बिना प्रक्रिया नियुक्ति की मांग...
रीवा। पूर्व में कार्यरत अतिथि विद्वानों को बिना विज्ञापन व प्रक्रिया के सीधे नियुक्ति दी जाए। मानदेय ३० हजार रुपए किया जाए। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश का हवाला देते हुए अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के अतिथि विद्वानों ने इस मांग को लेकर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में जमकर हंगामा किया। कुलपति का पांच घंटे तक घेराव करते हुए अतिथि विद्वानों ने कहा कि गुरुवार को विश्वविद्यालय प्रशासन नियुक्ति के बावत आदेश जारी नहीं करता है तो सभी विभागों में तालाबंदी की जाएगी।
कुलपति के पहुंचते ही घेर लिया
पूर्व निर्धारित योजना के तहत अतिथि विद्वानों ने सुबह ही प्रशासनिक भवन में डेरा डाल दिया। कुलपति के बाहर होने की सूचना पर अतिथि विद्वान वही प्रशासनिक भवन में ही यह कहते हुए धरने पर बैठ गए कि जब तक कुलपति नहीं आएंगे। वह वहां से नहीं हटेंगे। दोपहर तीन बजे तक कुलपति के पहुंचने तक अतिथि विद्वान प्रशासनिक भवन में ही जमे रहे।
विवि प्रशासन जाहिर कर रहा असमर्थता
कुलपति प्रो. केएन सिंह यादव के आने के बाद अतिथि विद्वानों ने उन्हें उनके चेंबर में घेर लिया और उच्च शिक्षा विभाग के आदेश का हवाला देते हुए नियुक्ति करने की मांग की। कुलपति में इसके लिए असमर्थता जाहिर की तो अतिथि विद्वान अड़ गए। रात आठ तक अतिथि विद्वानों ने कुलपति को वहां से हटने नहीं दिया। बाद में कुलपति ने जब विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाकर चर्चा करने का आश्वासन दिया तब जाकर अतिथि विद्वान वहां से हटे।
अतिथि विद्वान आज करेंगे तालाबंदी
अतिथि विद्वानों ने कुलपति कार्यालय से हटने से पहले यह चेतावनी दिया है कि गुरुवार को नियुक्ति संबंधित आदेश जारी नहीं किया गया तो वह विभागों में तालाबंदी करेंगे। अतिथि विद्वानों का तर्क है कि पूर्व में जब उन्हें शासन के आदेश के तहत मानदेय दिया जाता रहा है तो अब क्यों नहीं। अतिथि विद्वानों ने कहा कि पहले महाविद्यालय में लागू नियम को ही विश्वविद्यालय अपनाता रहा है तो फिर अब क्यों नहीं।
कुलपति बोले, शासन से मांग रहे मार्गदर्शन
अतिथि विद्वानों की मांग पर कुलपति ने उनसे कहा कि वह उनकी मांग पर शासन से मार्गदर्शन लेंगे। शासन से मिले निर्देश के अनुसार आगे की कार्यवाही की जाएगी। कुलपति ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय समन्वय समिति ने उच्च शिक्षा विभाग के आदेश को विश्वविद्यालय में लागू नहीं करने की बात कही है। ऐसे में बिना शासन से मार्गदर्शन लिए सीधे नियुक्ति नहीं की जा सकती है। फिलहाल विभागाध्यक्षों से भी इस बारे में विमर्श लिया जाएगा।
उच्च शिक्षा विभाग का जारी है यह आदेश
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया है कि पूर्व में कार्यरत अतिथि विद्वानों को महाविद्यालयों में रिक्त स्थान भरे जाने तक नियमित किया जाए। साथ ही न्यूनतम 30 हजार रुपए का मानदेय दिया जाए। विश्वविद्यालय के अतिथि विद्वान इसी नियम के तहत विश्वविद्यालय में भी नियुक्ति करने की मांग कर रहे हैं। तर्क है कि जब पूर्व में महाविद्यालयों के नियम को अपनाया गया तो अब क्यों नहीं।