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नेहरू, इंदिरा से लेकर राहुल गांधी तक का रीवा से लगाव, जानिए यहां कब-कब ठहरा है परिवार

1978 में इंदिरा राजनिवास में रुकी थीं, नेहरू का पसंदीदा स्थान रहा है चचाई प्रपात

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रीवा

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Mrigendra Singh

Sep 27, 2018

rewa

Jawaharlal Nehru, indira gandhi, rahul gandhi in rewa mp

रीवा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 27 सितंबर को दो दिवसीय दौरे पर रीवा आ रहे हैं। यहां मेगा रोड शो के साथ रात्रि विश्राम का कार्यक्रम है। 40 वर्ष बाद ऐसा अवसर आ रहा है जब गांधी परिवार का सदस्य कांग्रेस की अगुआई करते हुए रीवा में रोड शो और रात्रि विश्राम करने जा रहा है। इससे पहले 1978 में इंदिरा गांधी रीवा आई थीं। उनका भी रोड शो शहर के जयस्तंभ से व्यंकट रोड होते हुए अस्पताल चौराहा, अमहिया, सिरमौर चौराहा होते हुए विश्वविद्यालय स्टेडियम तक हुआ था।
उस दौर में रोड शो हर नेता नहीं करता था, इंदिरा ने ही इसे सबसे अधिक लोकप्रिय बनाया था। रात्रि विश्राम उन्होंने राजनिवास में किया था, जहां अब राहुल गांधी भी रुकने जा रहे हैं। उनका भी चोरहटा से जयस्तंभ, व्यंकट रोड, अस्पताल चौराहा होते हुए रोड शो होगा और सिरमौर चौराहे में धन्यवाद सभा होगी। रात्रि विश्राम राजनिवास में करेंगे। गांधी परिवार के सभी प्रमुख सदस्य रीवा आते रहे हैं लेकिन रोड शो के साथ इतना व्यापक कार्यक्रम इंदिरा के बाद ही तय किया गया है।
राजीव गांधी, सोनिया गांधी भी यहां कई बार जनसभाएं कर चुके हैं। कांग्रेस के कई ऐसे नेता जो ४० वर्ष पहले सक्रिय रहे और इंदिरा के उस ऐतिहासिक कार्यक्रम के गवाह थे, उनका मानना है कि विंध्य में उस बार लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन था। इस बार भी राहुल का दौरा नई ऊर्जा देगा और राजनीतिक बदलाव आएगा।

नेहरू का भी पसंदीदा स्थान रहा है रीवा
विंध्य क्षेत्र शुरू से समाजवादियों का गढ़ रहा है, इस कारण पंडित जवाहरलाल नेहरू भी पार्टी को स्थापित करने यहां आते रहे हैं। सिरमौर का चचाई फाल भी उन्हें आकर्षित करता रहा है। रीवा दौरे पर वे वहां जाते रहे हैं। 1956 में सिरमौर में बड़ी सभा करने के बाद वही रुके भी थे। पहली बार सन 1952 में केवल देखने के लिए गए थे, इसके बाद सिरमौर में एक गेस्टहाउस बनाया गया था जो अब भी चल रहा है। बैकुंठपुर के नर्वदा सिंह नेहरू के करीबी थी और यूपी कांग्रेस के लिए काम करते थे। उनके बुलावे पर नेहरू अपने साथ इंदिरा को भी सन ५६ में लेकर आए थे।

अर्जुन सिंह के घर बना खाना खाया था इंदिरा ने
1978 में चुनाव प्रचार के लिए आई इंदिरा गांधी को तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अर्जुन सिंह के घर बना खाना खिलाया गया था। कढ़ी और इंदरहर के स्वाद पर वह प्रभावित हुई थी, इसकी तारीफ कार्यकर्ता मीटिंग में भी की थी।

चार दशक पहले सक्रिय रहे नेताओं ने कहा-फिर लौटेगी कांग्रेस
इंदिरा गांधी राजनीति पर गहरी पकड़ रखती थी, बड़ा व्यक्तित्व होने के बावजूद वह कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उन्हें प्रेरित करती थी। रीवा में 40 साल पहले बड़ा रोड शो करने के बाद सभा की थी। उसके कुछ महीने पहले प्रतिनिधि मंडल के साथ मैं भी दिल्ली गया था, इसका उल्लेख उन्होंने बड़े नेताओं से भी किया। नेहरूजी भी कई बार यहां आए। 1956 में स्काउट गाइड का छात्र होने के नाते उनसे मिलने का अवसर मिला था। अब चौथी पीढ़ी के राहुल गांधी भी रीवा आ रहे हैं। उम्मीद है कार्यकर्ताओं को ऊर्जा मिलेगी।
रामगरीब मिश्रा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता
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हमारे लिए यह संयोग है कि इंदिरा गांधी के हस्तक्षेप पर पहली बार टिकट मिला और विधायक बना। राहुल गांधी ने राज्यसभा तक पहुंचाया। 1978 में हुए रोड शो का आयोजन कराने में शामिल रहा। अब नए अध्यक्ष के कार्यक्रम की तैयारी में लगा हूं। विंध्य के प्रति लगाव दोनों का एक जैसा समझ में आता है। चार दशक पहले रोड शो ने बड़ा राजनीतिक बदलाव इस क्षेत्र में किया था। परिवर्तन की लहर है, यह कार्यक्रम भी सार्थक साबित होगा।
राजमणि पटेल, राज्यसभा सांसद
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1978 में मैं एनएसयूआई का प्रदेश अध्यक्ष था, उस दौर में वरिष्ठ नेता ही रणनीति तय करते थे। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अर्जुन सिंह ने मिलने का अवसर दिलाया था। उस समय सूचना तकनीकी इतनी अधिक नहीं थी फिर भी भारी संख्या में लोग जुटे थे। राजनिवास में हुई मुलाकात और निर्देश को युवाओं ने गांव-गांव जाकर बताया। इस बार पूरा जिला स्वागत को आतुर है। संयोग है कि 40 साल इंदिरा जी ने राजनीतिक के साथ रहे नेता प्रतिपक्ष के पुत्र अब उसी पद पर हैं।
राजेन्द्र मिश्रा, पूर्व संसदीय सचिव
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इंदिरा गांधी ने रीवा में स्टेडियम में जनसभा को संबोधित किया था। उनके विचारों को सुनने के लिए दूसरे जिलों से लोग एक दिन पहले ही पहुंच गए थे। सिर्फ स्टेडियम का मैदान ही नहीं बल्कि बाहर भी लोगों की भीड़ एकत्र थी। उन्होंने रीवा में ही रात्रि विश्राम किया था और दूसरे दिन सुबह उन्होंने इंदिरा सिंह व चंपा देवी सिंह से मुलाकात की थी जिनको वे अपनी बहन मानती थी। 1952 में पं. जवाहरलाल नेहरू ने भी चाकघाट से विंध्य की यात्रा शुरू की थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने झूठ और फरेब से इतने साल शासन किया है। कांग्रेस के प्रति लोगों में झुकाव आया है लेकिन संगठन के तरीकों पर विचार करने की आवश्यकता है।
महावीर सोलंकी, 1978 के तत्कालीन कांग्रेस जिलाअध्यक्ष