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स्कूली छात्रों पर मंत्री को आया रहम, जानिए क्या है मामला

देर से ही सही समस्या दूर करने शुरू हुई कवायद...

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रीवा

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Ajit Shukla

Jun 16, 2018

Minister release 51 lakhs rupees for repairing of gov school

Minister release 51 lakhs rupees for repairing of gov school

रीवा। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय-दो के छात्रों को जर्जर भवन से जल्द ही मुक्ति मिलेगी। देर से ही सही उद्योग मंत्री के इंटरेस्ट पर विद्यालय के लिए बजट स्वीकृत हो गया है। हालांकि अभी कुछ दिन तक छात्रों को जर्जर भवन में ही पढ़ाई करना होगा। करीब एक वर्ष पहले उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ला विद्यालय प्रशासन को भवन दुरुस्त कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन अब जाकर बजट को स्वीकृति मिली है।

कई वर्षों से गुहार लगा रहे प्राचार्य
विद्यालय के प्राचार्य की ओर से पिछले कई वर्षों से विद्यालय के जर्जर भवन को दुरुस्त कराने को लेकर गुहार लगाई जा रही है। लेकिन पिछले वर्ष विद्यालय में विशेष कक्षा लेने पहुंचे उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ला से खुद छात्रों ने अपील की थी कि विद्यालय के भवन को दुरुस्त करा दें, क्योंकि उन्हें जर्जर हो चुके भवन की कक्षा में बैठने से भी डर लगता है।

क्रमांक एक का भवन हो गया दुरूस्त
कुछ ऐसी ही अपील शाउमावि क्रमांक के छात्रों ने भी की थी। इस पर उद्योग मंत्री ने न केवल दोनों ही विद्यालयों के भवन दुरुस्त कराने का आश्वासन दिया था। बल्कि जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बाद में विद्यालयों का अवलोकन भी किया था। शाउमावि क्रमांक एक का भवन को दुरुस्त हो गया, लेकिन क्रमांक दो की स्थिति नहीं बदली।

51.86 लाख रुपए का बजट स्वीकृत
मप्र. लोक निर्माण विभाग की ओर से अभी चंद रोज पहले भवन के मरम्मत कार्य के लिए स्टीमेट जारी किया गया है। स्टीमेट में शाउमावि क्रमांक दो के साथ क्रमांक एक के लिए बजट स्वीकृत किया गया है। शाउमावि क्रमांक दो के लिए 51.86 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं। शाउमावि क्रमांक एक के लिए 28.69 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं।

क्रमांक दो के लिए नहीं बचा बजट
उद्योग मंत्री के आश्वासन के बाद दोनों विद्यालयों के लिए कंपनी सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) के जरिए 50 लाख रुपए का बजट उपलब्ध कराया गया था। लेकिन निर्माण एजेंसी ने केवल शाउमावि-एक का भवन दुरुस्त कर काम समाप्त कर दिया। शाउमावि क्रमांक दो के लिए बजट खत्म होने का हवाला दे दिया। ऐसे में विद्यालय क्रमांक दो के कायाकल्प का कार्य अधर में लटक गया।