
RTE's Free admission process started, but not filled application
रीवा। सीबीएसई की तर्ज पर राज्य स्कूलों में शैक्षणिक सत्र भले ही अप्रैल में शुरू कर दिया गया। लेकिन शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश अभी तक नहीं मिल सका है। मासूस शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। प्रवेश प्रक्रिया को लेटलतीफी का ग्रहण लग गया है।
पिछले वर्ष अब तक हो गए थे प्रवेश
गत वर्ष स्कूलों में शैक्षणिक सत्र भले ही जुलाई से शुरू हुई थी। लेकिन आरटीई के तहत मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश की प्रक्रिया मई में ही पूरी कर ली गई है। जबकि इस बार भी नि:शुल्क प्रवेश को लेकर शासन और स्कूल स्तर पर केवल तैयारी का दौर चल रहा है। यह हाल तब है कि जबकि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार तीन महीने पहले ही शैक्षणिक सत्र शुरू लिया गया है।
अब की देर से शुरू हुई प्रवेश प्रक्रिया
शासन स्तर से की गई लेटलतीफी और अप्रैल में शैक्षणिक सत्र शुरू किए जाने के चलते कई अभिभावक मजबूरन शासकीय शालाओं में बच्चों का प्रवेश करा चुके हैं। गौरतलब है कि आरटीई के तहत निजी स्कूलों में आरक्षित 25 फीसदी सीटों पर वंचित समूह व कमजोर वर्ग के अभिभावकों के बच्चों का प्रवेश होता है। अभिभावकों की बसाहट भी प्रवेश की प्रक्रिया में अर्हता निर्धारित करती है। स्कूल के नजदीकी निवास करने वाले अभिभावक के बच्चे को वरियता दी जाती है।
सीट का विवरण नहीं दे रहे स्कूल
आरटीई के तहत प्रवेश देने को लेकर शुरू की गई तैयारी की स्थिति नीम चढ़ा करेला जैसी हो गई है। पहले तो शासन स्तर पर लेटलतीफी की गई। अब स्कूल संचालक मनमानी रवैया अपनाए हुए हैं। कई बार निर्देश दिए जाने के बावजूद संचालकों की ओर से स्कूल में आरक्षित सीटों का विवरण ऑनलाइन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। स्कूलों की ओर से ऑनलाइन सीट लॉक किए जाने की अंतिम डेट 25 मई है। लेकिन अभी तक केवल 60 फीसदी स्कूलों की सीट ऑनलाइन उपलब्ध हो सकी है।
25 फीसदी सीट रहती है आरक्षित
आरटीई के तहत निजी स्कूलों में पहली कक्षा की 25 फीसदी सीट पात्रों के लिए नि:शुल्क प्रवेश के बावत आरक्षित रहती है। आरक्षित इन सीटों में निर्धारित शर्तों की पूर्ति करने वाले बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश दिया जाता है। इन बच्चों का शुल्क शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में शासन स्तर से जारी होता है। शासन स्तर से प्रवेश को लेकर अभी केवल तैयारी चल रही है। ऑनलाइन आवेदन की तिथि अभी घोषित नहीं है।
वंचित समूह व कमजोर वर्ग से तात्पर्य
- वंचित समूह में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विमुक्त जाति, वनभूमि के पट्टाधारी परिवार और 40 फीसदी से अधिक दिव्यांग
- कमजोर वर्ग में गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल कॉर्डधारी) शामिल सभी जातिवर्ग के अभिभावकों के बच्चे।
फैक्ट फाइल :-
1000 जिले में स्कूलों की संख्या
8000 सीटों की संभावित संख्या
6000 सीटों पर गत वर्ष हुआ प्रवेश
Published on:
25 May 2018 01:31 am
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