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नि:शुल्क प्रवेश देकर बुरे फंसे स्कूल संचालक, अब तक नहीं मिली छात्रों की फीस

अधर में 90 फीसदी से अधिक स्कूलों का प्रस्ताव...

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रीवा

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Ajit Shukla

Jun 18, 2018

RTI fee reimbursement pending, Rewa's school administration upset

RTI fee reimbursement pending, Rewa's school administration upset

रीवा। स्कूल संचालकों ने शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश तो दे दिया। लेकिन शासन से शुल्क प्रतिपूर्ति उन्हें दो सत्र बाद भी नसीब नहीं हुआ है। पहले स्थानीय अधिकारियों की और अब शासन स्तर से की जा रही लेटलतीफी स्कूल संचालकों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। खासतौर पर मध्यम वर्ग के स्कूलों को शुल्क प्रतिपूर्ति में हो रही लेटलतीफी काफी खल रही है।

अभी दो सत्र पीछे चल रही प्रक्रिया
वर्तमान में शैक्षणिक सत्र 2016-17 के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया चल रही है। एक ओर जहां अभी आधे से अधिक स्कूलों का प्रस्ताव भेजा ही नहीं गया है। वहीं दूसरी ओर 90 फीसदी से अधिक स्कूलों का प्रस्ताव लंबित है। जबकि छात्रों का प्रवेश हुए दो सत्र बीत गया है। हालांकि शिक्षा अधिकारी लेटलतीफी का ठीकरा शासन स्तर के अधिकारियों के सिर फोड़ रहे हैं। दलील है कि शासन स्तर से ही शुल्क प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया देर से शुरू होती है।

स्कूल संचालकों की उदासीन का कारण
शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीइ) के तहत नि:शुल्क प्रवेश में स्कूल संचालकों की उदासीनता का प्रमुख कारण शुल्क प्रतिपूर्ति में लेटलतीफी है। स्कूल संचालकों को पहले तो लंबी चौड़ी प्रक्रिया पूरी करना पड़ता है। उसके बाद लंबा इंतजार। यही वजह है कि स्कूल संचालक छात्रों को आरटीइ के तहत प्रवेश देने से कन्नी काटते हैं। शुल्क प्रतिपूर्ति की जटिल प्रक्रिया पूर्व में हुए घपले के मद्देनजर निर्धारित किया गया है।

आने वाले वर्षों में आसान होगी प्रक्रिया
शिक्षा अधिकारियों की माने तो आरटीइ के तहत होने वाले प्रवेश की तरह ही अगले वर्ष से शुल्क प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया भी काफी सरल हो जाएगी। पिछले वर्ष से प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन कर दी गई है। ऐसे में अगले वर्ष से शुल्क प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया भी पूरी तरह से ऑनलाइन हो जाएगी। इस तरह स्कूल संचालकों को फीस वापस लेने की लंबी प्रक्रिया से राहत मिल जाएगी। फिलहाल अभी स्कूल संचालक परेशान हैं।

शुल्क प्रतिपूर्ति की स्थिति
719 स्कूल शुल्क प्रतिपूर्ति में शामिल
372 स्कूलों के भेजे गए प्रस्ताव
1841 छात्रों का भेजा गया प्रस्ताव
304 स्कूलों का प्रस्ताव स्वीकृत
1581 छात्रों की प्रस्ताव स्वीकृत