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एमपी में शोषण के खिलाफ बिफरी यह महिलाएं, मचा घमासान

समाज की बात तो दूर घर में ही सशक्त नहीं हुई महिला...

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रीवा

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Ajit Shukla

Apr 22, 2018

Patrika talk show: Rewa's women raised issue of exploitation

Patrika talk show: Rewa's women raised issue of exploitation

रीवा। वैसे तो पिछले कई वर्षों से महिला सशक्तिकरण की बात की जा रही है। तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन हकीकत यह है कि समाज की बात तो दूर घर में ही महिला सशक्त नहीं हुई। पत्रिका के स्थापना दिवस पर आयोजित टॉक शो में महिलाओं ने समाज में महिलाओं की स्थिति और सशक्तिकरण को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

दहेज प्रथा पर लगे प्रतिबंध
महिलाएं नौकरीपेशा में हो या राजनीति में खुद से निर्णय नहीं ले पाती। निर्णय लेने से पहले पतियों की ओर निहारती हैं और सहमति मिलने पर ही अपनी बात रखती हैं। महिलाओं को अपना खुद का अस्तित्व बनाना होगा। बेटियों और बेटों में भी अंतर समाप्त होना चाहिए। दहेज प्रथा पर अंकुश लगे क्योंकि दहेज प्रथा ही बेटियों के उपेक्षा की मुख्य वजह है।
ेविभा पटेल, उपाध्यक्ष जिला पंचायत।

सफल होने की सीढ़ी बनती है महिलाएं
समाज हो या घर, अस्तित्व की लड़ाई में महिलाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। महिलाओं को स्वार्थवश आगे किया जाता है। महिलाओं को स्वतंत्र रूप से आगे बढऩे की छूट मिलनी चाहिए। उन्हें सफलता की सीढ़ी के रूप में प्रयोग किया जाना गलत है। बेटों के तरह बेटियों के जन्म पर भी खुश होना चाहिए। दहेज प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
उमा मिश्रा, समाजसेविका।

आर्थिक अक्षमता बन रही बाधा
महिलाएं सशक्त होना चाहती हैं लेकिन उन्हें आगे नहीं आने दिया जाता है। आर्थिक अक्षमता के चलते महिलाएं पीछे रह जाती हैं। समाज में अपना स्थान नहीं बना पाती हैं। बच्चियों को जन्म से ही दबा कर रखा जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए। बेटियों को स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। बेटी गलत रास्ते पर नहीं चले। इसके लिए सतर्क रहें। लेकिन प्रतिबंध नहीं लगाएं।
ममता नरेंद्र सिंह, समाजसेविका

विकृत समाज से भयभीत है बेटियां
महिलाएं हो या बेटियां, विकृत समाज में खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। समाज में उन्हें सुरक्षा नहीं मिल पा रही है। सरकारें तमाम कोशिश कर रही हैं। लेकिन स्थिति जस की तस है। हर रोज महिलाओं के साथ अपराध हो रहा है। पुरुषों को महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलनी होगी। महिलाओं को हर बार जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
काव्या, छात्रनेता टीआरएस कॉलेज।

बंद हो बेटा और बेटी में फर्क
महिलाओं को सामाजिक, प्राकृतिक व मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ेगा। इसकी शुरुआत घर से होनी चाहिए जो अभी नहीं हुई है। लोग आज भी बेटा और बेटियों में फर्क करते हैं। जब तक यह फर्क बंद नहीं होगा। महिला सशक्तिकरण संभव नहीं है। हर घर में बेटा हो या बेटी प्रतिबंध और छूट संतुलित रूप में दोनों पर ही होना चाहिए।
शैली गौतम, प्रोफेशनल

अश्लीलता सामाजिक विकृति का कारण
संचार क्रांति का साइड इफेक्ट समाज को तेजी के साथ प्रदूषित कर रहा है। टीवी से लेकर मोबाइल तक इसके लिए जिम्मेदार है। लोग विक्षिप्त मानसिकता के शिकार हो रहे हैं। नतीजा समाज में अपराध बढ़ रहा है। इसी डर से लोग महिलाओं और बेटियों को घर से बाहर नहीं निकलने देते। महिला सशक्तिकरण के लिए समाज को अपराध से मुक्त करना होगा।
डॉ. विभा श्रीवास्तव, प्राध्यापक जीडीसी।

आंतरिक सशक्तिकरण की जरूरत
महिलाओं के आंतरिक सशक्तिकरण की जरूरत है। महिलाएं खुद को मन से मजबूत नहीं कर पा रही हैं। इसके लिए घर, परिवार व समाज जिम्मेदार हैं। जब तक सामाजिक पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त नहीं होगा, महिला सशक्तिकरण संभव नहीं है। बेटियों को स्वस्थ्य सामाजिक पर्यावरण मिले तो खुद ब खुद महिलाएं सशक्त हो जाएंगी।
डॉ. सुधा सोनी, प्राध्यापक जीडीसी।

अपराधियों को मिल रहा प्रश्रय
महिलाओं का सशक्तिकरण तभी संभव है, जब उनका शोषण व अत्याचार बंद हो। समाज में अपराधियों को मिल रहा प्रश्रय मिल रहा है जिससे उनके हौसले बुलंद हैं। नतीजा महिलाओं से जुड़े अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। जिससे बेटियां व महिलाएं भयभीत हैं। यह सोचने की बात है कि डरी सहमी महिला सशक्त होने का सपना कैसे देख सकती है।
योगिता सिंह परिहार, अध्यक्ष छात्रसंघ टीआरएस कॉलेज।

बेटों के समान बेटियों को मिले स्थान
समाज की व्यवस्था ऐसी हो कि बेटों और बेटियों को एक नजर से देखा जाए। जब तक माता-पिता की ओर से दोनों के बीच किया जाने वाले यह अंतर समाप्त नहीं होता तब तक महिला सशक्तिकरण का सपना पूरा नहीं होगा। इसकी शुरुआत हर घर से होनी चाहिए। केवल कहने और भाषण से कुछ नहीं होगा। केवल कहा जाता है किया नहीं जा रहा है।
प्रतिभा सिंह, समाजसेवी।

आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जाए
महिलाओं के सशक्तिकरण में सबसे बड़ी बाधा उनकी आर्थिक निर्भरता में कमी है। महिला तब तक सशक्त नहीं होगी जब तक वह आर्थिक रूप में सक्षम नहीं होगी। महिलाओं के लिए ऐसी योजना चलाई जानी चाहिए, जो उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करे। आर्थिक रूप से मजबूती की स्थिति में महिलाएं खुद ब खुद सशक्त हो जाएंगी।
निर्मला द्विवेदी, समाजसेवी।