संघ ने विरोध जताया।
- उमरिया की एक सभा में कलेक्टर-एसपी सहित अन्य अधिकारियों को सरकार का पालतू कुत्ता बताया।
- कांग्रेस के महापुरुषों की प्रतिमा हटाने के भाजपा सरकार के कार्य का विरोध करते हुए चेतावनी दी थी कि दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा भी हम तोड़ देंगे।
- पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर वैश्या का चरित्र अपनाने का गंभीर आरोप लगाया। बवाल बढ़ा तो माफी मांगने के बजाय इस शब्द की व्याख्या करते रहे।
- गंगेव जनपद अध्यक्ष रहते शिक्षाकर्मी पद पर नियुक्तियों को लेकर चर्चा में आए थे। दो साल पहले सरकार ने फिर जांच बैठाई लेकिन इस बार भी कोर्ट से राहत मिल गई।
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सात मार्च को आखिरी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल
बीते सात मार्च को पिता श्रीनिवास तिवारी की स्मृति में लोक कला से जुड़े एक कार्यक्रम में कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम में सुंदरलाल भी शामिल हुए। विधानसभा चुनाव हारने के बाद से उनकी सक्रियता कुछ कमजोर हुई थी।
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तिवनी में अंतिम संस्कार आज, सीएम सहित कई बड़े नेता होंगे शामिल
सुंदरलाल का अंतिम संस्कार उनके गृहग्राम तिवनी में किया जाएगा। जहां पर मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, प्रभारी मंत्री लखन घनघोरिया, मंत्री कमलेश्वर सहित अन्य कई बड़े नेता आएंगे।
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