
विंध्य में रीवा एक ऐसी सीट है जहां नेतओं को स्थायित्व मिलता रहा है। जबकि, गुढ़ में चेहरे बदलते रहे हैं। अधिक समय तक कांग्रेस पार्टी के ही विधायकों को जनता ने चुना है लेकिन बीते चार चुनावों में लगातार भाजपा का ही विधायक निर्वाचित हुआ। राजेन्द्र शुक्ला इस सीट पर सबसे अधिक समय तक प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक बने हैं। कांग्रेस से पुष्पराज सिंह को भी तीन बार क्षेत्र की जनता ने विधायक बनाया और सरकार में वह मंत्री भी रहे। इसके अलावा यहां के जगदीशचंद्र जोशी, शत्रुधन सिंह, मुनिप्रसाद शुक्ला, प्रेमलाल मिश्रा ने भी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। यहां से सोशलिस्ट पार्टी को पहली जीत हासिल हुई थी। भाजपा को कई वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा है। जनता दल, बसपा सहित दूसरे दलों के भी प्रदर्शन ठीक रहे हैं। कई बार इनके प्रत्याशी भी मुकाबले रहे।
जब कांग्रेस प्रत्याशी को नहीं मिला चिह्न
रीवा में 1998 का चुनाव सुर्खियों में रहा है। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किए गए पुष्पराज सिंह का फार्म बी निर्वाचन कार्यालय में जमा नहीं हो पाया। इसके चलते कांग्रेस का चुनाव चिह्न उन्हें नहीं मिला। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्होंने चुनाव जीता और बाद में मंत्री भी बने। कहा जाता है कि एक साजिश के तहत उनका फार्म निर्धारित समय पर निर्वाचन कार्यालय नहीं पहुंचाया गया था। चुनाव में यही मुद्दा भी बना और सहानुभूति के तौर पर पुष्पराज सिंह को लोगों ने जिताया।
रीवा के अब तक के विधायक
विंध्य प्रदेश के दौर में पहले विधायक 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के जगदीशचंद्र जोशी चुने गए थे। 1957 में भी जगदीशचंद्र जोशी ही चुने गए। 1962 में शत्रुधन सिंह कांग्रेस, 1967 में भी शत्रुधन सिंह कांग्रेस से जीते। 1972 में मुनि प्रसाद शुक्ला कांग्रेस, 1977 में प्रेमलाल मिश्रा जनता पार्टी, 1980 में मुनिप्रसाद कांग्रेस, 1985 में प्रेमलाल मिश्रा, 1990 पुष्पराज सिंह कांग्रेस, 1993 पुष्पराज सिंह कांग्रेस, 1998 पुष्पराज सिंह निर्दलीय, 2003, 2008, 2013 और 2018 में राजेन्द्र शुक्ला जीते।
गुढ़ में हर दल पर जनता ने जताया भरोसा
जिले का गुढ़ विधानसभा क्षेत्र ऐसा रहा है, जहां पर भाजपा-कांग्रेस की परंपरागत जीत के साथ ही दूसरे दलों को भी जनता ने सेवा का अवसर दिया है। यहां से कांग्रेस, भाजपा, जनता पार्टी, जनसंघ, बसपा, सीपीआई को जनता ने प्रनिधित्व का मौका दिया। एक ही अवसर ऐसा रहा है जब लगतार दूसरी बार जनता ने जिताया है। भाजपा के नागेन्द्र सिंह वर्ष 2003 एवं 2008 में लगातार जीते। हालांकि इसके बाद उन्हें 2013 में कांग्रेस के सुंदरलाल तिवारी ने हराया था। फिर सुंदरलाल को हराकर नागेन्द्र ही विधायक बने। कई विधायक जिन्हें एक से अधिक बार सेवा का अवसर मिला लेकिन वह लगातार चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाए हैं। सबसे अधिक बार प्रतिनिधित्व का मौका नागेन्द्र सिंह को मिला है। ये पहले कांग्रेस से जीते थे, बाद में पाला बदलकर भाजपा में आ गए।
अब तक के विधायक
विंध्यप्रदेश के दौर में पहले विधायक कांग्रेस के 1952 में बृजराज सिंह तिवारी, 1957 शिवनाथ पटेल जनसंघ, 1962 में बृजराज सिंह तिवारी कांग्रेस, 1967 में मुनिप्रसाद शुक्ला कांग्रेस, 1972 में रामपाल सिंह कांग्रेस, 1977 में चंद्रमणि त्रिपाठी जनता पार्टी, 1980 में राजेन्द्र मिश्रा, 1985 में नागेन्द्र सिंह कांग्रेस, 1990 में विश्वंभरनाथ पांडेय सीपीआई, 1993 में बुद्धसेन पटेल बसपा, 1998 में विद्यावती पटेल बसपा, 2003 में नागेन्द्र सिंह भाजपा, 2008 में नागेन्द्र सिंह भाजपा, 2013 में सुंदरलाल तिवारी कांग्रेस, 2018 में नागेन्द्र सिंह भाजपा।
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Updated on:
14 Nov 2023 11:44 am
Published on:
14 Nov 2023 11:41 am
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