लॉकडाउन के दौरान पंचायतों में आर्थिक गतिविधियां बढाने के लिए जिला प्रशासन की पहल पर जिला पंचायत सीइओ ने गरीब परिवारों के साथ ही समूह की महिलाओं को स्थाई रोजगार देने के लिए योजना तैयार की है। योजना को पंचायत, अजीविका मिशन और पशु पालन विभाग के अधिकारियों ने अमली जामा पहना शुरू कर दिया है। योजना का ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया गया है। जिला प्रशासन ने भी योजना पर फाइनल मुहर लगा दी है।
इस योजना की शुरूआत सिरमौर जनपद एरिया के एक दर्जन गांवों में मॉडल के रूप में प्रारंभ किया जाएगा। योजना के मुताबिक प्रत्येक पोल्ट्री फार्म में औसत 70-80 हजार रुपए की लागत से तैयार किया जाएगा। कुल मिलाकर 21 करोड़ रुपए से अधिक की योजना तैयार की गई है। अजीविका मिशन के सहायक जिला प्रबंधक जितेन्द्र ङ्क्षसह के मुताबिक इस योजना को सिरमौर क्षेत्र में प्रारंभ किया जाएगा। पहले चरण में 300 हितग्राहियों को चयन किया गया है।
जिला पंचायत सीइओ स्वप्लिन वानखेड़े के मुताबिक मनरेगा और डीएएफ के तहत पोल्ट्री फार्म का शेड तैयार किया जाएगा। प्रारंभ में हितग्राहियों को पोल्ट्री फार्म चालू करने के लिए कच्चा मटेरियल खरीद कर दिया जाएगा। निजी संस्था के द्वारा हितग्राहियों को कच्चा माल उपलब्ध्ध कराया जाएगा। साथ ही उत्पादन संस्था स्वयं खरीदेगी। इसके लिए समूह की महिलाओं के साथ गरीब परिवारों का चयन किया जा रहा है। जिनके पास भूमि कम है। सेमरिया के अलावा अन्य क्षेत्र के लोग भी मनरेगा के तहत पोल्ट्री शेड तैयार कर सकते हैं।