रीवा। तुम्हारे गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे और दावे किताबी हैं...। कवि अदम गोंडवी की यह पंक्तियां कुठुलिया से हर्दी के बीच बसे गांवों के विकास के दावों की हकीकत बताने के लिए काफी है। कहने को गांव की सरहदें शहर से जुड़ी हैं पर सड़क की हालत देखकर लगता है कि विकास यहां से कोसों दूर है।
80 साल के बुजुर्ग हों या फिर 25 साल के नौजवान, सभी का दर्द यही है कि वे कभी अच्छी सड़क का सुख नहीं भोग पाए हैं। कुठुलिया-हर्दी मार्ग की लम्बाई करीब 10 किमी. है।
न तो पैदल चल सकते न ही साइकिल से
इस मार्ग के किनारे कुठुलिया बस्ती, मलैया टोला, सिलपरा, बैसा, पड़ोखर आदि गांव पड़ते हैं। मुकुंदपुर टाइगर सफारी मार्ग से बैरियर के समीप यह मार्ग मिलता है। मार्ग की हालत ऐसी है कि इसमें न तो पैदल चल सकते हैं और न ही साइकिल से। सड़क जगह-जगह से उखड़ चुकी है। बड़ी-बड़ी गिट्टी, धूल और गढ्डे पर लोग चलने को विवश हैं।
आए दिन बच्चे चोटिल
शहर पढऩे आने वाले स्कूली बच्चे इस सड़क का दंश सबसे अधिक भुगत रहे हैं। आए दिन चोटिल होकर घर पहुंचते हैं। मलैया टोला के सिपाही लाल, संजय शुक्ला और भाई लाल ने बताया कि बड़ी मुद्दतों के बाद छह साल पहले परफार्मेंस गारंटी पर निर्माण हुआ था। पर कार्य इतना घटिया था कि बनते ही सड़क उखड़ गई थी।
प्रोजेक्ट पर पानी फिर गया
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की मिलीभगत से ढाई करोड़ के प्रोजेक्ट पर पानी फिर गया। लोगों का कहना है कि कई बार धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। पांच साल पहले उम्मीद जगी थी पर घटिया निर्माण से पंद्रह दिनों में ही सड़क उखड़ गई। जनप्रतिनिधियों को मालूम है। कमिश्नर, कलेक्टर भी नजरअंदाज कर रहे हैं। अब मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है।
फैक्ट फाइल
-10 किमी. लम्बी सड़क है यह।
-6 गांव सड़क किनारे बसे हैं।
-2500 आबादी झेल रही है दंश।
पंद्रह दिनों में ही गई सड़क उखड़
अच्छी सड़क का सुख कभी नहीं भोग पाए हैं। पहले कच्चे रास्ते में चलते थे अब गिट्टी पर चल रहे हैं। पांच साल पहले उम्मीद जगी थी पर घटिया निर्माण से पंद्रह दिनों में ही सड़क उखड़ गई।
मनीष दाहिया, मलैया टोला।
हम तो 40 साल से सड़क की हालत ऐसी ही देख रहे हैं। यहां कोई तकलीफ नहीं सुनने वाला है। सड़क चलने लायक नहीं है। साइकिल, मोटर साइकिल के टायर गिट्टी में घिस जाते हैं। आए दिन लोग गिरते हैं।
लवकुश दाहिया, मलैया टोला