
Status of education in government schools in Rewa is bad
रीवा। शासकीय स्कूलों की शैक्षणिक गुणवत्ता बेहतर हो। इस उद्देश्य को लेकर बीते शैक्षणिक सत्र में शासन स्तर से शिक्षा अधिकारियों के लिए हर महीने निरीक्षण का शेड्यूल जारी किया गया। शेड्यूल के मुताबिक लाखों रुपए फूंकते हुए अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया। लेकिन स्कूलों में पढ़ाई का हाल जस का तस रहा है।
10 लाख रुपए तक किए खर्च
शासन के निर्देशों के अनुरूप स्कूलों में संयुक्त संचालक व जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के शिक्षा अधिकारियों ने निरीक्षण किया। किए गए आंकलन के मुताबिक करीब सात महीने तक लगातार किए गए निरीक्षण में अधिकारियों ने करीब 10 लाख रुपए तक खर्च किए। लेकिन प्राथमिक शाला से लेकर हायर सेकेंड्री तक के स्कूलों में परीक्षा परिणाम का बुरा हाल है।
शालाएं ग्रेड ‘सी’ तक सीमित
वार्षिक मूल्यांकन में 80 फीसदी प्राथमिक व माध्यमिक शालाएं ग्रेड ‘सी’ तक सीमित रही हैं। हाईस्कूल व हायर सेकेंड्री स्कूलों में कक्षा नवीं का भी बुरा हाल है। आधे से अधिक छात्र अनुत्तीर्ण हैं। कक्षा नवीं की तुलना में 11वीं का हाल कुछ बेहतर है। लेकिन उसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि कक्षा 11वीं में भी ज्यादातर स्कूलों का परीक्षा परिणाम 70 से 80 फीसदी तक सीमित है।
हिदायतों का नहीं पड़ा फर्क
स्कूलों में कक्षाएं निरंतर चलाई जाएं। निदानात्मक कक्षाओं से लेकर विशेष कक्षाओं के संचालन का निर्देश शिक्षा अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के दौरान लगातार दिया जाता रहा है। लेकिन प्रधानाध्यापकों से लेकर प्राचार्यों तक पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है। जिसका असर गृह परीक्षा के परिणामों में स्पष्ट रूप से देखने को मिला है।
निरीक्षण करने वाले अधिकारी
- संयुक्त संचालक लोक शिक्षण
- उप संचालक जेडी कार्यालय
- सहायक संचालक जेडी कार्यालय
- जिला शिक्षा अधिकारी
- सहायक संचालक डीईओ कार्यालय
- विकासखंड शिक्षा अधिकारी
(प्रत्येक ने किया 90 दिवस से अधिक का निरीक्षण)
ऐसे समझिए खर्च का गणित
1600 रुपए प्रति निरीक्षण का न्यूनतम खर्च
90 निरीक्षण हर महीने कम से कम
1.44 लाख रुपए हर महीने का खर्च
7 महीने तक बीते सत्र में हुआ निरीक्षण
10 लाख रुपए बीते सत्र में निरीक्षण का खर्च
प्रति निरीक्षण खर्च
850 रुपए वाहन का खर्चा
650 रुपए डीजल का खर्चा
100 रुपए अतिरिक्त भत्ता
Published on:
01 May 2018 12:41 pm
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