
Scientist suggestion for farmer, Sowing of paddy from SRI technique
रीवा। धान की बोवनी में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को नई विधि का प्रयोग करने की सलाह दी है। कृषि अधिकारी भी किसानों को कुछ ऐसा ही मशविरा दे रहे हैं। तर्क है कि इससे किसानों को पहले जितनी लागत में ही अधिक उत्पादन मिलेगा।
अधिकारियों ने जारी की है एडवाइजरी
कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। उपसंचालक एसके माहौर के मुताबिक जिले के काफी बड़े क्षेत्र में धान की खेती की जाती है। अधिकतर किसान रोपा विधि से धान लगाते हैं। इसकी तुलना में मेडागास्कर विधि से धान की बोवनी कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। मेडागास्कर विधि को एसआरआइ व श्री विधि भी कहा जाता है।
25 क्विंटल तक अधिक उत्पादन
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस विधि से कम पानी, कम बीज और बिना खरपतवार के धान का अच्छा उत्पादन होता है। परंपरागत विधि की तुलना किसान को प्रति हेक्टेयर लगभग दोगुना उत्पादन मिलता है। श्री विधि से धान लगाने पर प्रति हेक्टेयर 35 से 50 क्विंटल धान का उत्पादन होता है। जबकि परंपरागत तरीके से बोवनी पर उत्पादन करीब इसका आधा होता है।
केवल आठ किलो बीज की जरूरत
अधिकारियों के मुताबिक श्री विधि से प्रति हेक्टेयर केवल 6 से 8 किलो बीज की जरूरत होती है। विशेष तरह की प्लेट व पॉलीथीन में नर्सरी लगाकर तैयार किया जाता है। इसमें भुरभुरी मिट्टी व राख का होना आवश्यक है। इसके लिए 10 मीटर लंबी व 5 सेमी ऊंची क्यारी बनाएं। इसमें 50 किलो नाडेप व गोबर की खाद मिलाकर बीज की बोनी करें। बोनी से पहले बीज को थाईरम दवा से उपचारित करें। प्रत्येक क्यारी में 120 ग्राम बीज की बोनी करें। क्यारी को ढंक कर हल्की सिंचाई करने से बेहतर रोपा तैयार हो जाता है।
खेत में 21 दिन के पौधों की करें रोपाई
वैज्ञानिकों का कहना है कि धान रोपित करने के लिए खेत की गहरी जुताई करके उसके खरपतवार नष्ट कर दें। खेत में पर्याप्त पानी देकर रोपाई के लिए खेत को तैयार करें। इसके बाद नर्सरी में तैयार धान के 15 से 21 दिन के पौधे रोप सकते हैं। तैयार खेत में मार्कर हल की सहायता से 20-20 सेमी की दूरी पर निशान बनाएं और इन्हीं निशानों में धान का केवल एक पौधा रोपें। अधिक पौधों को रोपना मना है।
कतार से कतार में लगाएं पौधे
किसानों को सलाह है कि पौधे से पौधे व कतार से कतार की दूरी 2 सेमी रहे। पौधों के बीच में पर्याप्त अंतर होने पर उन्हें पर्याप्त हवा व नमी प्राप्त होती है। कतार में पर्याप्त दूरी रहने पर खरपतवार होने की स्थिति में कोनावीडर की सहायता से इन्हें आसानी से निकालकर खाद बनायी जा सकती है। मृदा हेल्थ कार्ड में खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों के अनुसार खाद का उपयोग करें। इसमें गोबर की खाद नाडेप व वर्मी खाद का अधिक उपयोग करना चाहिए। धान रोपित करने के 15 दिन बाद कम मात्रा में यूरिया का छिडक़ाव करना चाहिए।
खेत में नमी बनी रहनी चाहिए
श्री विधि से धान लगाने पर खेत में पानी भरने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन खेत में नमी बनी रहे इसका ख्याल जरूर रखना चाहिए। जिस समय धान के पौधों में वृद्धि हो रही हो उस समय खेत को 2 से 3 दिनों के लिए सूखा छोड़ देना चाहिए। इसके बाद हल्की सिंचाई करके खेत को नम करना चाहिये। इस विधि से किसान फसल का उत्पादन बढ़ा सकता है। किसान कृषि अधिकारी व वैज्ञानिकों से भी संपर्क कर सकते हैं।
Published on:
30 Jun 2018 02:36 pm
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