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अगर आपके बच्चे को हैं ये तीन बीमारियां तो मिलेगा विकलांग कोटे का लाभ, जानिए क्यों

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइड लाइन, पीडि़तों को विकलांग कोटे का मिलेगा फायदा

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रीवा

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Dilip Patel

Jun 22, 2018

In the category of disability, there are three related diseases related to blood, know who

In the category of disability, there are three related diseases related to blood, know who

रीवा. विकलांगता के दायरे में रक्त संबंधी तीन गंभीर बीमारियों को भी शामिल कर लिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से गाइड लाइन जारी की गई है। जिसके बाद चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में गाइड लाइन के अनुसार विकलांगता का लाभ देने के कवायद शुरू हो गई है।
विक लांगता की श्रेणी में रक्त संबंधी तीन बीमारियां थैलेसेमिया, हीमोफिलिया और सिकल सेल एनीमिया को शामिल किया गया है। पहले इन बीमारियों का उपचार नि:शुल्क होता रहा है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सुविधा भी दी जाती थी। लेकिन अब केंद्र सरकार ने अनुवांशिक रक्त के बीमारियों से पीडि़त बच्चों के लिए नई योजना प्रारंभ की है जिसके अंतर्गत थैलेसीमिया सिकल सेल एनीमिया तथा हीमोफ ीलिया के रोगियों को और उनके परिवारों को राहत प्रदान की जाएगी। पीडि़त बच्चों को विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। यदि बीमारी की ग्रेडिंग 40 प्रतिशत से अधिक पायी गई तो प्रमाण पत्र प्राप्त होने पर शासन से सुविधाएं परिवार को प्रदान की जाएंगी। उपचार के लिए कहीं जाने पर रेलवे यात्रा भत्ता में कंसेशन मिलेगा। इनकम टैक्स में छूट और सामाजिक न्याय विभाग से प्राप्त होने वाली सभी प्रकार की सहायताएं मिल सकेंगी। शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति सिंह ने बताया कि पूर्व में सामाजिक न्याय विभाग द्वारा दिव्यांग लोगों को ही विकलांगता का प्रमाण पत्र दिया जाता था। जिनमें शारीरिक और मानसिक विकलांगता शामिल थी। लकवा, हाथ या पैर कट जाना, मंदबुद्धि, दृष्टिबाधित, अस्थि बाधित, मूक बधिर होने पर ही विकलांगता का प्रमाण पत्र मिलता था। लेकिन अब तीन बीमारियों के शामिल कर लेने से बहुत बड़े समुदाय को फायदा मिलेगा।
रीवा में 50 से अधिक थैलेसेमिया के मरीज
जिले में 50 से अधिक थैलेसेमिया से पीडि़त बच्चे मौजूद हैं। जो जीएमएच के शिशु रोग विभाग में रजिस्टर्ड हैं। इन बच्चों को विकलांगता प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। बच्चों को हमेशा खून की कमी होने के कारण बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन दिलवाना पड़ता है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन के कारण शरीर में अनेक समस्याएं आ सकती हैं। जिनमें आयरन का ओवरलोड होना प्रमुख है जिसके कारण हृदय, मांसपेशियों, फेफड़े में परेशानी हो जाती है। विकलांगता की श्रेणी में आने पर इनको उपचार में फायदा मिल सकेगा।
48 बच्चों की हुई पीडि़तों की ग्रेडिंग
श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा 21 जून को एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष एवं सदस्य, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सिविल सर्जन विकलांगता बोर्ड के सदस्य और पीडि़त बच्चों के परिवार ने भाग लिया। करीब 48 बच्चों की ग्रेडिंग हुई।मुख्य अतिथि कमिश्नर महेश चंद्र चौधरी, अध्यक्षता अधिष्ठाता डॉ. पी सी द्विवेदी ने की। थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और हिमोफि लिया से पीडि़त बच्चों की ग्रेडिंग की गई। कमिश्नर ने कहा कि रक्त संबंधी तीन बीमारियों को विकलांगता की श्रेणी में शामिल कर लेने से बड़ी संख्या में पीडिय़ों को फायदा पहुंचेगा।