13 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इन मंत्रियों ने कलाकारों के साथ मंच पर बजाए ढोल-मजीरा, यहां पर लगेगी बिरसामुंड की प्रतिमा

एसएएफ ग्राउंड में बिरसा मुंडा की 144वीं जयंती पर सम्मेलन में जुटी आदिवासियों की भीड

2 min read
Google source verification

रीवा

image

Rajesh Patel

Nov 16, 2019

 Tribal society

ministers played dhol-majira with actors on stage

रीवा. बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज को नई चेतना दी, उन्होंने अग्रेजों के विरूद्ध सशस्त्र संघर्ष के लिए आदिवासी भाईयों को संगठित किया। अग्रेजों से संघर्ष करते हुये केवल 25 वर्ष की आयु में बिरसा मुंडा शहीद हुए। हमारे आदिवासी भाई संगठित होंगे तभी उनके अधिकार मिलेंगे। यह बातें शुक्रवार को बरसामुंडा की जयंती के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने कही। एसएएफ ग्राउंड में आयोजित समारोह में मंत्री मरकाम ने कहा कि रीवा में बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव कार्यक्रम में शामिल होने आए मुख्यमंत्री के बतौर प्रतिनिधि के रूप में पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल के साथ मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे।

आदिवासी समाज को पट्टा दिलाने लड़ाई लडूंगा
रीवा में आदिवासी समाज के लिए 25 लाख रुपए की लागत से सामुदायिक भवन निर्माण की घोषणा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि पचास साल से सरकारी जमीन पर काबिज आदिवासी समाज को पट्टा दिलाने के लिए लड़ाई लडूंगा और गरीबों के नाम अभिलेखों में दर्ज कराने के साथ ही पट्टा दिलाकर रहूंगा। उन्होंने ने कहा कि वनाधिकार अधिनियम के तहत प्रदेश भर में अमान्य किए गए 3.5 लाख जमीन के दावों पर पुनर्विचार किया जा रहा है। हर पात्र आदिवासी को जमीन तथा हर हाल में पक्का घर मिलेगा। आदिवासियों के स्थानीय देवताओं के देव स्थानों का विकास किया जाएगा। इसके लिए आस्थानम योजना शुरू की जा रही है। इन देव स्थानों में छाया, प्रकाश, पेयजल तथा ठहरने की व्यवस्था की जायेगी।

देश के विकास में आदिवासियों का बड़ा योगदान
समारोह में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि आदिवासी समाज ने देश के विकास में सबसे बड़ा योगदान दिया है। भवन, सडक़ सहित हर बड़ा निर्माण कार्य आदिवासी के पसीने की देन है। आदिवासी समाज को संगठित और जागृत करने के लिए भगवान बिरसा मुंडा ने अपने प्राण की बाजी लगा दी। हमारी सरकार आदिवासियों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आगे बढने का अवसर दे रही है। सरकार ने 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली तथा कन्यादान योजना में 51 हजार रुपए की राशि दी है। शिक्षा, स्वरोजगार के लिए भी कई अवसर दिये जा रहे हैं। वृद्धावस्था तथा सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ाई गयी है। समारोह में विधायक ब्यौहारी शरद कोल तथा बसंती देवी कोल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

आदिवासी समाज को पिछड़ी जनजाति घोषित किया जाए
पूर्व विधायक रामगरीब वनवासी ने आदिवासी समाज के विकास के लिए वनाधिकार के पट्टे देने, कोल को विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित करने, सरकारी नौकरी में शरीरिक मापदण्ड में छूट, रीवा में बिरसा मुण्डा की प्रतिमा लगाने तथा हवाई पट्टी का नाम बिरसा मुंडा के नाम पर करने की मांग की।

अधिकारों के लिए लडऩे की शिक्षा दी
समारोह में रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कहा कि बिरामुंडा की जयंती पर रीवा में ऐतिहासिक समागम आयोजित किया गया है। इसमें 10 जिलों के आदिवासी भाई-बहनें शामिल हैं। आदिवासी समाज देश का ऐसा समाज है जो निष्छलता और सादगी से रहते हुये कठिन से कठिन परिस्थिती का सामना कर लेता है। बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज में चेतना देकर उन्हें अपने अधिकारों के लिए लडऩे की शिक्षा दी। उनका कहना था कि केवल चिरागों से रोशनी नहीं होती शिक्षा से भी रोशनी फैलती है। उन्होंने अदम्य साहस से बलिदान की गाथा गढ़ी। वे हम सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं।