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कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम का संचालन समदडिय़ा ग्रुप को देने पर बवाल, जानिए रीवा में क्यों होता है इसके हर प्रोजेक्ट पर विवाद

मेयर इन काउंसिल की बैठक में स्वीकृत किया गया टेंडर, नियमों पर विपक्ष ने उठाए सवाल

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रीवा

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Mrigendra Singh

Sep 11, 2018

rewa

krishna rajkapoor auditorium rewa and samdariya group

रीवा. शहर में बीते कुछ वर्षों के अंतराल में सरकारी भूमि पर स्थापित किए गए सभी बड़े प्रोजेक्ट जबलपुर के समदडिय़ा गु्रप को मिले हैं। इस पर लगातार विवाद हो रहा है, इसके बावजूद नगर निगम ने एक और बड़ा कार्य उसी ग्रुप के हवाले कर दिया है। जिसको लेकर शहर में मच गया है बवाल।
कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम का रखरखाव समदडिय़ा ग्रुप करेगा। इसकी स्वीकृति मेयर इन काउंसिल ने दे दी है। निगम के अधिकारियों ने वार्ड-सात में 18.38 करोड़ रुपए से बने इस आधुनिक ऑडिटोरियम, कैफेटेरिया एवं ओपन थिएटर के रखरखाव का टेंडर जारी किया था। जिस पर समदडिय़ा ग्रुप का टेंडर स्वीकृत किया गया है। निगम ने यह प्रस्ताव एमआइसी के सामने रखा, जिसे पास करते हुए परिषद की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
नगर निगम ने न्यूनतम किराया एक लाख रुपए हर महीने के हिसाब से टेंडर जारी किया था। जिस पर समदडिय़ा गु्रप ने 1.34 लाख रुपए का टेंडर डाला है। एमआइसी ने शर्त रखी है कि ऑडिटोरियम में वैवाहिक कार्यक्रमों की अनुमति नहीं दी जाएगी। कार्यक्रम का अधिकतम किराया ६५ हजार रुपए तय किया गया है। इसे आशीर्वाद समारोह के लिए भी किराए पर दिया जा सकेगा।

टेंडर में ये रखी गई थी शर्तें
नगर निगम ने टेंडर में शर्त रखी कि 1000 सीट के आडिटोरियम या सिनेमाघर संचालन का अनुभव होना चाहिए। संबंधित फर्म का वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रुपए से अधिक हो। नगर निगम को न्यूनतम एक लाख रुपए हर महीने भुगतान करना होगा। हर तीसरे वर्ष निगम के प्रीमियम में 10 प्रतिशत का इजाफा होगा। यह टेंडर दस वर्ष के लिए होगा। उक्त शर्तें समदडिय़ा ग्रुप ही पूरी कर सका क्योंकि संभाग में मल्टीप्लेक्स संचालकों के पास अधिकतम 500 सीटर के संचालन का अनुभव है।

18.38 करोड़ में इसी ग्रुप ने कराया था निर्माण
पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत 24.33 करोड़ रुपए कीमत के सिरमौर चौराहे के पास स्थित सरकारी बंगलों की भूमि समदडिय़ा ग्रुप को दी गई। जिसमें 18.38 करोड़ रुपए आडिटोरियम और एक करोड़ रुपए का विश्वविद्यालय के कुलपति का बंगला निर्माण के लिए स्वीकृत किया गया था। शेष राशि शासन के खाते में जमा की गई थी।

विपक्ष ने शर्तों पर खड़ा किया सवाल
नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष अजय मिश्रा बाबा ने इस पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, हम लगातार सवाल उठाते रहे हैं कि नगर निगम में टेंडर को लेकर फिक्ंिसग की जाती है। कई मामलों की शिकायत लोकायुक्त और इओडब्ल्यू में विचाराधीन है। आडिटोरियम का पूरा मामला संदिग्ध है, टेंडर में ऐसी शर्तें जोड़ी गई थी, जिससे समदडिय़ा ग्रुप को ही टेंडर दिया जाए। परिषद में यह मामला आएगा तो पूछा जाएगा कि आखिर इतनी जल्दबाजी और नियम विरुद्ध कार्य की क्या वजह रही है।

कलाकेन्द्र के रूप में विकसित करने की थी योजना
आडिटोरियम का निर्माण पूरा नहीं हुआ था तब से कई बार मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने यह कहा कि शहर में कलाकारों को कार्यक्रम के लिए कोई माकूल इंतजाम नहीं है। इस वजह से इसे कलाकेन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा और कलाकारों और साहित्यकारों से जुड़े कार्यक्रम का शुल्क भी कम होगा। आशीर्वाद कार्यक्रम के लिए देने पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।

परिषद की बिना स्वीकृति कार्यक्रमों की अनुमति
आडिटोरियम का दो जून को इसका लोकार्पण कराया गया, जिसमें 30 लाख रुपए खर्च होने के बाद एमआइसी ने स्वीकृति दी। बीते 6 अगस्त 2018 को यह भवन हाउसिंग बोर्ड से नगर निगम को हस्तांतरित किया गया। तब लेकर अब तक इसमें लगातार आयोजन होते रहे हैं। इसकी अनुमति को लेकर भी विवाद बना हुआ है। नगर निगम यह तय नहीं कर पाया है कि इसके आवंटन से प्राप्त होने वाली आय किस मद में जाएगी। कई बार यह भी कहा गया कि निगम को जानकारी नहीं है, कलेक्टर कार्यालय से कार्यक्रम की अनुमति जारी हो रही है।

इन्होंने भी लगाया आरोप
इस टेंडर को लेकर कांग्रेस के शहर अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू, सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला आदि ने आरोप लगाया हुए कहा, समदडिय़ा गु्रप को आडिटोरियम के रखरखाव का ठेका देने के लिए नगर निगम ने अतिरिक्त शर्तें जोड़ दी थी। इसमें ऐसी शर्तें शामिल की गई हैं जो समदडिय़ा ग्रुप ही पूरी कर सकता है। इस ग्रुप के पास मल्टीप्लेक्स संचालन का अनुभव है। दोनों ने कहा, जनता के करोड़ों रुपए से तैयार ऑडोटोरियम को कला व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ही देना था।

MRIGENDRA IMAGE CREDIT: Patrika

एमआईसी ने इन एजेंडों की भी स्वीकृति दी
एमआइसी की बैठक में छह एजेंडे रखे गए थे। जिसमें नगर निगम में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए कार्यरत सफाईकर्मियों की 89 दिन सेवा बढ़ाई गई है। स्वच्छता सर्वे के लिए दो माह के लिए प्रेरक रखे जाने की स्वीकृति, दैनिक वेतन पर 100 सफाई श्रमिकों की सेवाएं बढ़ाने, कांस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वेस्ट के समुचित निष्पादन की योजना की स्वीकृति, रानी तालाब संरक्षण एवं प्रबंधन के ठेका का प्रीमियम निर्धारण आदि के कार्य भी स्वीकृत किए गए हैं। मेयर इन काउंसिल की इस बैठक में महापौर ममता गुप्ता के साथ आयुक्त आरपी सिंह, प्रभारी अधीक्षण यंत्री शैलेन्द्र शुक्ला, एमआइसी सदस्य सतीष सिंह, शिवदत्त पाण्डेय, नीरज पटेल, मनीष श्रीवास्तव, ललिता वर्मा, सुधा सिंह, संजना सोनी, सूफिया बेगम सहित अन्य मौजूद रहे।